Prelude Public School agra result

CBSE कक्षा 12 का परीक्षाफलः कुछ सकारात्मक और नकारात्मक बिन्दु, ध्यान से पढ़ें

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL

आज कक्षा 12 का CBSE का परीक्षाफल घोषित किया गया। इस परिणाम को लेकर लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही हैं। इस परीक्षाफल के कुछ बिंद सकारात्मक हैं तो कुछ नकारात्मक। नेशनल इंडिपेंडेंस स्कूल एलायन्स (NISA) उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के क्षेत्रीय संयोजक, निसा एजुकेशन फण्ड के राष्ट्रीय संयोजक, एसोसिएशन ऑफ़ प्रोग्रेसिव स्कूल्स ऑफ़ आगरा के अध्यक्ष एवं प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल , आगरा  के निदेशक डॉ. सुशील गुप्ता ने इन्हीं बिंदुओं पर अपनी दृष्टिकोण रखा है।

 सकारात्मक बिन्दु

* कोरोना महामारी के चलते जनमानस के जीवन एवं स्वास्थ्य को दृष्टिगत करते हुए CBSE द्वारा भौतिक परीक्षा न आयोजित करके इस  प्रकार परिणाम घोषित करना छात्रों के जीवन एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वथा सराहनीय है।

* हमारा देश विकासशील है, विकसित नहीं, इस कारण देश के अधिकांश छात्रों के पास इंटरनेट, लैपटॉप, कंप्यूटर जैसी आधुनिक तकनीकी के साधन उपलब्ध नहीं है। भौतिक कक्षाएँ न होने से उनके अध्ययन-अध्यापन में व्यवधान/कमियों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अतः किसी एक कक्षा के अंकों के आधार पर उनका परिणाम घोषित करना शायद इस दृष्टि से उचित नहीं होता । *

* रेफरेंस ईयर के चलते ऐसे छात्र, जो तनाव के कारण परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते थे, अवसाद ग्रस्त हो जाते थे, उनको इस अवसाद से मुक्ति मिली है।

* रेफरेंस ईयर के अनुसार परिणाम/परीक्षाफल बनाए जाने का लाभ कमजोर छात्रों को मिला है। उन्हें मेधावी छात्रों के कारण उनके सामान्य प्रदर्शन से अधिक अंक मिले हैं।

* इस परीक्षाफल ने एक परीक्षा के लिए रटकर अच्छे अंक लाने वाले छात्रों को उत्कृष्ट न मानते हुए सतत् मेहनत एवं श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्रों को बढ़ावा दिया है। इसके कारण छात्रों को रटने की जगह निरंतर अध्ययन और परिश्रम को अपनी दिनचर्या में शामिल करने का प्रोत्साहन मिलेगा।  

 नकारात्मक बिंदु

* इस परीक्षाफल में संदेह की संभावना अधिक है।

-कुछ छात्र जो किसी विषय में कमजोर थे, उन्हें कक्षा दस और ग्यारह के प्रदर्शन के आधार पर अधिक अंक मिल गए, जो कि उनके कक्षा बारह के उनके वास्तविक प्रदर्शन से बहुत अधिक हैं।

-रेफरेंस ईयर के चलते मेधावी छात्रों को अपने वास्तविक प्रदर्शन की तुलना में नुकसान उठाना पड़ा है।

* कक्षा दस के विषय और कक्षा बारह के छात्रों के विषय पूर्णतः भिन्न होते हैं। कक्षा बारह में छात्र अपनी रुचि के विषय पढ़ता है, जिससे उनमें उसका प्रदर्शन श्रेष्ठ होता है। ऐसे में कक्षा दस के आधार पर 30 प्रतिशत अंक देना छात्रों के हित में उचित नहीं है।

* हम सभी जानते है कि सभी विषयों का कठिनाई का एक स्तर नहीं होता है। हर वर्ग में विषय आसान, सामान्य और कठिन स्तर के होते हैं। इसलिए हर वर्ग (कला, वाणिज्य एवं विज्ञान) के लिए एक औसत के अनुसार मूल्यांकन किया जाना तर्कसंगत नहीं है।

* कक्षा दस तक छात्रों का स्वविवेक इतना परिपक्व नहीं होता, जितना कक्षा बारह तक हो जाता है। कक्षा बारह की परीक्षा और परिणाम छात्रों के भविष्य निर्धारण का कार्य करता है। इसी कारण कक्षा  12 की बोर्ड परीक्षा के लिए छात्र जी-जान से जुटे रहते हैं। उससे पूर्व की परीक्षाओं पर वे पूरी तरह ध्यान केंद्रित नहीं करते। इस कारण प्री बोर्ड के परिणामों को आधार बनाकर किया गया मूल्यांकन छात्रों के लिए श्रेष्ठ नहीं हो सकता।

* भौतिक परीक्षा न होने के बावजूद परीक्षाफल इतना बिलंव से घोषित किया गया है कि छात्रों के पास परिणाम आने के बाद पुनर्परीक्षा में शामिल होने का विकल्प ही नहीं है क्योंकि परिणाम आते ही सभी कॉलेज /संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और कुछ जगह प्रारंभ भी हो चुकी है।