Agra, Uttar Pradesh, India. आगरा पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कुख्यात सट्टेबाज अंकुश मंगल उर्फ अंकुश अग्रवाल के खिलाफ कुर्की औऱ संपत्ति जब्तीकरण की कार्रवाई को अंजाम दे डाला । भारी पुलिस बल के साथ जिलाधिकारी आगरा प्रभु एन सिंह के आदेश पर एसीएम फर्स्ट रामप्रकाश ने क्षेत्र में मुनादी करा कर आरोपी की संपत्ति जब्तीकरण की घोषणा की। एसीएम के मुताबिक, शातिर सट्टेबाज अंकुश मंगल के तीन मकान , एक प्लॉट व कई बैंक खातों को पुलिस के जब्त औऱ कुर्क किया है । सीजर की ये कार्रवाई 14A के तहत की है । थाना कमलानगर के बृजधाम फेस वन में कार्रवाई को अमली जामा पहनाया गया ।
14 साल की उम्र में घर से भागा था
आगरा। हारने का डर और जीतने की उम्मीद इन दोनों के बीच जो एक टेंशन वाला वक्त होेता है न कमाल का होता है… खिलाड़ी खेल खेलते हैं और में खिलाड़ियों के साथ खेलता हूं, जो हारता है वही जीतने का मतलब जानता है…। जो आदमी लिमिट में रहता है वह जिंदगी भर लिमिट में रह जाता है। सिर्फ रन मत बनाओ…पैसा भी बनाओ पैसा पैसे को खींचता है। वर्ष 2008 में रिलीज बॉलीवुड की जन्नत फिल्म के यह डायलॉग कमला नगर के सट्टा किंग पर फिट बैठते हैं। 14 साल की उम्र में घर से एक हजार रुपये लेकर भागा सट्टा किंग आज करोङों में खेल रहा। इसके सिखाये हुए सटोरिये जिले में स्लीपर सैल की तरह काम कर रहे थे। युवाओं को ऐसी लत लगाई है कि शहर का हर बीसवां व्यक्ति सट्टे के धंधे में लिप्त हो गया। इसके इस धंधे को आगे बढ़ाने में पुलिस-प्रशासन की संलिप्ता भी अहम रही है।
जगनेर से भागा था मुबई
कमला नगर निवासी सट्टा किंग अंकुश अग्रवाल मूलरूप से जगनेर क्षेत्र का रहने वाला है। इसी के साथ रहने वाले व्यक्ति ने बताया कि यह सटोरिये नई पीढ़ी को खोखला कर रहे हैं। वह चाहता था कि इनके धंधे पूरी तरह से बंद हो जाये। पुलिस के पास जाने से कोई फायदा नहीं था । पुलिस इनको बढ़ाने में मददगार रही है। आईएएस और आईपीएस तक के अधिकारी इसकी जेब में रहते थे। इसका उदाहरण एक साल पहले श्याम बोहरा को पकड़ने के बाद जो 67 सटोरियों की लिस्ट एसएसपी ने निकाली थी। आखिर उसका क्या हुआ। अकेले श्याम बोहरा पर ही कार्रवाई सिमटकर रह गई। उसके बाद भी बोहरा अब दिल्ली से बैठकर अपना नेटवर्क चला रहा है। अन्य सभी सटोरियों से एक मोटी रकम एकत्रित कर सत्ताधारियों पर पहुंचा दी गई। उसके बाद अधिकारी भी हां में हा मिलाने लगे। कुछ ने तो अपनी जेब गर्म करने में ही भलाई समझी। कमला नगर का सटा किंग 14 साल की उम्र में अपनी बुआ के लड़के के साथ घर में रखे एक हजार रुपये लेकर मुंबई भाग गया था। वहां जाने का मतलब सिर्फ घूमना फिरना और जल्द ही रहीश बनने का फार्मूला तलाश करना था।
कारगिल निवासी गैंगस्टर ने दी थी सलाह
मुंबई से लौटकर दोनों फुफेरे भाई घर इसलिए नहीं गये कि मार पड़ेगी। उन्होंने अपने पुराने परचित जगनेर निवासी से संपर्क किया। काला इंदौर से भागकर कारगिल के पास रहने लगा था। इंदौर में उसपर कई मुकदमें आज भी दर्ज हैं। आगरा में चौहान हत्याकांड में भी वह नामजद हुआ था। उसने सट्टा किंग अंकुश अग्रवाल को एक किराये पर कमरा दिलवा दिया। मुंबई से लौटने के बाद दोनों पर कुल 300 रुपये बचे थे। काला की सलाह पर दोनों ने छोटा मोटा सट्टे का काम शूरू कर दिया। तंगहाली का आलम यह था कि ढाबे पर 20 रुपये वाली थाली इसलिए लेते थे कि उसमें सब्जी अधिक मिलती थी। दोनों पर खाने तक के लाले (रुपये कम पड़ जाते) थे।
लिखने के लिए बुलाये बुआ के लड़के
