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जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याण वैराग्य निधि की निश्रा में मनाया

RELIGION/ CULTURE

साध्वी वैराग्य निधि ने कहा- मोक्ष यानी मोह का क्षय

जैन दादाबाड़ी में चल रहे हैं चातुर्मासिक प्रवचन

Agra, Uttar Pradesh, India. जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक मरुधर ज्योति साध्वी मणिप्रभा श्री जी की शिष्या साध्वी वैराग्यनिधि श्री जी की निश्रा में कलिकुंड पार्श्वनाथ परमात्मा 24 जिनालय दादाबाड़ी में मनाया गया। पंच कल्याणक पूजा कर भगवान को मोक्ष कल्याणक लाड़ू चढ़ाया गया।

 

इस मौके पर जैन साध्वी वैराग्य निधि ने कहा कि भगवान पार्श्वनाथ को सावन सुदी अष्टमी को सम्मेद शिखर में मोक्ष हुआ था। मोक्ष यानी मोह का क्षय। मोह जितना अधिक, दुख और वेदना का अहसास उतना ही अधिक होता है। मोह तामसिक है, जिसमें प्राप्ति की कामना है। प्रेम सात्विक है, जिसे श्रीकृष्ण ने गीता में निष्काम कर्मयोग कहा है। मोक्ष कल्याणक पूजा का लाभ अरिहंत पद के आराधकों ने लिया। मोक्ष कल्याणक लाड़ू चढ़ाने का लाभ दिनेश, रजत गादिया परिवार को मिला।

 

जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि चातुर्मास के दौरान प्रातः 9.15 से 10.15 बजे तक साध्वी जी के प्रवचन चल रहे हैं। आज के कार्यक्रम में वीरचंद गादिया, कमल चंद जैन, निखिल जैन, राजीव खरड़, मनीष वागचर, दुष्यंत जैन, रॉबिन जैन, पंकज लोढ़ा, ममता जैन, उषा वेद, रीटा, सुमन ललवानी, मोनिका वेद, शिल्पा लोढ़ा आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh