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आगरा विकास मंच का निःशुल्क हृदय रोग शिविरः 100 मरीज देखे, 15 का मैक्स हॉस्पिटल में सर्जरी के लिए चयन

HEALTH

ब्रह्मकला जी की 87वीं जयंती पर लगाया निःशुल्क हृदय रोग जांच शिविर

उनके जीवन से सेवा और संस्कार की प्रेरणा लेने का आह्वान किया गया

जैन साध्वी वैराग्य निधि ने संथारा साध्वी ब्रह्मकला को कोहिनूर हीरा बताया

दिल्ली से आए हृदय रोग विशेषज्ञ, सभी प्रकार की जांचें निःशुल्क की गईं

Agra, Uttar Pradesh, India. आगरा विकास मंच के चिकित्सा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित 80वें निःशुल्क हृदय रोग शिविर में 100 से अधिक मरीज देखे गए। 15 मरीजों का चयन हार्ट सर्जरी के लिए किया गया। मैक्स हॉस्पिटल, साकेत, दिल्ली में बाईपास सर्जरी की जाएगी। यह शिविर संथारा साध्वी ब्रह्मकला जी की 87वीं जयंती पर जैन दादाबाड़ी में लगाया गया। शिविर में सभी जांचें निःशुल्क की गईं। उद्घाटन समारोह में ब्रह्मकला जी के जीवन से सेवा की प्रेरणा लेने का आह्वान किया गया। साध्वी वैराग्य निधि ने संथारा साध्वी ब्रह्मकला जी को कोहिनूर हीरा बताया।

 

इन चिकित्सकों ने दी सेवाएं, दीप प्रज्ज्वलि

दिल्ली से डॉ. राहुल चंदोला और डॉ. विवेका कुमार की टीम से आए डॉ. ओम प्रकाश, डॉ. बीके अग्रवाल, डॉ. रमेश धमीजा, डॉ. विजय कत्याल, डॉ. अरुण जैन, डॉ. विकास जैन आदि ने मरीजों का परीक्षण किया। डॉ. ओम प्रकाश ने कहा कि आगरा विकास मंच के लिए सदैव सेवा देने को तैयार हैं। शुभारंभ भगवान महावीर और संथारा साध्वी ब्रह्मकला जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण से हुआ। अध्यक्ष राजकुमार जैन, संयोजक सुनील कुमार जैन, जयराम दास, अम्बरीश पटेल आदि ने दीप प्रज्ज्वलित किया। अरविन्द शर्मा गुड्डू, शांतिदूत बंटी ग्रोवर, दुष्यंत जैन, दिनेश चौरड़िया, विमल जैन, ममता जैन आदि ने कैम्प में सहयोग किया।

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हृदय रोग शिविर का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन करते राजकुमार जैन। साथ में हैं सुनील कुमार जैन, डॉ. बीके अग्रवाल, डॉ. अरुण जैन, डॉ. विजय कत्याल, अंबरीश पटेल आदि।

आज भी बाई जी का साथ सदेह अवस्था में अनुभव कर रहे

साध्वी वैराग्य निधि ने कहा कि किसी को मौत जबरन छुड़ाती है और कुछ ऐसे कोहिनूर हीरे होते हैं कि उनकी मौत सारे संबंधों को काट देती है, जिन संबंधों को हम बनाते हैं और बहुत अच्छे से अदा भी करते हैं। संथारा साधिका साध्वी ब्रह्मकला जी ने यही किया। व्यक्ति चला जाता है किन्तु उनकी यादें शेष रह जाती हैं, जिस कारण वह अनुपस्थित रहते हुए भी उपस्थित रहता है। हो सकता है वह सदेह अवस्था में हमारे साथ न हो किन्तु अंत समय बाई जी (संथारा साध्वी ब्रह्मकला जी) का हाथ आशीर्वाद देने के लिए उठा, यह पूर्वा जी ने बताया तो मुझे रोमांच हो रहा था। उससे अभी अधिक धन्यवाद कृतज्ञता की भावना है कि आज भी बाई जी का साथ सदेह अवस्था में अनुभव कर रहे हैं।

