alka singh agra

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में ‘आगरा की भगत’ गूंजी, लोक कलाकार अलका सिंह को शाबासी तो बनती है

ENTERTAINMENT

अलका सिंह नटरांजलि थिएटर आर्ट्स की निदेशक हैं

अंतरराष्ट्रीय ताजरंग महोत्सव के कारण खासी चर्चित

झंकार ललित कला एकेडमी ढाका ने किया सम्मानित

यह खबर बांग्लादेश की राजधानी ढाका से है। यहां देश-विदेश में रंगकर्म से प्रसिद्ध अलका सिंह ने आगरा ही नहीं, भारत का मान बढ़ाया है। आगरा की लोक कला ‘भगत’ के बारे में बांग्लादेश को जानकारी दी। इस बारे में एक सत्र उनके नाम रहा। जिद की पक्की अलका सिंह नटरांजलि थिएटर आर्ट्स (एनटीए, आगरा) की संस्थापक निदेशक हैं। अंतरराष्ट्रीय ताजरंग महोत्सव के कारण वे खासी चर्चित हैं। इस महोत्सव में नए देश- विदेश के नामी कलाकारों के साथ आगरा के नवोदितों को भी मंच प्रदान करती हैं। उन्होंने रंगकर्म में बॉलीवुड को नृत्य को भी शामिल किया है। आगरा के अन्य रंगकर्मी उन्हें सहयोग नहीं करते हैं, फिर भी अंतरराष्ट्रीय ताजरंग महोत्सव का स्वरूप हर वर्ष विशाल होता जा रहा है। हमें गर्व है कि अलका सिंह आगरा में निवासरत हैं।

संगीत-नृत्य सभागार, शिल्प कला एकेडमी ढाका में झंकार ललित कला एकेडमी ने अपने 56वें स्थापना दिवस के अवसर सांस्कृतिक कार्यक्रम किए। समारोह में झंकार ललित कला एकेडमी ढाका, बांग्लादेश ने नटरांजलि थियेटर आर्ट्स (एनटीए आगरा) की संस्थापक-निदेशक अलका सिंह को सेलीब्रिटी गेस्ट के रूप में 2 जनवरी से 7 जनवरी 2023 तक सांस्कृतिक यात्रा पर ढाका आमंत्रित किया गया।

alka singh
लोक कलाकार अलका सिंह का बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सम्मान।

इसी श्रृंखला में बुधवार 4 जनवरी को सांस्कृतिक समारोह से पूर्व सांस्कृतिक गोष्ठी में भी मुख्य वक्ता रहीं। अलका सिंह ने आगरा की लोक नाट्य विधा भगत के पर अपना संबोधन दिया। स्मृति चिह्न, मैगज़ीन एवं पुष्प गुच्छ भेंट कर अलका सिंह को एकेडमी द्वारा सम्मानित किया गया। यह सम्मान एकेडमी की डायरेक्टर फातिमा कासिम ने प्रदान किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड के प्रथम सचिव खंडकर नजमुल हक, विशिष्ट अतिथियों में ढाका के कला जगत की जानी मानी हस्तियां भी उपस्थित रहीं। मुख्य रूप से नृत्य शिल्पी तबस्सुम अहमद, संगीताचार्य असीत कुमार देव, नजमूल हक, नसरीन हक लीला, मीली रहमान, गायिका शाहीनूर हक, नसरीन हक लिजा, कनाडा से कवि जसुमुद्दीन, सादिया जन्नत तंजी सिंगर, याफी सूमी, मुस्ताफिजुर रहमान मिंटो एवं अबुल बशर आजाद शाहीन कल्चरल सेकेट्री की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

Dr. Bhanu Pratap Singh