एस्ट्रोलॉजर पं प्रमोद गौतम की भविष्यवाणी: वर्ष 2026 में होगा संहार ही संहार, जानिए क्यों
गुरुवार को रोहिणी नक्षत्र में उत्पात योग में होने से श्री विष्णु का संहारक वर्ष होगा 2026
ग्रह-नक्षत्र योग का आध्यात्मिक रहस्य
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आगरा: वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पं प्रमोद गौतम ने नववर्ष 2026 की ग्रह चालों एवं नक्षत्र एवं वार के संयोग से बनने वाले विशेष योग के संदर्भ में उसके आध्यात्मिक रहस्यमयी तथ्यों के संदर्भ में गहराई से बताते हुए कहा कि अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार वर्ष 2026 का आगमन 01 जनवरी को श्रीकृष्ण के द्वापरयुग के जन्म नक्षत्र रोहिणी में गुरुवार को पड़ रहा है जो कि वैदिक हिन्दू ज्योतिष में उत्पात योग बनाता है, इसलिए भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में श्री विष्णु की संहारक दिव्य ऊर्जाओं के द्वारा दंड की प्रक्रिया का दौर धर्म के नाम पर आडम्बर करके गुमराह करने वाले धर्माचार्यों को सर्वाधिक रूप में प्राप्त होगा।
आडंबर और भ्रष्टाचार पर दैवीय प्रहार
एस्ट्रोलॉजर पं प्रमोद गौतम ने बताया कि वर्ष 2026 में श्री हरि विष्णु का संहारक वर्ष होगा, जिसमें न कोई आडंबरी धर्माचार्य बचेगा न कोई आडंबरी एवं भ्रष्टचारी राजनेता, न कोई आडंबरी उद्योगपति एवं व्यापारी और न कोई भ्रष्टाचारी अधिकारी एवं कर्मचारी, चाहे वो किसी भी विभाग का क्यों न हो, इसलिए श्री हरि विष्णु के चरणों में मन, वचन एवं कर्म से समर्पित भाव ही व्यक्ति को वर्ष 2026 में बचाएगा।
बृहस्पति गोचर और भारत पर प्रभाव
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पं प्रमोद गौतम ने बताया कि नववर्ष 2026 में गोचरीय परिवर्तित चाल के संदर्भ में बताते हुए कहा कि, 2026 में जो बड़े ग्रह हैं वो ही सम्पूर्ण वर्ष को प्रभावित करते हैं, जिनमें ब्रह्मांड का अति शुभ ग्रह सद्बुद्धि का कारक देवगुरु बृहस्पति 2026 में गोचरीय चाल में 01 जून 2026 तक मिथुन राशि पर रहेंगे, और इस अवधि में भारत सरकार को अराजक तत्वों एवं अपने पड़ोसी देशों की हरकतों पर गंभीरता पूर्वक नजर रखनी पड़ेगी, भारत के साथ गुप्त षड्यंत्रों के द्वारा कुचक्र रचने की कोशिश इस अवधि में सर्वाधिक रहेगी, क्योंकि स्वतंत्र भारत की कर्क राशि से ब्रह्मांड का अति शुभ ग्रह देवगुरु बृहस्पति 1 जून 2026 तक अशुभ बारहवें भाव में गोचरीय चाल मैं रहेगा, और इस अवधि में दिव्य कृपा का आश्रीवाद भारत को प्राप्त नहीं होगा।
2 जून 2026 के बाद भारत को राहत
लेकिन 2 जून 2026 से गोचरीय परिवर्तित चाल में देवगुरु बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क पर लगभग एक वर्ष के लिए विराजमान हो जाएंगे, जो स्वतंत्र स्वतंत्र भारत की पुष्य नक्षत्र में निर्मित कर्क राशि को दिव्य अलौकिक शक्तियों युक्त आश्रीवाद देगें, जिसके परिणाम स्वरूप भारत विपरीत परिस्थितियों को दिव्य कृपा से काबू में करने में 2 जून 2026 के बाद सक्षम हो जाएगा।
शनि और राहु की भूमिका
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि ब्रह्मांड के न्यायाधीश शनि ग्रह स्वतंत्र भारत की कर्क राशि से भाग्य भाव में वर्तमान में अप्रैल 2025 से गोचरीय चाल में मीन राशि पर स्थित हैं, जो कि 2 जून 2027 तक भाग्य भाव में ही रहेगें, जो कि नववर्ष 2026 में भारत के लिए किसी न किसी रूप में विपरीत परिस्थितियों में मददगार साबित होगें, दूसरी तरफ चांडाल छाया ग्रह राहु कुंभ राशि पर गोचरीय चाल में 18 मई 2025 से लेकर 5 दिसंबर 2026 तक स्थित है जो कि स्वतंत्र भारत की कर्क राशि से वर्तमान में अशुभ भाव अष्टम में स्थित है, जो कि छिपे हुए अराजक तत्वों के द्वारा देश में नकारात्मक माहौल पैदा कर सकता है, विशेषकर 01 जून 2026 तक, इसलिए भारत को हर तरफ से चौक्कना रहना होगा अर्थात 01 जून 2026 तक देवगुरु बृहस्पति ग्रह की स्थिति जब तक मिथुन पर रहे, तब तक भारत सरकार को महत्वपूर्ण निर्णयों को लेने से बचना होगा।
संपादकीय
यह समय भय का नहीं बल्कि आत्मचिंतन और शुद्धिकरण का है। 2026 उन शक्तियों को उजागर करेगा जो वर्षों से धर्म, राजनीति और व्यवस्था के नाम पर समाज को भ्रमित करती रहीं। जो सत्य के साथ है, वही बचेगा।
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डॉ भानु प्रताप सिंह, संपादक
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