 

हमारे पुण्य कर्मों का उदय

उद्घाटन समारोह में आगरा विकास मंच के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने कहा कि 2004 से आगरा विकास मंच मानव सेवा के लिए समर्पित होकर सेवाएं दे रहा है। मां ने हमको खराब और अच्छी परिस्थितियों में देखा। हमारे पुण्य कर्मों का उदय है कि हमने महान आत्मा संथारा साध्वी ब्रह्मकला जी के यहां जन्म लिया। उन्हीं के संस्कार परिवार में हैं। चौथी पीढ़ी होने के बाद भी एक किचन है।

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आगरा विकास मंच के सेवाभावी चिकित्सक।

तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं है कोई

वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. बीके अग्रवाल ने कहा कि ब्रह्मकला जी ने हमें सदैव मां की तरह आशीर्वाद दिया। अशोक जैन सीए ने हमें समाजसेवा सिखाई। उन्होंने सुशील जैन सीए को याद किया जिन पर अशोक जैन सीए हर कैम्प की जिम्मेदारी डालते थी। डॉ. विकास जैन ने अपने पारिवारिक संबंधों का उल्लेख किया। डॉ. अनुपमा शर्मा ने कैफी आजम का शेर कहा- रहने को सदा दहर (संसार) में आता नहीं है कोई, तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं है कोई..।  डॉ. विजय कत्याल ने विचार रखे।

 

हम बच्चों को अच्छे और बुरे का ज्ञान दिया

ब्रह्मकला जी की पुत्रवधु पूर्वा जैन ने कहा कि बाई जी की सोच रूढ़िवादी नहीं थी। हर क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रेरित किया। त्योहार मनाने का बहुत शौक था। उन्होंने सिखाया कि सकारात्मक देखो और आगे बढ़ते रहो। विषम परिस्थितियों का सामना करो। उन्हें पता रहता था कि किसने घर में खाना खाया और किसने नहीं खाया। सबको गाइड करतीं। सबका बहुत विश्वास था। हम बच्चों को अच्छे और बुरे का ज्ञान दिया, जिससे हम संस्कारित हुए हैं। गरीबों के प्रति करुणा का भाव था। फैक्ट्री के कर्मचारी भी दिल से आदर करते थे, दिखाने के लिए नहीं। आज भी सब याद करते हैं। मूक पशुओं के प्रति सेवा का भाव रहता था। अंतिम समय में जब मैं और आशीष इंदौर से लौटकर आए तो आशीर्वाद देने के लिए हाथ उठाया और यह क्षण हमेशा हमारे जीवन में रहेगा।

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जैन साध्वी वैराग्य निधि महाराजद ने उद्घाटन समारोह को संबोधित किया।

तुम बेसहारा हो तो तुम किसी को सहारा बनो

संचालन करते हुए महेन्द्र जैन ने साध्वी यशस्वी जी, साध्वी ओम जी श्री, डॉ. सुनील शर्मा, मंच के महामंत्री सुशील जैन सीए, प्रवक्ता संदेश जैन का संदेश पढ़कर सुनाया। उन्होंने भजन सुनाया- तुम बेसहारा हो तो तुम किसी को सहारा बनो, तुम को अपने आप ही सहारा मिल जाएगा…। इस भजन ने हर किसी को भावविभोर कर दिया।

 

बेटा बाप से सवाया

वैराग्य निधि महाराज ने कहा कि पिता और गुरु जाते नहीं हैं, पुत्र और शिष्य के रूप में वे पुनः जीवित हो जाते हैं। बाई जी और अशोक भाईसाहब (अशोक जैन सीए) नहीं रहे लेकिन उनके पीछे राजकुमार जैन, सुनील कुमार जैन और आशीष जैन उनके आदर्शों को जीवंत रख रहे हैं। कहा जाता है कि बेटा बाप से सवाया, इस आधार पर आगरा विकास मंच का काम और गति से बढ़ रहा है।

