लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त मंशा के अनुरूप खाद्य एवं पेय पदार्थों में मिलावट पर प्रभावी अंकुश लगाने की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश में अब बड़े मिलावटखोरों का न सिर्फ कानूनी कार्रवाई से सामना होगा, बल्कि उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया जाएगा। इसके तहत जिलों के प्रमुख स्थानों पर इन मिलावटखोरों के फोटो और नाम सहित होर्डिंग्स लगाए जाएंगे, ताकि आम जनता जागरूक हो सके और ऐसे लोगों से सावधान रहे।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) की आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है प्रदेश को मिलावटमुक्त बनाना। इसी उद्देश्य से अब ऐसे तत्वों की सार्वजनिक पहचान कराई जाएगी, ताकि समाज में उनकी गतिविधियों को लेकर जागरूकता फैले।
डॉ. जैकब ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 की धारा 64(2) में स्पष्ट प्रावधान है कि न्यायालय अपराधी का नाम, पता, अपराध का विवरण और उस पर लगाई गई सजा को उसके खर्चे पर समाचार पत्रों या अन्य माध्यमों में प्रकाशित करा सकता है। यह प्रकाशन खर्च दोषसिद्धि की लागत का हिस्सा माना जाएगा और जुर्माने की तरह वसूला जा सकेगा।
आयुक्त ने यह भी निर्देश दिए हैं कि अपर जिलाधिकारी (न्याय), न्याय निर्णायक अधिकारी और न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालयों में विचाराधीन खाद्य एवं पेय पदार्थों से संबंधित मामलों में निर्णय के समय इस प्रावधान को ध्यान में रखा जाए। उन्होंने कहा कि अदालतों को अधिनियम की धारा 64(2) के प्रावधानों से अवगत कराना आवश्यक है ताकि दोषी मिलावटखोरों को कानूनी दंड के साथ सामाजिक जवाबदेही का भी सामना करना पड़े।
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