कार्डियक अरेस्टः शुरूआती पांच मिनट सबसे क्रिटिकल, सी0पी0आर0 से बचाई जा सकती है मरीज की जान

कार्डियक अरेस्टः शुरूआती पांच मिनट सबसे क्रिटिकल, सी0पी0आर0 से बचाई जा सकती है मरीज की जान

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लखनऊ। देश में प्रतिवर्ष कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगभग 07 लाख है। इसकी बड़ी वजह यह है कि लोग इसके लक्षणों व बचाव के तरीकों से अनभिज्ञ हैं। इमरजेंसी की स्थिति में लोग मरीज की त्वरित मदद नहीं कर पाते और जब तक मरीज को चिकित्सीय सहायता मिलती है, तब तक देर हो जाती है। यह बात एस0जी0पी0जी0आई0 के कार्डियोलॉजी विभाग के एच0ओ0डी0 प्रोफेसर आदित्य कपूर ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के सभागार में आयोजित कार्यशाला में कही। प्रो0 कपूर ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट होने के शुरूआती पांच मिनट सबसे क्रिटिकल होते हैं। इस दौरान सी0पी0आर0 देकर मरीज की जान बचाई जा सकती है। शनिवार को आयोजित इस विशेष कार्यशाला में प्राधिकरण की अध्यक्ष/मण्डलायुक्त डॉ0 रोशन जैकब की अध्यक्षता में 30 विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों ने सी0पी0आर0 का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस मौके पर प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ0 इन्द्रमणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त डॉ0 इन्द्रजीत सिंह, सचिव पवन कुमार गंगवार समेत अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।

प्रो0 आदित्य कपूर ने बताया कि आजकल 35 वर्ष से 55 वर्ष की उम्र के लोगों को भी बड़ी तादाद में कार्डियक अरेस्ट हो रहा है। उन्होंने इसके लक्षणों के बारे में बताया कि कार्डियक अरेस्ट होने पर मरीज अचेत हो जाता है। उसकी हार्ट बीट बंद हो जाती है और ब्रेन में खून की सप्लाई बाधित हो जाती है। ऐसी स्थिति होने पर फौरन चिकित्सीय सहायता के लिए फोन करें तथा मरीज को सुरक्षित स्थान पर समतल सतह पर पीठ के बल लिटाकर सी0पी0आर0 देना शुरू करें। प्रो0 कपूर ने सी0पी0आर0 का प्रस्तुतिकरण देते हुए बताया कि इसमें दोनों हाथों से मरीज की छाती पर बांयी तरफ प्रति मिनट 100/120 की गति से दबाव देना चाहिए। यह क्रिया लगातार तब तक करनी चाहिए जब तक मरीज को होश न आ जाए या फिर चिकित्सीय सहायता पहुंच जाए।

कार्डियक अरेस्ट होने पर ए0ई0डी0 मशीन कारगर
इसके अलावा प्रो0 आदित्य कपूर द्वारा ए0ई0डी0 (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर) मशीन से सी0पी0आर0 देने के तरीके के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि यह मशीन कुछ ही सेकेंड में मरीज की हदृय गति का परीक्षण कर लेती है तथा जरूरी होने पर इलेक्ट्रिक शॉक देकर हदृय गति को वापस सामान्य करके मरीज की जान बचाने में कारगर साबित होती है। उन्होंने बड़े सरकारी कार्यालयों, मेट्रो स्टेशन, मॉल, स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स व बहुमंजिला आवासीय भवनों समेत अन्य सार्वजनिक स्थानों में ए0ई0डी0 मशीनें लगाये जाने का सुझाव भी दिया।

जो सीखा उसे अपने विभाग के लोगों को भी सिखायें
इस मौके पर मण्डलायुक्त डॉ रोशन जैकब ने कार्यशाला में उपस्थित सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देशित किया कि वे सभी अपने-अपने विभाग में जाकर अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों को भी सी0पी0आर0 के बारे में जानकारी देंगे तथा जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञों के माध्यम से कार्यशाला आयोजित करके सभी कर्मियों को इसका प्रशिक्षण दिलाना सुनिश्चित कराएंगे। उन्होंने कहा कि जितने ज्यादा लोग इस बारे में जागरूक होंगे, उतनी ही जानें बचाई जा सकेंगी।

Dr. Bhanu Pratap Singh