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मरीज देखते वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. बीके अग्रवाल

सबसे कर ले प्यार जगत में कोई नहीं पराया

साध्वी महाराज ने बताया कि ब्रह्मकला जी की पहली जयंती पर 50 महिलाओं का ऑपरेशन कराया गया। जब किसी के आंसू पोंछते हैं या किसी की सहायता करते हैं तो हमारे हृदय में प्रसन्नता का ज्वार उठता है, तो दुख उनका दूर और खुशियां हमको मिलीं। सबके दिल में हमारा स्थान बनता है तो हमें सबका सकारात्मक चैतन्य मिलता है। यह स्थान कब बनता है, जब हम दो हमारे दो से बाहर निकलकर सब अपने लगते हैं। मुझमें राम, तुझमें राम, सबमें राम समाया, सबसे कर ले प्यार जगत में कोई नहीं पराया। एक मंदिर में भगवान होते हैं जो मूर्ति के रूप में स्थापित होते हैं और ये चलते-फिरते भगवान होते हैं जिनको हम देख नहीं पाते लेकिन ये विजन दिया है भगवान महावीर ने। भगवान महावीर ने कहा है- जो बीमार की सेवा करते हैं वह साक्षात मेरी सेवा करता है। नर सेवा नारायण सेवा है। जिस भाव से हम मंदिर में भगवान की सेवा-पूजा करते हैं, उसी भाव से हॉस्पिटल में जाकर जन्मदिन या अन्य उत्सव मनाते हैं तो उनकी आशीर्वाद और दुआएं मिलती हैं। प्रैक्टिकल धर्म उसे कहा जाता है जब वृद्ध का सूटकेस हमने उठा लिया।

 

ब्रह्मकला जी ने परमात्मा का सत्यमार्ग स्वीकार किया

उन्होंने अवगत कराया कि साध्वी ब्रह्मकला पर माता के रूप में, जिस उम्र में सांसारिक सदाबहार स्थिति होती है, उस समय कुदरत का कहर बरपा। सिर्फ 38 वर्ष में तीन छोटे बच्चों को छोड़कर पिताजी चले गए। कोई अन्य हो तो अवसाद में चला जाए लेकिन ब्रह्मकला जी ने अपना मनोबल थामकर रखा। पिताजी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर साथ दिया। आज जो कुछ हैं, उनकी कृपा से हैं। मृत्यु हमें जबरन छुड़ाए, उससे पहले ही शरीर के मोह का त्याग करना संथारा होता है। मोह तामसिक होता है। जब किसी की आर्थी निकालते हैं तो राम नाम सत्य है, सत्य बोले गत है, जब एक मुर्दे को सुनाया जाता है तो क्यों न ऐसा हो कि जीते जी इस सत्य को स्वीकार कर लें। राम, कृष्ण, महावीर सब एक हैं। साध्वी ब्रह्मकला जी ने दो वर्ष पूर्व ही कह दिया था कि मुझे संथारा करना है। यह परमात्मा का सत्यमार्ग है, जिसे साध्वी ब्रह्मकला जी ने स्वीकार किया।

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दिल्ली से आए चिकित्सक का स्वागत करते महेन्द्र जैन। साथ में राजकुमार जैन और सुनील कुमार जैन।

आशीर्वाद दिया

वैराग्य निधि महाराज ने  प्रारंभ में कामना की- ऐसी दशा हो भगवन, जब प्राण तन से निकले, तेरौ नाम मुख से निकले..। अंत में आगरा विकास मंच और जैन परिवार को को शुभकामनाएं दीं कि अपनी शक्तियां मानवसेवा में लगाते चले जाएं।

Dr. Bhanu Pratap Singh