आज शिक्षक दिवस पर में समस्त गुरु और शिक्षकों को प्रणाम करता हूँ, जिन्हें शास्त्रों में भी माता-पिता व भगवान के बराबर का दर्जा दिया गया है। माता-पिता बच्चे को जीवन देते हैं और शिक्षक बच्चे रूपी कच्ची मिट्टी को एक कुम्हार की तरह उसको जीवन में ज्ञान, चरित्र, समृद्धि से परिपूर्ण करते हुए उसको विकसित करते हैं। फिर यतही बालक परिवार के लालन-पालन, समाज उत्थान और राष्ट्र के निर्माण में सहायक होता है।
चाणक्य जैसे महान शिक्षक ने कहा था कि अगर एक सामर्थ्यवान शिक्षक हो तो वह एक सामर्थ्यशाली राष्ट्र का निर्माण कर सकता है| अतः किसी भी राष्ट्र के निर्माण, समाज और व्यक्तित्व के विकास के लिए शिक्षक की बहुत बड़ी भूमिका होती है। इसी कारण शिक्षक को सर्वोच्च स्थान पर बताया गया है| हमारे भारत में शिक्षकों के महत्व को सम्मान देने के लिए भारत रत्न व पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। अच्छा कार्य करने वाले शिक्षकों को इस दिन सम्मानित किया जाता है।
शिक्षक का सम्मान क्या होता है, इसे हम एक कथा के दृष्टांत के माध्यम से समझ सकते हैं। स्वर्गीय शंकर दयाल शर्मा पूर्व राष्ट्रपति अपनी आधिकारिक यात्रा पर मस्कट गए। वहां पर ओमान के राजा द्वारा कभी भी किसी को रिसीव करने नहीं जाता है पर पूर्व राष्ट्रपति को न केवल रिसीव किया बल्कि वह खुद राष्ट्रपति को साथ लेकर आए। साथ ही उन्होंने उनके लिए कार का दरवाजा खोला और उस कार को खुद चला कर लाए। ओमान के राजा ने कहा कि जब मैं भारत में पुणे में पढ़ता था तो शंकर दयाल शर्मा मेरे प्रोफेसर थे। ऐसे प्रोफेसरों का सम्मान करने वाले राजाओं से हमें सीख लेनी चाहिए और सदैव गुरुओं का सम्मान करना चाहिए।
हम सभी जानते हैं भारत वर्ष में शिक्षक व छात्र का एक बहुत ही पवित्र व सम्मानजनक रिश्ता है। महान यूनानी दार्शनिक अरस्तु का यह कथन हमेशा दिमाग में रहता है कि जो शिक्षक बच्चों को अच्छी शिक्षा देते हैं उन लोगों के मुकाबले ज्यादा सम्मान के हकदार हैं जो उनको पैदा करते हैं। माता-पिता सिर्फ बच्चों को जन्म देते हैं और शिक्षक उनको जीवन में आने वाली कठिनाइयों अच्छे से जीवन जीने का तरीका बताते हैं। शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन के वास्तविक कुम्हार होते हैं जो न सिर्फ हमारे जीवन को आकार देते हैं बल्कि हमें इस काबिल बनाते हैं कि हम पूरी दुनिया में अंधकार होने के बाद भी प्रकाश की तरह जलते रहें। इस वजह से हमारा राष्ट्र ढेर सारे प्रकाश के साथ प्रबुद्ध हो सकता है। इसलिये, देश में सभी शिक्षकों को सम्मान दिया जाता है।
आज जब पूरा विश्व भौतिकवाद की चपेट में है और पतन की ओर जा रहा है तो उससे शिक्षक भी कैसे अछूते रहते। आज शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को भी मंथन करना पड़ेगा कि जब वह एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण व नागरिकों के चरित्र के निर्माण के कुम्हार हैं तो उन्हें अपनी सामर्थ्य को न केवल बढ़ाना होगा बल्कि दूसरे शिक्षकों के गिरते हुए स्तर को भी उठाना होगा|
आज आर्थिक और भौतिक युग में शिक्षक सम्मान को बरकरार रखें, छात्र के साथ-साथ उनके अभिभावकों की भी जिम्मेदारी है अगर हम शिक्षकों का सम्मान नहीं करेंगे तो चारित्रिक छात्र की उम्मीद व सामर्थ्यवान राष्ट्र की उम्मीद करना बेईमानी होगी। कविवर कबीर का यह दोहा हमें गुरु की महत्ता बताता है।
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय॥
शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को बहुत-बहुत बधाई व मंगल स्वास्थ्य की कामना।
राजीव गुप्ता ‘जनस्नेही’
लोकस्वर, आगरा
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