कर्नाटक में एक करोड़ से अधिक सालाना आय वाले मंदिरों की आय पर दस प्रतिशत कर लगाने से जुड़ा विधेयक विधान परिषद में गिर गया है. दो दिन पहले ही ये विधेयक राज्य की विधानसभा में पारित हुआ था.
इस विधेयक पर कर्नाटक में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. बीजेपी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर हिंदी विरोधी होने के आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य में सरकार हिंदू विरोधी नीतियां लागू कर रही है.
कांग्रेस की विधान परिषद में एनडीए यानी बीजेपी के गठबंधन के पास सत्ताधारी कांग्रेस से अधिक संख्या बल है.
कांग्रेस के 30 एमएलसी हैं जबकि बीजेपी के 35 एमएलसी हैं, इसके अलावा 8 एमलसी बीजेपी की गठबंधन सहयोगी जेडीएस के हैं.
कर्नाटक में लाये जा रहे ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती संशोधन विधेयक 2024’ क़ानून के तहत सरकार सालाना एक करोड़ से अधिक आय वाले मंदिरों से आय पर दस प्रतिशत टैक्स ले सकेगी जबकि दस लाख से एक करोड़ तक की आय वाले मंदिरों से 5 प्रतिशत टैक्स लिया जा सकेगा.
बीजेपी ने इस विधेयक के बाद कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने के आरोप लगाये हैं जबकि इन आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि ये एक्ट पहली बार 2003 में ही लाया गया था.
पुजारियों ने किया विरोध
विधेयक में कहा गया है कि एकत्रित धन को ‘राज्य धार्मिक परिषद’ द्वारा प्रशासित एक साझा कोष में डाला जाएगा, जिसका उपयोग पांच लाख से कम आय वाले ‘सी’ श्रेणी के मंदिरों (राज्य नियंत्रित) के अर्चकों (पुजारियों) के कल्याण के लिए किया जाएगा. विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष कोटा श्रीनिवास पुजारी ने पुजारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के कदम का स्वागत किया, हालांकि मंदिरों द्वारा अर्जित राजस्व के दुरुपयोग का विरोध किया.
-एजेंसी
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