डॉ. भानु प्रताप सिंह
आगरा। वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने 17 जनवरी 2023 से लगभग ढाई वर्ष बाद ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि ग्रह की गोचरीय चाल परवर्तित हो रही है। इस सन्दर्भ में गहराई से बताते हुए कहा कि वर्ष 2023 में 17 जनवरी से कुछ चुनिंदा राशियों की शनि की ढैय्या एवम शनि की साढ़े साती का प्रकोप काफी पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा। कुछ राशियों पर 17 जनवरी 2023 से शनि की ढैय्या एवं शनि की साढ़े साती का प्रकोप आरम्भ होगा।
पण्डित प्रमोद गौतम ने बताया कि 17 जनवरी 2023 से ढाई वर्ष बाद तुला राशि की चतुर्थ ढैय्या का प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो जाएगा इसके साथ ही 17 जनवरी 2023 से मिथुन राशि के व्यक्तियों पर से शनि की अष्टम ढैय्या का प्रकोप भी पूरी तरह खत्म होगा। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि 17 जनवरी 2023 से तुला और मिथुन अर्थात दोनों राशियों पर से शनि की ढैय्या पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। इसके साथ ही 17 जनवरी 2023 से धनु राशि के व्यक्तियों पर से शनि की साढ़े साती का प्रकोप पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। कुम्भ और मकर राशि पर शनि की साढ़े साती का प्रकोप अभी चलता रहेगा। कुंभ राशि को अभी 5 वर्ष तक शनि की साढ़े साती का प्रकोप और रहेगा जबकि 17 जनवरी 2023 से मकर राशि के व्यक्तियों पर ढाई वर्ष की आखिरी चरण की साढ़े साती अभी और रहेगी।
एस्ट्रोलॉजर गौतम ने बताया कि 17 जनवरी 2023 से वृश्चिक राशि के व्यक्तियों पर शनि की चतुर्थ ढैय्या एवम कर्क राशि के व्यक्तियों पर शनि की अष्टम ढैय्या का प्रकोप आरम्भ हो जाएगा। इसके साथ ही मीन राशि के व्यक्तियों पर शनि की साढ़े साती का ढाई वर्ष का प्रथम चरण का प्रकोप आरम्भ हो जाएगा। मीन राशि के व्यक्तियों के लिए 17 जनवरी 2023 से शनि की साढ़ेसाती का ढाई वर्ष प्रथम चरण का प्रकोप स्वास्थ्य एवं व्यापार के दृष्टिकोण से मीन राशि के व्यक्तियों के लिए नुकसान-दायक रहने की प्रबल संभावना है। इसलिए मीन राशि के व्यक्ति 17 जनवरी 2023 से आने वाले ढाई वर्षों तक स्वास्थ्य के मामले में अपना विशेष ध्यान रखें और साथ ही व्यापार में ज्यादा जोखिम न उठाएं। अपने कार्यस्थल पर किसी से ज्यादा न उलझें, न ही ज्यादा किसी भी मामले में अधिक वाद-विवाद करें। शनि मंत्र का नित्य आधा घंटे जाप करते रहें।
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि 17 जनवरी 2023 से कर्क राशि के व्यक्तियों पर शनि की अष्टम ढैय्या का प्रकोप ढाई वर्षों तक रहेगा। इस दौरान कर्क राशि के व्यक्ति अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और इसके साथ ही अपनी वाणी का का भी सही उपयोग करें, क्योंकि शनि की अष्टम ढैय्या कुटुम्ब से विरोधाभास की स्थिति वाणी के द्वारा ही प्रदान करती है। कभी-कभी गम्भीर स्वास्थ्य संकट भी प्रदान करती है इसलिए कर्क राशि के व्यक्ति स्वास्थ्य के मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें।
एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने वैदिक हिन्दू ज्योतिष के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों एवम वर्ष 2023 में वृश्चिक राशि के व्यक्तियों पर शनि की चतुर्थ ढैय्या के आरम्भ होने के कारण, वृश्चिक राशि के व्यक्तियों को अप्रैल 2024 तक विशेष सावधानी बरतने की प्रबल आवश्यकता है। इस पृथ्वी लोक पर जिस नक्षत्र में व्यक्ति का जन्म होता है उस नक्षत्र के आधार पर जो अक्षर निकलते हैं उस अक्षर के आधार पर जो नाम उस व्यक्ति का रखा जाता है वो ही व्यक्ति की असली जन्म राशि मान्य होती है। वैदिक हिन्दू ज्योतिष के अनुसार, उसी राशि के आधार पर ही ब्रह्माण्ड में शनि की परवर्तित गोचरीय चाल के दौरान शनि की साढ़े साती एवं शनि की ढाई वर्ष तक चलने वाली शनि की ढैय्या की अवधि मान्य होती है। बोलता हुआ नाम व्यक्ति का कभी-कभी कुछ भी हो सकता है, लेकिन अगर बोलता हुआ नाम व्यक्ति के जन्म नक्षत्र के अक्षर के आधार पर नहीं रखा गया है, तो वह वैदिक हिन्दू ज्योतिष के अनुसार उस व्यक्ति की असली चन्द्र राशि नहीं मानी जाती है। इसलिए जिन व्यक्तियों को जन्म नक्षत्र के आधार पर निकलने वाले अक्षर के आधार पर निर्धारित होने वाली चन्द्र राशि की अगर सही जानकारी नहीं है तो वह व्यक्ति वर्तमान के अपने बोलते हुए नाम को अपनी असली राशि मानने की भूल न करें। वैदिक हिन्दू ज्योतिष 27 नक्षत्रों एवं चन्द्रमा के आधार पर ही राशियों को निर्धारित करता है। चन्द्रमा की गति सबसे तेज होती है, वो एक राशि से दूसरी राशि में ढाई दिन में ही अपना स्थान परिवर्तन कर लेता है। जबकि सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में एक माह बाद स्थान परिवर्तन करता है। विदेशी ज्योतिष सूर्य के आधार पर राशियों को प्रधानता देते हैं। लेकिन भारतीय वैदिक हिन्दू ज्योतिष चन्द्रमा को प्रधान मानता है। इसलिए चन्द्रमा की स्थिति के आधार पर ही किसी व्यक्ति की चन्द्र राशि मान्य होती है।
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि तुला राशि के व्यक्तियों पर वर्तमान में 24 जनवरी 2020 से शनि की चतुर्थ ढैय्या चल रही है जो कि 16 जनवरी 2023 को पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। इसके बाद 17 जनवरी 2023 से वृश्चिक राशि के व्यक्तियों पर शनि ग्रह चतुर्थ ढैय्या का प्रभाव 17 जनवरी 2023 से लेकर आने वाले ढाई वर्षों के लिए आरम्भ हो जाएगा। इसलिए 17 जनवरी 2023 से लेकर आने वाले ढाई वर्षों तक की अवधि में सभी वृश्चिक राशि के व्यक्तियों को अपने घरेलू मामलों में शांति और धैर्य से कार्य करने की जरूरत है। और इसके साथ ही वृश्चिक राशि के व्यक्तियों के लिए ब्रह्माण्ड के अति शुभ ग्रह देवगुरू बृहस्पति भी 22 अप्रैल 2023 से गोचरीय परवर्तित चाल में एक वर्ष की अवधि के लिए वर्तमान की अपनी स्वराशि मीन से मेष राशि में अपना गोचरीय परिवर्तन करेंगे जो कि वृश्चिक राशि के व्यक्तियों के लिए गोचर में देवगुरू बृहस्पति अशुभ भाव छठवें स्थान में रहेंगे अर्थात शत्रु, रोग एवं ऋण वाले भाव में स्थित हो जाएंगे जिसके परिणामस्वरूप वृश्चिक राशि के व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य का 22 अप्रैल 2023 से लेकर आने वाले एक वर्ष तक विशेष ध्यान रखने की प्रबल आवश्यकता होगी। इसके साथ ही इस दौरान उन्हें अपने कुछ अति विश्वसनीय व्यक्तियों से भी सावधानी बरतने की प्रबल आवश्यकता होगी, क्योंकि परिवार का खास व्यक्ति ही उनके विरुद्ध गुप्त रूप से षड्यंत्र को रचने की संभावना 22 अप्रैल 2023 से लेकर आने वाले एक वर्ष तक बनी रह सकती है। वृश्चिक राशि के व्यक्ति 22 अप्रैल 2023 से देवगुरु बृहस्पति की अशुभ चाल के साथ-साथ 17 जनवरी 2023 से शनि की चतुर्थ ढैय्या से भी ढाई वर्षों के लिए प्रभावित हो जायेंगे, इसलिए उन्हें अपने अति विश्वसनीय व खास रिश्तेदारों और परिचित व्यक्तियों से 22 अप्रैल 2023 से लेकर लगभग अप्रैल 2024 तक विशेष सावधानी बरतने की प्रबल आवश्यकता है।
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