नोएडा में बिल्डरों से फ्लैट खरीददारों की आरसी का पैसा वसूलने की कार्यवाही शुरू हो चुकी है। जिला प्रशासन की टीम शुक्रवार को नोएडा में बिल्डर कंपनियों के घरों और दफ्तरों के सामने जाकर मुनादी कर रही है। बायर्स के हक में जारी किए गए रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेशन अथॉरिटी) (RERA) के आदेश न मानने वाले ऐसे बिल्डर जिनके खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट (RC) जारी हो चुकी है। अब जिला प्रशासन उन पर बड़ी कार्रवाई करने जा रहा है।
रेरा के निर्देशों के आधार पर बिल्डर्स से पीड़ित बायर्स का पैसा वसूली जाएगा। वसूली की रकम रेरा के माध्यम से बायर्स के खाते में जमा कराई जाएगी। जिला प्रशासन ने इसके लिए 40 टीमों का गठन किया है। डीएम मनीष कुमार वर्मा ने एक दिन पहले गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि 101 बिल्डर कंपनियों के खिलाफ 1705 आरसी रेरा ने जिला प्रशासन के पास भेज रखी हैं। इनसे 503 करोड़ रुपये की वसूली की जानी है। इन बिल्डर कंपनियों के दफ्तरों से लेकर घरों तक जाकर मुनादी कराई जाएगी। बिल्डर मुनादी के बाद भी पैसा जमा नहीं कराएंगे उनकी संपत्ति जिला प्रशासन जब्त करेगा।
जिला प्रशासन ने इस तरह आरसी वसूलने के लिए पहले भी बिल्डरों पर कार्रवाई की है। जिला प्रशासन करीब 200 करोड़ रुपये की वसूली कर चुका है, लेकिन पिछले दो तीन साल से इस मामले में कार्रवाई ठंडी हो गई थी। इसी के चलते अब जिला प्रशासन ने बड़े स्तर पर वसूली के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया है। आज से ही यह कार्रवाई शुरू की गई है। प्रशासन का लक्ष्य है कि अगले एक दो महीने में इन 503 करोड़ में से ज्यादा से ज्यादा रकम बिल्डरों से वसूली जा सके।
जिला प्रशासन ने बताया कि इनमें तमाम बिल्डर कंपनियों के मालिकों के दफ्तर दिल्ली, फरीदाबाद, गुड़गांव, गाजियाबाद या अन्य जिलों में हैं। वहां जाकर भी हमारी टीमें कार्रवाई करेंगी। वहां के लोकल जिला प्रशासन और पुलिस की सहयोग इसके लिए लिया जाएगा।
पहले मुनादी फिर कार्रवाई
जिलाधिकारी ने बताया कि संबंधित बिल्डर कंपनियों के दफ्तर और उनके मालिकों के घर पर जाकर लगातार मुनादी कराई जाएगी। उनके घर और दफ्तर के बाहर आरसी के नोटिस चस्पा किए जाएंगे। इतना करने के बाद जो बिल्डर पैसा जमा करने आएंगे, उनके घर व दफ्तर के बाहर मुनादी बंद करा दी जाएगी। जो मुनादी के बाद भी रेस्पांस नहीं करेंगे। जिला प्रशासन उनकी संपत्ति सील करेगा, जब्त करने की कार्रवाई करेगा और जरुरत के अनुसार जेल भी भेजेगा।
लिस्ट में नहीं हैं एनसीएलटी में जाने वाली कंपनियां
101 बिल्डर कंपनियां हैं जो कि एनसीएलटी (नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में नहीं है। कुछ आरसी ऐसी बिल्डर कंपनियों की भी जिला प्रशासन के पास थी जो कि एनसीएलटी में चली गई हैं। उनकी आरसी जिला प्रशासन ने रेरा को वापस भेज दी है। हालांकि, कई बड़े बिल्डर ग्रुप के नाम इस लिस्ट में हैं जिनकी दूसरी कंपनियों के मामले एनसीएलटी में चल रहे हैं। इस लिस्ट में जो कंपनियां हैं उनके अधिकार अभी बिल्डरों के पास ही है इसीलिए उनके वसूली की कार्रवाई जिला प्रशासन सख्ती से करने जा रहा है।
रेरा जारी करता है आरसी
रेरा लगातार बायर्स के हक में आदेश जारी कर रहा है। कई हजार मामले ऐसे हैं जिनमें रेरा के आदेश को भी बिल्डर नहीं मान रहे हैं। ऐसे मामले में जब पीड़ित बायर फिर से रेरा के पास अपना केस लेकर जाता है और बिल्डर के खिलाफ आदेश न मानने की शिकायत करता है तो रेरा आरसी जारी कर जिला प्रशासन को वसूली के लिए भेज देता है।
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