डॉ. भानु प्रताप सिंह
Agra, Uttar Pradesh, India. बड़े ही उत्साह के साथ भगवान टॉकीज में The Kashmir Files फिल्म देखने गए थे। यह फिल्म राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पा रही है। विवेक रंजन अग्निहोत्री द्वारा निर्मित फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, दर्शन कुमार जैसे कलाकार हैं। फिल्म की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी की है। उत्तर प्रदेश की तरह कई राज्यो में टैक्स फ्री है। इसलिए देखने की और इच्छा थी। ऑनलाइन बुकिंग कराई थी। परिवार के कुल सात लोग थे। भगवान टॉकीज को इसलिए चुना क्योंकि टिकट 100 रुपये का था। 20 रूपये सर्विस चार्ज के लगे। ढाई बजे पहुंच गए। आधा घंटा बाहर धूप में प्रतीक्षा करनी पड़ी। चारों ओर यूरिन की बदबू आ रही थी। तीन बजे प्रवेश मिला।
अंदर पहुंचे तो सोचा कि पहले लघुशंका से निवृत्त हो लें। लघु शंकालय इतना गंदा कि कहा नहीं जा सकता है। बदबू आ रही थी। पानी केवल हाथ धोने के लिए था। लघुशंका प़ॉट के पाइप टूटे हुए थे। ईंट लगाकर रोक रखा था। ऐसा लगता है कि कई दिन सफाई नहीं होती है। खैर, हॉल के अंदर पहुंचे। एक कूलर लगा हुआ था। उसके तीन बड़े छेद में हॉल में रोशनी आ रही थी। पिक्चर शुरू हुई। धुंधली दिखाई दे रही थी। मैंने ही टोका कि यह क्या हो रहा है। फिर मेरे पीछे बैठे लोग टोकने लगे। मैं सिनेमा हॉल कर्मचारी के पास गया। उसने कहा कि शुरू की फिल्म ब्लैक एं व्हाइट है। धीरे-धीरे साफ हो जाएगी। पांच मिनट बाद भी फिल्म धुंधली दिख रही थी। अब तो हद हो गई। मैं उठकर फिर से कर्मचारी के पास गया जो लोगों को सीट पर बैठा रहा था। उसने कहा कि इस फिल्म का प्रिंट ही खराब है। यह सुनकर मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ। मैं समझ गया कि यह उल्लू बना रहा था। भगवान टॉकीज के पास नई तकनीकी नहीं है। करीब एक दर्जन लोग सीटों से उठकर आ गए। इस पर वह कर्मचारी बोला कि जिसे फिल्म नहीं देखनी है, वह अपने पैसे वापस ले सकता है।
लोग गुस्से में अंदर से टिकट विंडो में घुस गए। वहां एक व्यक्ति से पूछा कि मैनेजर कौन है तो उसने टिकट बेचने वाले की ओर इशारा कर दिया। उस पर लोग चिल्लाने लगे। वह सफाई देने लगा। लोग समझ चुके थे फिल्म वाला मूर्ख बना रहा है। उसने कहा कि पैसे वापस ले सकते हैं। सबने पैसे वापस लिए। बाहर टिकट लेकर खड़े लोगों को बताया कि फिल्म का प्रिंट बेकार है, मत देखना तो लोगों ने टिकट वापस करके पैसे लिए। फिल्म देखने के लिए लोग कानपुर, हाथरस, फिरोजाबाद से भी आए थे। बड़े निराश थे।
खोजबीन की पता चला कि हॉल में नई तकनीकी का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। क्वालिटी नाम की चीज नहीं है। बस पर्दे पर चलते-फिरते चित्र देखते रहिए। न साउंड है न पर्दा ठीक है। भगवान टॉकीज में फिल्म देखना समय और पैसा बर्बाद करने के समान है।
फिर मैंने ओमैक्स मॉल के स्वामी और समाजसेवी श्री सर्व प्रकाश कपूर (शौकी कपूर) को फोन किया। उनसे निवेदन किया कि किसी तरह से टिकट दिलवा दें। उन्होंने टिकट विंडों पर पहुंचने के लिए कहा। 4.10 बजे वाला शो था। उन्होंने श्री रोमित कपूर का नम्बर दिया। हाउस फुल था। उन्होंने ऑनलाइन सात टिकट का इंतजाम किया। हमने 1400 रुपये का भुगतान किया। इस तरह द कश्मीर फिल्म फाइल्स फिल्म देखने का सपना पूरा हुआ।
पत्रकार सुनीत कुलश्रेष्ठ का कहना है कि भगवान टॉकीज में पुराने जमाने का खराब प्रोजेक्टर है। यहां पर प्रत्येक फिल्म पर्दे पर खराब व धुंधली प्रदर्शित होती है। मैंने भी यहां पर 3 साल पहले पिक्चर देखी तो भी खराब थी। 2 साल पहले देखी फिर भी खराब थी तो पता लगा कि इसके मालिक ने कोई भी आधुनिकटेक्नोलॉजी का प्रयोग नहीं किया है। जो पिक्चर श्री टॉकीज और संजय में लगी है वही भगवान में लगी है। वहां अच्छी है तो भगवान टॉकीज में खराब क्यों? भगवान टॉकीज के अंदर दिन में 12:00 बजे से पहले पर्दे के पास कोचिंग क्लासेस चलती है। पूरे पिक्चर हॉल में साइड से और फ्रंट से होर्डिंग किराए पर लगते हैं, जो सबसे महंगे हैं। एग्जीबिशन और दुकान के लिए भी जगह उपलब्ध करा दी गई है।
(पूरे घटनाक्रम की वाडियो भी है जो थोड़ी देर में प्रसारित किया जाएगा)
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