सीबीआई ने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में घूसखोरी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस कार्रवाई में दो डॉक्टरों समेत नी लोग गिरफ्तार किए गए है। सीबीआई ने अस्पताल में डॉक्टर और कंपनी के बीच नेक्सस का खुलासा अचानक नहीं किया, पूरी प्लानिंग के बाद जांच एजेंसी ने कार्रवाई शुरू की।
केंद्रीय जांच ब्यूरो को मार्च में ही किसी सोर्स से ये टिप मिली की राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कई डॉक्टर और कर्मचारी घूसखोरी में शामिल हैं। इसके बाद एजेंसी ने टेक्निकल सर्विलांस बेस्ट ऑपरेशन शुरू किया। इतना ही नहीं, सीबीजाई ने कार्रवाई करने से पहले अपनी जानकारी की पुष्टि के लिए फर्जी मरीजों का इस्तेमाल किया।
सर्विलांस में जांच टीम को इस रैकेट के काम करने का तौर-तरीका बारीकी से समझने में मदद मिली। कैसे ये नेक्सस पैसे लेता इसका भी पता चला। वो मुख्य रूप से यूपीआई, बैंक ट्रांसफर और नकदी से पेमेंट लेते।
22 मार्च को मिली सीबीआई को पहली सफलता
सीबीआई को अपनी जांच में पहली सफलता 22 मार्च को मिली जब गिरफ्तार किए गए दी डॉक्टरों में से एक डॉ. पर्वतगोड़ा ने कथित तौर पर आकर्षण गुलाटी नाम के एक व्यक्ति से संपर्क किया वो गुड़गांव स्थित बायोट्रॉनिक्स के लिए क्षेत्रीय सेल्स मैनेजर के तौर पर काम करता था।
सीबीआाई की निगरानी से पता चला कि डॉक्टर ने गुलाटी को बायोट्रॉनिक्स के लिए किए गए फेवर्स के लिए रिश्वत देने का निर्देश दिया था। सर्विलांस डेटा में गुलाटी को स्पष्ट रूप से यह कहते हुए सुना गया कि वह स्टेशन से बाहर है। उसने डॉक्टर को आश्वासन दिया कि वह मोनिका नाम की एक कर्मचारी के माध्यम से 24 अप्रैल तक रिश्वत पहुंचा देगा। सीबीआई की एफआईआर में कहा गया, पर्वतगौड़ा ने डील के मुताबिक 24 अप्रैल को मोनिका से संपर्क किया और यूपीआई के जरिए 36,000 रुपये और बाकी रकम नकद मांगी।’
कैसे काम कर रहा था रेकेट जानिए
एक और ट्रांसक्रिप्ट 26 मार्च से संबंधित है, जब पर्वतगोड़ा ने मेसर्स स्वइनमेड प्राइवेट लिमिटेड फर्म के निदेशक अबरार अहमद से कथित तौर पर रिश्वत मागी थी। एफमाईमार में कहा गया है कि रिश्वत उनके जरिए आपूर्ति किए गए मेडिकल इंस्ट्रूमेंट को बढ़ावा देने के लिए थी। अहमद ने रिश्वत की रकम डॉ. पर्वतगौडा की ओर से बताए गए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी। इसके बाद सीबीआई ने दोनों के बीच बैंक लेन-देन का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया।
इसमें पाया गया कि महमद ने 26 मार्च को एक्सिस बैंक के अपने खाते से 1.95 लाख रुपये केनरा बैंक के खाता संख्या 1101494922*** में ट्रांसफर किए थे, जो डॉक्टर के पिता के नाम पर है। इसके बाद डॉक्टर को 23 अप्रैल को अहमद को एक और कॉल में सुना गया कि वो जल्द से जल्द अपने सभी रिश्वत के पैसों का भुगतान कर दे। उसने ये भी कहा कि वह एक यूरोप के प्राइवेट दौरे पर जा रहा है। मेडिकल उपकरण खरीद में भी कमाई
अहमद को पर्वतगौड़ा को यह आश्वासन देते हुए सुना जा सकता है कि वह मांगी गई रिश्वत जल्द से जल्द पहुंचा देगा। जांच में यह भी पता चला कि दिल्ली की एक कंपनी भारती मेडिकल टेक्नोलॉजी ने मेडिकल प्रॉसेस के लिए आरएमएल अस्पताल को अलग-अलग मेडिकल इंस्ट्रूमेंट की आपूर्ति किए थे। फर्म के प्रतिनिधि भरत सिंह दलाल, अस्पताल में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर, दूसरे गिरफ्तार डॉक्टर अजय राज के संपर्क में थे। 26 अप्रैल को डॉ अजय राज ने दलाल से उनके आपूर्ति किए गए मेडिकल उपकरणों को बढ़ाने के लिए 25,000 रुपये की रिश्वत मांगी। अजय राज ने दलाल को बैंक डिटेल्स भेज दी। फिर उसने भी उस बैंक अकाउंट में पैसे भेज दिए।
सीबीआई जांच में 2 डॉक्टर समेत 9 गिरफ्त में
बताया गया कि 3 मई को अजय राज ने उसी बैंक खाते में दलाल से 35,000 रुपये की मांग की। यह भी ट्रांसफर कर दिया गया। इन सब चातों का जिक सीबीआई की एफआईआर में है। सीबीआई जांच में आरएमएल अस्पताल में कैथ लैब के वरिष्ठ तकनीकी प्रभारी रजनीश कुमार की भूमिका भी सामने आई है। 30 मार्च को रजनीश कुमार ने मरीजों को उनके जरिए आपूर्ति किए गए उपकरणों को बढ़ावा देने के बदले अहमद से 1 लाख रुपये की मांग की। सीबीआई के अनुसार 31 मार्च की अहमद ने रजनीश के पिता के नाम से खोले गए अकाउंट में रिश्वत की रकम जमा करा दी।
-एजेंसी
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