करीब 500 करोड़ रुपए के घपले का एक मामला गुजरात से सामने आया है। इस घपलेबाजी के आरोप में गुजरात के पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई आज गुजरात में एंटी करप्शन ब्यूरो ने की है। एसीबी की टीम ने विपुल चौधरी और उनके सीए को पहले हिरासत में लिया था। जिसके बाद विपुल चौधरी को गिरफ्तार किए जाने की पुष्टि की गई।
विपुल चौधरी गुजरात में सहकारिता क्षेत्र के एक जाने माने नाम हैं। 1996 में वह शंकर सिंह वाघेला की सरकार में गृह मंत्री थे। विपुल चौधरी पर आरोप है कि दूध सागर डेयरी के चेयरमैन रहते हुए उन्होंने करीब 500 करोड़ रुपए की हेराफेरी की। विपुल चौधरी की गिरफ्तारी की पुष्टि एसीबी के संयुक्त निदेशक मकरंद चौहान ने की है। मकरंद ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट शैलेश पारिख को भी गिरफ्तार किया गया है। दोनों के पूछताछ की जा रही है।
2020 में गबन के एक दूसरे मामले में हो चुके गिरफ्तार
एसीबी के संयुक्त निदेशक ने बताया कि विपुल चौधरी के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाज़ी, आपराधिक साज़िश और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। मालूम हो कि इससे पहले चौधरी को गुजरात अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने 14.8 करोड़ रुपये का गबन के आरोप में 2020 में गिरफ्तार किया था। गबन का यह मामला भी दूधसागर डेयरी से जुड़ा था। बताया गया कि 14.8 करोड़ रुपए दूधसागर डेयरी के कर्मियों को बोनस के रूप में दिया जाना था।
घपलेबाजी के आरोप में ही पद से भी हटाए गए थे पूर्व मंत्री
विपुल चौधरी पहले गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) के अध्यक्ष भी थे। पशु चारा खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप में विपुल चौधरी को जीसीएमएमएफ और दूधसागर डेयरी से बर्खास्त किया गया था। मालूम हो कि जीसीएमएमएफ के पास अमूल ब्रांड का स्वामित्व है। एसीबी के अधिकारियों ने बताया कि विपुल चौधरी और उनके सीए शैलेश पारिख को कोरोना जांच के बाद गिरफ्तार किया गया।
कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा में रहे हैं विपुल चौधरी
विपुल चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने दूधसागर डेयरी के चेयरमैन पद पर रहते हुए दर्जनभर से अधिक बोगस कंपनियां बनाकर जालासाजी को अंजाम दिया। बताते चले कि विपुल चौधरी कांग्रेस के अलावा भाजपा में रह चुके हैं। वह कभी भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष का दायित्व भी संभालते थे, लेकिन बाद में शंकर सिंह वाघेला के खास हो गए थे। विपुल चौधरी 1995 में विधायक बने और फिर पहली बार केशुभाई पटेल की सरकार में मंत्री बनाए गए।
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