सट्टे के बाद जुआ भी खिलवाना शूरू कर दिया। इसमें लिखा-पढ़ी का काम था। वह दोनों ही दो से चार क्लास ही पढ़े हैं। इसलिए अंकुश अग्रवाल ने बिल्ला के दोनों सगे भाई लल्ला-बाबू (दोनों ही काल्पनिक नाम) को बुला लिया। लल्ला-बाबू पढ़े लिखे हैं। वह गद्दी पर लिखा-पढ़ी का काम देखने लगे। रंगा का काम चलने लगा। उसे चलने से संतोष नहीं वह दौड़ना चाहता था। काम को आगे बढ़ाने के लिए शहर की टॉप पॉश कॉलोनी कमला नगर की तरफ वर्ष 2004 में रूख कि या। कमला नगर में आने के बाद तो रंगा ने पीछे मुढ़कर नहीं देखा। काम बढ़ा तो रंगा ने अपने सगी मौसी के दो लड़कों को भी आगरा बुला लिया। एक को मटके का सट्टा लगाने का काम सौंपा और दूसरे को जुआ खिलवाने का दिया। दोनों बल्केश्वर में रहते हैं। इनमें से एक का नाम रंगा जैसा ही है। मौसी के लड़के ने रंगा के नाम का खूब फायदा उठाया।
15 लाख रुपये देकर हटावा ली गैंगस्टर
ऐसा नहीं हैं कि रंगा-बिल्ला, लल्ला-बाबू और मौसी के लड़कों को पुलिस ने पकड़ा नहीं, लेकिन रंगा की ऊंची पहुंच और शहर के टॉप वकीलों के चलते वह थाने से ही निकल आता था। जेल भी गया पुलिस ने शिकंजा कसने के लिए गैंगस्टर भी लगाई। न्यू आगरा क्षेत्र के एक टॉप वकील ने गैंगस्टर हटवाने के लिए 15 लाख रुपये लिये थे। गैंगस्टर हटवाने के लिए आलाधिकारियों से मध्यता खेरागढ़ के एक चर्चित नेता ने की थी। रंगा का जलवा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डीआईजी के साथ बैठकर वह शराब पीता था। सपा सरकार में एक आईपीएस ने फतेहाबाद रोड स्थित एक होटल पर छापा मार दिया था। रंगा के कहने पर ही उसके चेहते अधिकारी ने जुआ में पकड़े गये सभी को छुड़वा दिया था। आज भी उससे जुड़े अधिकारी कोई भी सामान सपने में सोच लेता है तो रंगा उसे हकीकत में पूरा कर देता है।
ब्लैक मनी को व्हाइट करने का तरीका
रंगा की बुआ के बिल्ला, लल्ला, बाबू और चुन्ना चार लड़के हैं। सबसे छोटे बेटे चुन्ना को भी रंगा ने इस धंधे में डाल दिया। दिखावे के लिए उसे संजय प्लेस स्थित एक शोरूम खुलवा दिया है। जिससे के वह दुनिया की नजरों में सफेदपोश बना रहे। बिल्ला आज भी सट्टे की दुनिया में लिप्त है। लल्ला को देहात क्षेत्र में डिग्री कॉलेज खुलवा दिया है। बाबू को राजनीति में उतार दिया है। उसके छोटे से चुनाव में रंगा ने करीब 80 लाख रुपये पानी की तरह बहा दिया था। उसे राजनीति में भेजने का मकसद सत्ता से जुड़े रहना है। चुनाव के दौरान कार्यालय पर शराब, कबाब, भंडारे के साथ अय्याशी का भी इंतजाम था। चुनाव भर उसके यहां भंडारा चला। लल्ला ने लव मैरिज की है। परिवार के लोगों ने उसे घर से निकाल दिया था, तो रंगा ने उसे सहारा दिया था।
रंगा की पत्नी को हुई गंभीर बीमारी
कहावत है कि बुरा पैसा कुछ दिनों के लिए लाभ तो दे सकता है, लेकिन दूरगामी परिणाम ठीक नहीं होते। रंगा की पत्नी को गंभीर बीमारी हुई । वह दो साल पहले आगरा छोड़ दिल्ली के पटेल नगर में शिफ्ट हो गया। हालांकि उसने अपना धंधा बंद नहीं किया । पूरा कारोबार बदस्तूर चल रहा था । करीब एक दर्जन लोगों की टीम उसके इस धंधे को संभाल रही थी। पत्नी के इलाज में लाखों रुपये खर्च कर चुका था। हालांकि वह रुपये हेल्थ इंशयोरेंश के तहत मिले। अंकुश अग्रवाल काफी बैनामी संपत्तियों का मालिक है। उसके यहां काम करने वाला कोई भी व्यक्ति दूसरी जगह काम नहीं कर पाता। वह कभी भी उनकों दुखी नहीं रखता था। उसकी उपेक्षा से अधिक वेतन और अय्याशी भी करता था ।
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