Agra, Uttar Pradesh, India. भारतीय जनता पार्टी के आगरा से सांसद प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल विभिन्न विषयों पर जानकारी के लिए प्रसिद्ध हैं। व राजनीति के चतुर खिलाड़ी तो हैं ही, साथ में विधि, इतिहास, दर्शन, धर्म, साहित्य, सरकारी योजनाओं के मर्मज्ञ हैं। जब तब वे ‘ठाकुरगीरी’ भी प्रदर्शित करते रहते हैं। हाल ही में एत्मादपुर प्रकरण को लेकर सर्किट हाउस में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुनिराज जी पर जिस तरह से चढ़ाई की थी, वह चर्चा का विषय रही। वे टूंडला से विधायक बनने के बाद उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह ने प्रो. एसपी सिंह बघेल से उनकी निजी जिन्दगी के बारे में लम्बी चर्चा की। कई बार सवालों के जाल में फँसाने का प्रयास किया किया लेकिन वे साफ निकल गए। हाजिर जवाबी के लिए तो वे प्रसिद्ध हैं ही। आनंद लेते हैं सवाल और जवाब का।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपके जीवन का लक्ष्य क्या था?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः पढ़ाई करके सरकारी नौकरी करना।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या राजनेता बनना चाहते थे?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः यह एक संयोग है। नेता बनना चाहता होता तो 10 साल नौकरी नहीं करता।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः भोजन में सबसे ज्यादा क्या पसंद है?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः दाल, रोटी, सब्जी, चावल। सब्जी में लौकी, तोरई, कद्दू। ढाई या तीन मिनट में खाना निगलता हूँ।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः भोजन मां के हाथ का अच्छा लगता है या पत्नी के हाथ का?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः दोनों के हाथ का भोजन अच्छा लगता है। मां के हाथ वाले जमाने में गैस नहीं थी। चूल्हा पर खाना बनता था। स्वाद ही अलग था क्योंकि हर चीज ऑर्गेनिक थी।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः दोनों के भोजन में कोई फर्क महसूस होता है?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः पत्नी के साथ गैस आ गई। गांव में आज भी चूल्हा है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः कभी पत्नी को अपने हाथ से खाना खिलाया है?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः करवा चौथ के दिन पहला कौर मैं खिलाता हूं और पहला कौर वह खिलाती हैं।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या पत्नी ने भी अपने हाथ से खाना खिलाया है कभी?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः मैंने कहा न करवा चौथ के दिन पहला कौर चांद देखने के बाद।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या आप भीषण सर्दी में भी रोजाना स्नान करते हैं?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः ऐसा कोई दिन नहीं जब स्नान न किया हो।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः घूमने के लिए सबसे ज्यादा कौन सा स्थान अच्छा लगता है?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः पार्लियामेंट।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी हॉबीज क्या हैं?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः हिन्दी साहित्य पढ़ना, फिल्में देखना, गाने सुनना। लॉन्ग टेनिस, बिलियर्ड्स और गोल्फ को छोड़कर हर गेम खेलता हूं। आर्ट फिल्म देखता हूं। 17 साल की उम्र में अंकुश, आक्रोश फिल्म देखी।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः पसंदीदा गाना कौन सा है?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः आज जाने की जिद न करो…।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या बाथरूम में कभी गाना गुनगुनाया?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः नहीं। मुझे कोई गलतफहमी नहीं है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी नजर में सबसे अच्छा अभिनेता और अभिनेत्री कौन सी है?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः पुरानी दृष्टि से देखा जाए तो दिलीप कुमार। आज की दृष्टि से स्व. इरफान। उनकी कमी नवाजुद्दीन सिद्दीकी पूरी कर रहे हैं। अभिनेत्री में स्व. स्मिता पाटिल और नंदिता दास।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः वस्त्रों में कौन सा रंग पसंद है?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः काला और सफेद।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपको किससे डर लगता है और क्यों?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः ईश्वर से क्योंकि वह सर्वव्यापी, सर्वज्ञानी है और सबकुछ देखता है। इसके अलावा कार्यकर्ताओं से डरता हूं।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः कॉलेज लाइफ में कोई महिला मित्र बनी क्या?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः हर कोई मना करेगा लेकिन ईमानदारी से नहीं बनी।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपने क्या लव मैरिज की या अरैंज मैरिज है?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः लव मैरिज। मैं कहना चाहता हूँ कि जिसस प्यार करो, उससे शादी जरूर करो।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः शादी और सगाई के बीच में संवाद कैसे कायम हुआ?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः चार साल के इंतजार के बाद विवाह हुआ। इस दौरान पत्रों का आदान-प्रदान हुआ क्योंकि तब दोनों के यहां टेलीफोन नहीं था। इसका कारण यह है कि मेरी नौकरी 21वें साल में लग गई थी। मेरे बड़े भाई की नौकरी चार साल बाद लगी। हमारे घर में नियम यह है कि अपने पैरों पर खड़े होने के बाद ही विवाह करना है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः ऐसा कोई वाकया जब आपकी पत्नी से तकरार हुई हो और आपने अलग अंदाज में मनाया हो?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः वो लोग बहुत झूठ बोलते हैं जो कहते हैं कि पत्नी से झगड़ा नहीं हुआ। झगड़े में आमतौर पर बोलचाल बंद हो जाती है। बोलचाल शुरू करनी चाहिए।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः जीवन का कोई ऐसा किस्सा जो सबके साथ शेयर करना चाहते हैं?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः जब मैं 14 साल का था, तब मेरे पिताजी और माताजी की अचानक मृत्यु हो गई। छत से गिरकर अचानक मौत हुई। जिनके माता-पिता हैं, उनसे कहना चाहता हूं कि जीवित रहते हुए माता-पिता के लिए जो चाहते हैं कर लें। बाद में तो पछताना ही रह जाता है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपकी सफलता का रहस्य क्या है?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः मेहनत, मेहनत, मेहनत।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः जलेसर, टूंडला, आगरा पसंद है तो क्यों?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः जलेसर से सांसद, टूंडला से विधायक और फिर मंत्री, आगरा से सांसद हूँ। गांव में जाते हैं तो बहुत सम्मान मिलता है। टूंडला से अखिलेश यादव, डिम्पल यादव, रामवीर उपाध्याय हारे हैं। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या आप अपने राजनीतिक जीवन से संतुष्ट हैं?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः भगवान बहुत दिया। पुलिस में होता तो अब तक रिटायर हो चुका होता। कोरोना टाइम में जो भी इंटरव्यू दे रहा है या इंटरव्यू ले रहा है, उसे दंडवत होकर भगवान को प्रणाम करना चाहिए कि जिन्दा है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आप कवि हृदय हैं, कोई कविता याद है क्या?
प्रो. एसपी सिंह बघेलः मैं स्वांतः सुखाय लिखता हूँ। इसीलिए आज तक कविता संग्रह प्रकाशित नहीं किया। कवि सम्मेलन में सुनाने नहीं, सुनने जाता हूँ।
तुम कहते तो गीत सुनाऊं, भाव कहां से लाऊं मैं
सूखी झील से आँखों से या भूखों मरने वालों से
उंगली पर गिन जाएं पसली क्या इन नरकंकालों से
भूख से व्याकुल इन बच्चों को क्या बस लोरी गाऊं मैं
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