मथुरा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित भंवर सिंह शर्मा का जन्म राजस्थान की धरती पर गांव पहुआ, जिला भरतपुर में हुआ था। चार साल की उम्र में अपने माता पिता का साया सर से उठ जाने के बाद उनके मामा द्वारा गोवर्धन थाना के सामने बने किशोर अनाथालय में दाखिल कर दिया गया। 15 वर्ष की आयु में आजादी के लिए लड़ते हुए लोगों को देखकर उनके भीतर देश भक्ति इस कदर जागी की वो भी उस आजादी की लड़ाई में कूद गए। उसके लिए उन्होंने बिजली के तार काटे, रेल की पटरी उखाड़ी, अंग्रेजों की सभा भंग की। जिसकी वजह से वो कई बार पुलिस के द्वारा पकड़े गए और सजा हुई। ये स्वतंत्रता का सूरज 27 अगस्त 2016 को अस्त हो गया। उनके आजादी की किस्से और उनकी यादें जिंदा रखने के लिए पं भंवर सिंह शर्मा के ज्येष्ठ पुत्र पं कैलाश चंद्र मिश्रा द्वारा गोवर्धन में श्री लक्ष्मी नृसिंह नवग्रह वाटिका में अपने पिताजी के नाम से स्वतंत्रता सेनानी स्मारक एवं श्रद्धांजलि स्थल बनाया जा रहा है। जिसमें गोवर्धन के 24 स्वतंत्रता सेनानियों की नाम पट्टिका लगाई जाएगी। ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी ये याद रहे कि गोवर्धन के भी लोगों ने अंग्रेजों से लोहा लेने में अपनी कोई कसर बाकी नही छोड़ी थी।
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