इंडिया गेट का नाम बदलने पर विवाद: मौलाना जावेद हैदर जैदी ने ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा की अपील की

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लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी (BJP) अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी द्वारा ‘इंडिया गेट’ का नाम बदलकर ‘भारत माता द्वार’ करने की मांग ने देशभर में एक नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। जहां कुछ वर्गों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है, वहीं कई बुद्धिजीवियों, इतिहासकारों और धार्मिक नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है। प्रमुख इस्लामी विद्वान और समाजसेवी मौलाना जावेद हैदर जैदी ने इस प्रस्ताव को ऐतिहासिक धरोहर के साथ छेड़छाड़ और एक राजनीतिक कदम करार दिया है।

मौलाना जावेद हैदर जैदी की आपत्ति

मौलाना जावेद हैदर जैदी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “इंडिया गेट सिर्फ एक स्मारक नहीं है, यह भारतीय शहीदों के बलिदान का प्रतीक है। इसे ‘भारत माता द्वार’ नाम देना न केवल इसकी ऐतिहासिकता को कमजोर करेगा, बल्कि यह एक राजनीतिक कदम प्रतीत होता है। हमें अपने ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा करनी चाहिए, न कि उन्हें बदलने की कोशिश करनी चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा, “शहीदों का सम्मान केवल नाम बदलने से नहीं होता। हमें उनके बलिदानों की विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता है और नई पीढ़ी को उनके संघर्ष की प्रेरणा देने की आवश्यकता है। यह प्रस्ताव चुनावी राजनीति का हिस्सा लगता है, जिसका असली मकसद जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाना है।”

इंडिया गेट और उसका ऐतिहासिक महत्व

इंडिया गेट, जो 1921 में प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्धों में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के सम्मान में बनाया गया था, स्वतंत्रता संग्राम के बाद से भारतीय शहीदों का भी प्रतीक बन गया है। यह स्मारक भारत की राष्ट्रीय एकता और बलिदान का अद्वितीय प्रतीक है।

मौलाना जावेद हैदर जैदी की चेतावनी

मौलाना जावेद हैदर जैदी ने इस प्रस्ताव को केवल ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “देश की असली समस्याएं बेरोजगारी, शिक्षा, और स्वास्थ्य हैं। नाम बदलने जैसे मुद्दे केवल जनता का ध्यान भटकाने के लिए उठाए जाते हैं। सरकार को इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”

जनता की प्रतिक्रिया

इंडिया गेट के नाम में बदलाव को लेकर जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ लोग इसे राष्ट्रवाद का प्रतीक मानते हैं और मानते हैं कि यह राष्ट्र की एकता और गौरव को बढ़ावा देगा, जबकि अन्य इसे ऐतिहासिक धरोहर के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ मानते हैं।

इंडिया गेट का नाम बदलने का प्रस्ताव एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि क्या ऐतिहासिक स्थलों को वर्तमान राजनीति के हिसाब से बदला जाना चाहिए। मौलाना जावेद हैदर जैदी और कई अन्य इतिहासकारों ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि भारतीय धरोहरों को संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। यह मुद्दा भारतीय राजनीति और समाज में एक बड़ा विवाद उत्पन्न कर सकता है, जो आगे चलकर भारतीय पहचान और सांस्कृतिक धरोहर पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।


Dr. Bhanu Pratap Singh