आगरा में भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर होगा चार दिवसीय समारोह: अमोल दीक्षित पुनः अध्यक्ष मनोनीत

RELIGION/ CULTURE

 एग्नीसीयो पब्लिक स्कूल शास्त्रीपुरम आगरा में हुई आयोजन समिति की बैठक

Live Story Time

Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
भगवान महर्षि परशुराम के जन्मोत्सव के पावन उपलक्ष्य में एक चार दिवसीय भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसकी रूपरेखा तय करने हेतु एक महत्वपूर्ण बैठक एग्नीसीयो पब्लिक स्कूल, बी ब्लॉक, शास्त्रीपुरम में सम्पन्न हुई। सर्वसम्मति से अमोल दीक्षित को पुनः अध्यक्ष चुना गया।

कार्यक्रम की रूपरेखा

बैठक में अमोल दीक्षित ने विस्तार से आगामी आयोजनों की जानकारी दी:

  • 30 अप्रैल 2025 को हवन पूजन का आयोजन किया जाएगा, जिससे वातावरण शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण होगा।
  • 2 मई 2025 को गौशाला कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसमें गौ सेवा के माध्यम से सनातन संस्कृति के मूल्यों को रेखांकित किया जाएगा।
  • 4 मई 2025 को वृक्षारोपण कार्यक्रम के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाएगा।
  • शोभायात्रा की तिथि पर निर्णय अगली बैठक में लिया जाएगा, जो 20 अप्रैल 2025 को निर्धारित है।

उपस्थित प्रमुख सदस्य

बैठक में विजय प्रकाश दीक्षित, विवेक मिश्रा, अनिल मुद्गल, ओ.पी. शर्मा, शिवम् शर्मा, आलोक शर्मा, श्याम किशोर दीक्षित, पंकज शर्मा और रवि शर्मा जैसे समर्पित कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिन्होंने आयोजन की सफलता हेतु अपने सुझाव प्रस्तुत किए।


भगवान परशुराम: एक संक्षिप्त परिचय

भगवान परशुराम, विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र परशुराम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। वे अद्वितीय योद्धा, विद्वान ब्राह्मण और धर्मरक्षक थे। उन्होंने अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना हेतु अनेकों बार धरती से अन्याय का अंत किया। परशु उनके अस्त्र का प्रतीक है, जिससे उन्हें “परशुराम” नाम मिला। वे आज भी अमर हैं और कल्कि अवतार को शिक्षा देने हेतु प्रतीक्षित हैं।


संपादकीय टिप्पणी

भगवान परशुराम केवल एक ऐतिहासिक महापुरुष नहीं, बल्कि हमारे सामाजिक और नैतिक मूल्यों के प्रतीक हैं। उनका जीवन साहस, न्याय और कर्मशीलता की जीवंत मिसाल है। इस प्रकार के आयोजन न केवल हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को प्रेरणा भी प्रदान करते हैं।

संस्कारों से जुड़ी सभ्यताओं की जड़ें कभी नहीं सूखतीं। परशुराम जयन्ती महज उत्सव नहीं, संस्कृति का उत्सव है

Dr. Bhanu Pratap Singh