अद्भुत, अकल्पनीय, अवर्णनीय, अविस्मरणीय, अनुकरणीय, अतुलनीय, अविचलनीय, अनिर्वचनीय, अप्रतिम, अप्रतिम, अभूतपूर्व, अलौकिक, अगम्य, अद्वितीय !
डॉ. भानु प्रताप सिंह
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जब मैं सी.एफ. एंड्रूज स्कूल, बल्केश्वर रोड, आगरा के डॉ. राम कन्वेंशन सेंटर में प्रवेश कर रहा था, तब तक मुझे आभास भी नहीं था कि मैं एक ऐसे अद्वितीय और अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव का साक्षी बनने जा रहा हूँ, जो मेरे मन-मस्तिष्क में सदैव अंकित रहेगा। धर्म, नीति, प्रेम, युद्ध, त्याग, और विजय – इन सभी तत्वों को इतनी गहराई से प्रस्तुत किया गया कि यह आयोजन इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज होने योग्य बन गया। मैंने अपने 34 वर्षों के पत्रकारिता जीवन में अनेक भव्य कार्यक्रम देखे, परंतु “कृष्ण दर्शनम्” जैसा अलौकिक आयोजन पहले कभी नहीं देखा। डॉ. राम अवतार शर्मा की चतुर्थ पुण्य स्मृति उत्सव के उपलक्ष्य में हुए इस भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम ने मेरे हृदय को रोमांचित कर दिया।
सजीव मंच पर साकार होते हुए भगवान श्रीकृष्ण के जीवन प्रसंग न केवल आँखों के सामने जीवंत हो उठे, बल्कि उन्होंने मेरे भीतर भक्ति, ज्ञान और आत्मचिंतन का एक नया द्वार भी खोल दिया। यह केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक दिव्य अनुभव था—एक ऐसा अनुभव, जो न केवल नेत्रों से देखा गया, बल्कि हृदय से अनुभूत किया गया। कभी मेरे नेत्र सजल हो जाते, तो कभी मोह का बंधन टूटने लगता। कभी धर्म स्थापना के लिए आतुर हो उठता तो कभी भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में खो जाता। ऐसे अद्भुत समारोह का साक्षी बनना वाकई सौभाग्य की बात है।

मुझे यह स्वीकार करने में तनिक भी संकोच नहीं कि मैंने जीवन में अनेकों नाट्य मंचन देखे हैं, परंतु 300 नन्हे कलाकारों द्वारा प्रस्तुत ‘कृष्ण दर्शनम्’ जैसी भव्य और हृदयस्पर्शी प्रस्तुति इससे पूर्व कभी नहीं देखी।
“हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे…”
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे…”
जैसे ही ये मधुर ध्वनियाँ गूँजने लगीं, संपूर्ण वातावरण कृष्णमय हो गया। दर्शकों की आँखों में भक्ति के आँसू थे, तो मन में श्रद्धा की तरंगें उठ रही थीं। मंच पर श्रीकृष्ण का जन्म, बाल लीला, गोवर्धन धारण, कंस वध, अर्जुन को गीता का उपदेश और महाभारत का युद्ध—हर दृश्य आत्मा को झकझोर रहा था।
जब नन्हें कलाकारों ने द्रौपदी चीरहरण का प्रसंग प्रस्तुत किया, तो सभा में मौन छा गया। जब कृष्ण ने कंस का संहार किया, तो उत्साह की लहर दौड़ गई। जब अर्जुन ने गीता का ज्ञान प्राप्त किया, तो मुझे प्रतीत हुआ कि मानो स्वयं भगवान कृष्ण मुझे संबोधित कर रहे हों।

धर्म और अधर्म का शाश्वत संघर्ष: महाभारत का यथार्थबोध
महाभारत केवल अतीत की गाथा नहीं, बल्कि आज भी समाज में वही संघर्ष चल रहा है—
- धृतराष्ट्र जैसे शासक आज भी सत्ता के मोह में अंधे बने हुए हैं।
- दुशासन और दुर्योधन जैसे लोग नारी का अपमान कर रहे हैं।
- भीष्म जैसे लोग कर्तव्य और नैतिकता के बीच उलझे हुए हैं।
- अर्जुन जैसे नायक संकटों में मार्गदर्शन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
जब कर्ण की दुविधा प्रस्तुत की गई, जब अभिमन्यु को छलपूर्वक मारा गया, जब दुर्योधन अपनी गदा युद्ध में पराजित हुआ—हर दृश्य दर्शकों के हृदय को भीतर तक छू रहा था।
जीवंत हुए महाभारत के प्रसंग
इन दृश्यों को देखने के बाद मन ने प्रश्न किया – क्या यह एक विद्यालय का मंचन है या किसी दैवीय युग की पुनरावृत्ति?
