हवा के पर कतरना आ गया है,दीयों को जंग करना आ गया है, जिन्हें मुश्किल था पेट भरना, उन्हें बंदूक भरना आ गया है
Dr. Bhanu Pratap singh ‘Chapauta’
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Agra, Uttar Pradesh, Bharat, India. ताजमहल के शहर आगरा में 5th Global Taj International Film Festival 3, 4, 5 नवम्बर, 2023 को हुआ। समापन के तीसरे दिन यानी 8 नवम्बर, 2023 को विशेष आयोजन हुआ। फिल्म फेस्टिवल में विशेष सहयोग देने वालों को सम्मानित किया गया। साथ ही किसी भी रूप में सहयोग करने वालों को आभार प्रकट किया गया। फिल्म फेस्टिवल के निदेशक सूरज तिवारी को कई प्रकार के सुझाव दिए गए। यह संक्षिप्त कार्यक्रम होटल भावना क्लार्क्स इन में ग्लैमर लाइव फिल्म्स ने किया।
महाप्रबंधक गजेन्द्र सिंह को दूसरा अरुण डंग कहा गया
होटल भावना क्लार्क इन के महाप्रबंधक गजेन्द्र सिंह को दूसरा अरुण डंग कहा गया। उल्लेखनीय है कि होटल व्यवसाय में सिर्फ अरुण डंग ऐसी शख्सियत हैं जो साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में रुचि लेते हैं। इसी तरह की कार्य गजेन्द्र सिंह कर रहे हैं।
सूरज तिवारी जैसी हिम्मत किसी और में नहीं
फिल्म फेस्टिवल के संरक्षक रंजीत सामा ने कहा कि इस बार दर्शक इतने अधिक थे कि प्रतीक्षा करानी पड़ी। स्कूलों ने बहुत सहयोग किया। इससे पहले हुए चार संस्करणों में श्रोताओं को लाने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। इसका प्रभाव फिल्म फेस्टिवल के पांचवें संस्करण में दिखाई दिया। उन्होंने फिल्म फेस्टिवल के निदेशक सूरज तिवारी वन मैन आर्मी कहा। यह भी कहा कि आगरा में किसी और की हिम्मत नहीं है कि फिल्मों का इतना बड़ा शो कर दे।
फिल्म फेस्टिवल से आगरा के कलाकारों को रोजगार
स्वागत उद्बोधन में फेस्टिवल के निदेशक सूरज तिवारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए तीन दिवसीय सफल आयोजन के लिए सभी सहयोगियों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि शहर में रोजगार को बढ़ाने हेतु शहर के लोग इसी प्रकार अपना सहयोग देंगे तो इस तरह के आयोजन में देश विदेश के अनेक कलाकार, निर्देशक व फिल्म निर्माता आएंगे। इससे शहर के कलाकारों को अधिक रोजगार उपलब्ध होगा।
मुझे आगरा पर गर्व है
जाने-माने हम्योपैथ डॉ. पवन पारीक ने कहा कि फिल्म बनाने वाले और पत्रकारों में इतनी ताकत होती है कि समाज में परिवर्तन ला सकते हैं। उन्होंने राम मनोहर लोहिया का एक दृष्टांत देते हुए बताया कि किस तरह से हिन्दू अखबार के कार्यालय में जाकर लेख लिखा, पैसे लिए और आगे की यात्रा की क्योंकि इनके पास पैसे नहीं थे। यह लेखक की ताकत है। मुझे अपने शहर पर गर्व है। भानु प्रताप जी (वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह) और अन्य के बारे में सुना। आज आमने-सामने देखा। मुझे गर्व है कि ऐसे-ऐसे पत्रकार और फिल्म निर्देशक हमारे आगरा शहर में हैं।
कलाकारों की जमात में महिलाएं भी जुटी
