gagan das ramani

जी एस टी काउंसिल की 47वीं बैठकः सरकार की भेदभाव नीति से फुटवियर कारोबार रसातल की ओर

BUSINESS लेख

लोकसभा में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बयान में स्वीकार किया था कि टैक्सटाइल व फुटवियर लेबर ओरिएंटेड उद्योग हैं, अतः टैक्सेशन की नीति से इनको अलग करके नहीं देखा जा सकता। इसके बाद भी सरकार अपने बयान पर खरी नहीं उतर रही।

 

2017 में जी एस टी लागू करते समय रुपए 1000/- तक के वस्त्रों पर 5% जबकि रुपए 500/- तक के फुटवियर पर 5% कर लागू किया। और तो और रुपए 1000/- से अधिक मूल्य के वस्त्रों पर कर 12% जबकि रुपए 500/- से अधिक मूल्य के फुटवियर पर 18% कर लगाया गया। हमारे कई बार प्रतिवेदन और भेंट वार्तालाप के परिणामस्वरूप रुपए 1000/- तक के फुटवियर पर कर 5% किया गया।

जी एस टी काउंसिल की सितंबर 2021 की लखनऊ बैठक में फिर से टैक्सटाइल और फुटवियर पर 1/1/2022 से कर की दर बढ़ाकर पांच से 12% प्रस्तावित की गई जिसे जी एस टी काउंसिल की एक विशेष बैठक बुलाकर सिर्फ टैक्सटाइल पर रोल बैक करके पुनः 5% किया गया। फुटवियर से सौतेला व्यवहार किया गया। इस पर हमने माननीय प्रधानमंत्री, केंद्रीय वित्त मंत्री, उत्तर प्रदेश के माननीय वित्त मंत्री, केंद्रीय कानून राज्यमंत्री, केंद्रीय राज्य आई टी मंत्री, आगरा से प्रदेश सरकार के माननीय मंत्रीगण व विधायकों को समय-समय पर कई ज्ञापन देकर वार्तालाप किया। सभी के आश्वासन के बावजूद सरकार द्वारा कल की जी एस टी काउंसिल की बैठक में फुटवियर पर कर की दर 5% नहीं की गई। सभी जानते हैं कि आगरा का फुटवियर देश की लगभग 65% जनता द्वारा उपयोग किया जाता है। सस्ता होने के कारण मुख्यत गरीब व मध्यम वर्ग के लोग इसको प्रयोग करते हैं।

एक ओर कच्चे माल, पैकिंग मैटीरियल व जूते चप्पल रखने के लिए प्रयोग होने वाले बॉक्स में लगभग 25% की बढ़ोत्तरी होने से जूते का मूल्य लगभग 25 रुपए तक बढ़ चुका है। ऐसे में कर की यह मार फुटवियर कारोबार को रसातल में ले जाएगी। ज्ञातव्य है कि अभी तक कोविड के प्रभाव के बाद फुटवियर के लगभग 30% कारखाने या तो बंद हो गए हैं या फिर उनका उत्पादन आधे से भी कम हो गया है। अगर कर की दर पूर्ववत 5% नहीं की गई तो यह कारोबार कच्चे में परिवर्तित हो जाएगा और सरकार को अपेक्षाकृत कम राजस्व प्राप्त होगा। सरकार से पुनर्विचार करने व इस रोजगारपरक उद्योग को बचाने की जरूरत है।

गागन दास रामानी

अध्यक्ष, आगरा शू फैक्टर्स फैडरेशन

Dr. Bhanu Pratap Singh