कुछ प्रमुख प्रसंग, जो मंच पर जीवंत कर दिए गए:
✅ कंस वध: जब कृष्ण ने कंस की छाती पर पद-प्रहार किया, तो पूरा सभागार जय-जयकार से गूंज उठा।
✅ द्रौपदी चीर हरण: जब द्रौपदी की करुण पुकार गूंजी और कृष्ण ने उनकी लाज बचाई, तो आँखें छलक उठीं।
✅ अभिमन्यु वध: जब सात योद्धाओं ने एक निर्दोष योद्धा को घेरकर मार डाला, तो मन क्रोध से भर उठा।
✅ महाभारत युद्ध: जब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया, तो सभागार में जैसे ईश्वरीय ऊर्जा का संचार हो गया।
✅ गांधारी का शाप: जब गांधारी ने श्रीकृष्ण को यदुवंश के विनाश का शाप दिया, तो सन्नाटा छा गया।
प्रेरणादायक संवाद, जो आत्मा को झकझोर गए
इसके अलावा जब इन संवादों का मंचन हुआ, तो पूरी सभा मंत्रमुग्ध हो गई—
- “कर्म का चक्र सबके लिए समान है, चाहे वह ईश्वर ही क्यों न हो।”
- “धर्म की सभा में धर्म की शक्ति का अनुभव कराएंगे।”
- “वर्तमान में भी भयंकर महाभारत हो रहा है— बहनों का हरण हो रहा है, भाइयों में झगड़ा हो रहा है।”
- हजारों धृतराष्ट्र जैसे शासन चलाने वाले अधिकारी दुर्योधन जैसों को प्रेरित कर संरक्षण दे रहे हैं
- “हे माताओ, आपको भीम जैसे बलशाली और अर्जुन जैसे गीता ज्ञान अर्जन करने वाले पुत्र तैयार करने होंगे।”
- “नया स्वर्णिम संसार बनाना होगा, मंगलमय जीवन रचना होगा, दया, क्षमा, करुणा, और सहयोग की भावना से परिपूर्ण बनना होगा।”
इस भव्य मंचन में श्रीकृष्ण की पूरी जीवनगाथा सजीव कर दी गई—
- कृष्ण जन्म, माखन चोरी, कालिया मर्दन, गोवर्धन पूजा
- राधा और गोपियों के संग कृष्ण के प्रेम प्रसंग
- कंस वध, द्वारका की स्थापना, हस्तिनापुर की राजनीतिक चालें
- द्रौपदी का चीरहरण और कृष्ण द्वारा रक्षा
- महाभारत युद्ध में अर्जुन को गीता का ज्ञान, कर्ण की कथा
- अभिमन्यु वध, दुर्योधन का अंत, द्रौपदी द्वारा रक्त से केश धोना
- गांधारी का श्रीकृष्ण को शाप, बहेलिए के तीर से श्रीकृष्ण का अंत
इन सभी प्रसंगों को विद्यार्थियों ने अभिनय, संगीत, और संवाद के माध्यम से इतनी कुशलता से प्रस्तुत किया कि दर्शक स्तब्ध रह गए।
भजनों से भक्ति का प्रवाह
सभागार में राधे-राधे की गूंज होती रही। हर कोई रोमांचित हो रहा था। करतल ध्वनि कर रहा था।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे
वृंदावन की कुंज गली में घूमे ग्वाल बाल
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो राधा रमण हरि गोविंद बोलो
अच्युतम् केशवम् कृष्ण दामोदरम्
बोलो राधे राधे
आपकी कृपा से सब काम हो रहा है करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत..