पत्रकार महेश धाकड़ ने कहा कि इस बार सबसे बड़ा परिवर्तन यह दिखाई दिया कि उन लघु फिल्मकारों ने फिल्में बनाईं जो अन्य पेशों से जुड़े हुए हैं। उन्हें पता था कि फिल्म से एक नए पैसे का भी लाभ नहीं होगा। बृज भाषा में फिल्म बनाई। कलाकारों की जमात में महिलाओं की भी जमात जुटी। हर आयु वर्ग के लोग आए।
फिल्म फेस्टिवल की रिपोर्टिंग का प्रभाव
फिल्म फेस्टिवल को ताज महोत्सव मत बनाना। सहयोग लो लेकिन स्वयं चलाएं। सराकरी अधिकारी आ गए तो सत्यानाश हो जाएगा। फिल्म फेस्टिवल की रिपोर्टिंग का प्रभाव यह हुआ कि मेरे पास गोदान फिल्म बनाने वालों की हेमा जी का फोन आया कि गोदान-2 (औरत की जंग) फिल्म की स्क्रिप्ट लिख दो। इसकी शूटिंग आगरा में होनी है। आगरा के कलाकारों को काम मिलेगा। मुंबई से सत्यव्रत मुदगल ने फोन किया कि आपकी रिपोर्टिंग से फिल्म फेस्टिवल को लाइव देख लिया। मैं तीन दिन इसलिए गया कि यह बवाल देखना था। ताज महोत्सव में लाखों रुपये खर्च होते हैं, फिर भी कार्यक्रमों में दर्शक नहीं होते हैं। जिसने फिल्म फेस्टिवल नहीं देखा वह दुर्भाग्यशाली है। खबरें छपीं तो यह भी कहा कि सूरज तिवार से क्या सेटिंग हो गई है। मैंने कहा कि आप आओ, देखो तो स्वयं लिखोगे। इसी दौरान सूरज तिवारी ने कहा कि पिछले फेस्टवल में अमर उजाला के संपादक पीछे बैठकर देखते थे और रिपोर्टर को बताते थे क्या लिखना है। उन्होंने एक मिनट की फिल्म का भी जिक्र किया।
सरकार से उम्मीद मत रखो, जोड़िए भी मत
हरीश सक्सेना चिमटी ने कहा- जब से इंटरनेट का विस्तार हुआ है, सिनेमा आपकी जेब में है। इंटरनेट ने दुनियाभार के फिल्म उद्योग के सामने चुनौतियां पेश कर दी हैं। जब सारी फिल्में फेल हो रही थीं, तब शाहरुख खान की पठान सफल हुई। जहां चाह, पीड़ा, कराह, दर्द, धर्म, पाखंड है, इन्हीं पर साहित्य, लेखक, निर्देशक की निगाह पड़ती है। यही दुनिया के मसले हैं। सरकार से उम्मीद मत रखो, जोड़िए भी मत। अगर दरोगा भी आ जाएगा तो कला के साथ, आपके कद के साथ खिलवाड़ करेगा। मकसद की जीत होती है, तादाद की नहीं। अखबार को देखें तो शहर में 25-30 लोग हैं, जो हर त्योहार पर विज्ञापन देते हैं। वही लोग रास्ता बताते हैं। सेवा वह है जो स्वयं भूखा रहकर अन्य को खिलाते हैं। शादी में खाना बच गया तो अनाथालय में भिजवाना सेवा नहीं है। उन्होंने फिल्म फेस्टिवल और सूरज तिवारी को लक्ष्य करके शेर पढ़ा-
हवा के पर कतरना आ गया है,
दीयों को जंग करना आ गया है।
जिन्हें मुश्किल था पेट भरना,
उन्हें बंदूक भरना आ गया है।
इनका हुआ सम्मान
सरोज यादव एडवोकेट
मेघ सिंह यादव एडवोकेट
डॉ. भानु प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
संजय दुबे, गीतकार
हरीश सक्सेना चिमटी, मंच संचालन
पवन आगरी, हास्य कवि
ईशान देव, कवि
दीपक जैन, लगातार तीन दिन मंच संचालन
विनीत बावनिया, निदेशक इफ्ट
डॉ. महेश धाकड़
गजेन्द्र सिंह, महाप्रबंधक, होटल भावना क्लार्क्स इन
डॉ. आशीष त्रिपाठी, आगरा के किशोर कुमार
सोमनाथ यादव, अभिनेता
अजय बहादुर, पत्रकार, सीटीवी
डॉ. पवन पारीक, जाने-माने होम्योपैथ
नारायन दास, हरीश शूज
राकेश चतुर्वेदी
चंचल उपाध्याय, गायक
डॉ. विनोद यादव
जेडी शर्मा
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