रूस और यूक्रेन के बीच टेंशन का असर खेल पर भी दिखने लगा है। दुनिया के बड़े फुटबॉल टूर्नामेंट़्स में शामिल UEFA चैंपियन लीग का खिताबी मुकाबला 28 मई को रूस के क्रेस्टोवस्की स्टेडियम, सेंट पीटर्सबर्ग में शेड्यूल है, लेकिन इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि जंग के माहौल के बीच कोई भी खेल कैसे रूस में हो सकता है।
दूसरी ओर ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और उनकी सरकार रूस में किसी भी बड़े खेल के आयोजन के खिलाफ है। बोरिस सरकार ने यूनियन ऑफ यूरोपियन फुटबॉल असोसिएशंस से मेजबानी अधिकारों पर पुर्विचार करने को कहा। बोरिस जॉनसन ने अपने बयान में कहा, ‘रूस अगर युद्ध करता है तो वह खत्म हो जाएगा। वहां जो कुछ भी हो रहा है वह बहुत बुरा है। लोग उसके खिलाफ हैं और ऐसे माहौल में रूस में फुटबॉल मैच केसे हो सकता है।’
माना जा रहा है कि ब्रिटेन की इस रूख के बाद यह मुकाबला रूस से बाहर हो सकता है। ब्रिटेन के दबाव बनाने की एक और वजह है टॉप-16 में उसकी 4 टीमों का होना। हालांकि, यूनियन ऑफ यूरोपियन फुटबॉल असोसिएशंस के लिए यह फैसला उतना आसान भी नहीं होगा, क्योंकि रूस की गैस कंपनी PJSC Gazprom चैंपियसं लीग की स्पॉन्सर है। ऐसे में उसकी हर संभव कोशिश होगी कि यह टूर्नामेंट रूस में ही खेला जाए लेकिन यूद्ध के बीच ऐसा होना संभव नहीं दिखाई दे रहा है।
यहां शिफ्ट हो सकता है फाइनल
अगर क्रेस्टोवस्की स्टेडियम, सेंट पीटर्सबर्ग होस्टिंग से पीछे हटता है या उसे हटाया जाता है तो माना जा रहा है कि यह टूर्नामेंट लदंन के विंबले स्टेडियम में खेला जा सकता है। यहीं चैंपियंस लीग के कई अन्य मुकाबले भी खेले जाने हैं।
-एजेंसियां
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