मंच संचालन और आयोजन की विशिष्टता
“कृष्ण दर्शनम्” कार्यक्रम का संचालन भी अद्भुत था। हर प्रसंग के बाद एक नया संचालक आता और हिंदी-अंग्रेजी में इतनी सुंदर प्रस्तुति देता कि कथा और भी प्रभावशाली बन जाती। जब द्रौपदी की करुण गाथा प्रस्तुत हो रही थी, तब संचालिका की आवाज में ऐसी वेदना थी मानो स्वयं द्रौपदी की पीड़ा को महसूस कर रही हो।
अद्वितीय निर्देशन और तकनीकी उत्कृष्टता
इतने विशाल मंचन का संचालन करना अपने आप में एक दुष्कर कार्य है, परंतु विद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने इसे ऐसे सहजता से प्रस्तुत किया, मानो यह उनका नैसर्गिक स्वभाव हो। मंच पर ही नहीं, अपितु मंच के पर्दे पर वही कथा चलचित्र के रूप में प्रदर्शित हो रही थी, जिससे प्रस्तुति और अधिक प्रभावशाली हो गई।
संगीत, नृत्य, अभिनय और संवादों का ऐसा समन्वय मैंने बहुत कम देखा है। मंच पर बजने वाले सभी वाद्य यंत्र विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा ही संचालित किए जा रहे थे, जो इस आयोजन की भव्यता को और अधिक बढ़ा रहे थे।
मुख्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अद्वितीय कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेंद्र उपाध्याय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. डॉ. शशि तिवारी (संस्कृत मनीषी, अंतरराष्ट्रीय कवयित्री) ने की।
विशिष्ट अतिथि पूज्य श्री कार्तिक गोस्वामी जी, महाराज श्री वैष्णवाचार्य, राधारमण मंदिर वृंदावन थे।
उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी अधिक गरिमामय बना दिया। उन्होंने अपने उद्बोधन में इस बात को रेखांकित किया कि धर्म और संस्कृति का संरक्षण ही राष्ट्र की आत्मा को सुरक्षित रख सकता है।

विद्यालय परिवार का अद्भुत योगदान
इस भव्य मंचन के लिए सेंट सी.एफ. एंड्रूज स्कूल, हाथरस रोड के शिक्षकों और विद्यार्थियों का योगदान अप्रतिम रहा। इस आयोजन को सफल बनाने में जिन शिक्षकों और विद्यार्थियों ने अमूल्य योगदान दिया, वे सच्चे प्रशंसा के पात्र हैं – बबली मित्तल, जूली दीक्षित, शिवानी गुप्ता, निधि कुशवाहा, सानू यादव, विजय गौतम, अंजलि पंडित, विवेक शर्मा, वरुण चौधरी, अनिल वर्मा, पूजा जापरा, रिषभ सिंह, श्रुति अरोरा, मनीष कुशवाहा, रवि श्रीवास्तव, हरिओम तोमर, अमन शर्मा, हर्षित पाठक, हर्षित सिन्हा आदि।
बबली मित्तल, जूली दीक्षित, शिवानी गुप्ता, अंशिका, निधि कुशवाह, सानू यादव आदि शिक्षकों ने इस कार्यक्रम को सजीव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम की सफलता के पीछे विजय गौतम, निषिमा अरोड़ा, अंजलि पंडित, विवेक शर्मा, वरुण चौधरी, हर्षित सिन्हा, अनिल वर्मा, पूजा जापरा, ऋषभ सिंह, श्रुति अरोड़ा, मनीष कुशवाहा, रवि श्रीवास्तव, हरिओम तोमर, अमन शर्मा, हर्षित पाठक आदि शिक्षकों का विशेष योगदान रहा।
डॉ. गिरधर शर्मा ने कहा
विद्यालय के सी.एम.डी. डॉ. गिरधर शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह आयोजन उनके पिताजी डॉ. राम अवतार शर्मा के आदर्शों को आगे बढ़ाने का एक प्रयास है। उन्होंने इस मंचन को धर्म, शिक्षा और संस्कृति का संगम बताते हुए सभी प्रतिभागियों, शिक्षकों और अभिभावकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने संचालन कर रहे कुमार ललित और आदर्श नंदन गुप्त के बारे में कहा कि ये भी ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार का योग्य अधिकारी हैं।
डॉ. गिरधर शर्मा को साधुवाद
मैं डॉ. गिरधर शर्मा को हृदय से नमन करता हूँ और साधुवाद देता हूँ कि उन्होंने शिक्षा को केवल किताबों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे जीवन जीने की कला में परिवर्तित कर दिया। सच में, जब तक ऐसे शिक्षाविद् और संस्कारशील विद्यार्थी रहेंगे, भारतीय संस्कृति की ज्योति कभी मंद नहीं होगी! “कृष्ण दर्शनम्” केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं था, यह एक आध्यात्मिक जागरण, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और सामाजिक चेतना की क्रांति थी।
संस्कारी परिजन
जब मैं चलने को हुआ तो देखा कि डॉक्टर गिरधर शर्मा के पीतवस्त्रधारी सभी परिजन श्रीमती सुनीता शर्मा, प्रांजल शर्मा, सीए अपूर्वा शर्मा, शिवांजल शर्मा भोजनार्थ एक साथ पंक्ति में विराजे हुए हैं। जब मैंने उन्हें एक शेर सुनाने की इच्छा व्यक्त की तो सबके सब खड़े हो गए। जिस संस्थान में इस तरह के संस्कारी परिजन होंगे तो उसे चतुर्दिक अग्रिम पंक्ति में रहने से कोई माई का लाल रोक नहीं सकता है। यहां मैं शेर लिखने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ-
मुझे गर इश्क का अरमान होता
मेरे घर मीर का दीवान होता।
तेरी महफिल में आकर सोचता हूँ,
न आता तो बहुत नुकसान होता।
आगरा में कवि शीलेंद्र वशिष्ठ और वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर भानु प्रताप सिंह समेत 10 विभूतियां सम्मानित
एक आत्मिक अनुभव
मैं इस कार्यक्रम से केवल दर्शक के रूप में नहीं लौटा, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का यात्री बन चुका था। इस मंचन ने मुझे यह सोचने पर विवश कर दिया कि क्या आज भी हम धर्म और अधर्म के युद्ध में अर्जुन जैसे संदेह में फँसे हैं? क्या आज भी हमें श्रीकृष्ण की गीता का ज्ञान चाहिए? क्या हम अपने जीवन में धर्म की स्थापना के लिए तत्पर हैं?
अद्भुत! अविस्मरणीय! अलौकिक! क्या शब्द दूं इस अनुभव को व्यक्त करने के लिए? अपने 34 वर्षों के पत्रकारिता जीवन में अनेक कार्यक्रम देखे, अनेक मंचीय प्रस्तुतियाँ सुनीं, परंतु “कृष्ण दर्शनम्” ने जो अद्भुत आध्यात्मिक आनंद दिया, वह मानस पटल पर एक अमिट छवि की भांति अंकित हो गया।
‘कृष्ण दर्शनम्‘ केवल एक नाट्य मंचन नहीं था, बल्कि यह एक जीवन संदेश था—एक ऐसा संदेश, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनकर सदैव स्मरणीय रहेगा।
ऐसे दिव्य आयोजन के लिए डॉ. गिरधर शर्मा और संपूर्ण विद्यालय परिवार को कोटि-कोटि साधुवाद!
महत्वपूर्ण भूमिका
भव्य समारोह में रुचि तनवर, मुनेश अग्रवाल, अंशू सिंह, अभिषेक क्रिस्टी, सुनील उपाध्याय, रीनू त्रिवेदी, साहिबा खान, रीटा रॉय, बी.डी. दुबे, इन्दुबाला त्रिखा, सुरिति माथुर, मनोज शर्मा, अमृत गिल, आलोक वैष्णव, अनुभव बंसल, उदय प्रताप सिंह आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
उल्लेखनीय उपस्थिति
समारोह में यूं तो सैकड़ों लोग थे लेकिन गिरीश चंद्र गुप्ता, दीपक अग्रवाल, पूर्व पार्षद ताराचंद तोती, कौशल किशोर सिंघल, दीपक खरे, पूर्व पार्षद राजेंद्र तिवारी, प्रद्युम्न चतुर्वेदी, एसके मोहन, त्रिलोक सिंह राणा, जगत नारायण शर्मा, अजय शर्मा, बृजेश शर्मा, रमन अग्रवाल भजन गायक, डॉ. मधुरिमा शर्मा, राजेंद्र शर्मा, डॉक्टर मुनीश्वर गुप्ता, डॉक्टर अतुल माथुर, डॉ. मधु भारद्वाज, उपलब्धि भारद्वाज, शरद गुप्त, संजय गुप्त, जनी सिंह, राहुल पाराशर, सुनीता शर्मा, पवन बंसल, चंद्रशेखर शर्मा आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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