Lucknow/Kanpur, Agra (Uttar Pradesh, India) । खामाखाम का हल्ला मचा रखा है कि कोरोना में काम नहीं है। कोरोना में सबसे ज्यादा काम अगर किसी के पास है तो अपराधियों के पास। अपराधियों के पास से होता हुआ वाया पुलिस यह काम आम जनता के पास भी आ गया है। ढाई लाख रुपये कमाने का मौका है। आप चाहें तो एक दिन में ही ढाई लाख रुपये कमा सकते हैं। आपको कुख्यात अपराधी पंडित विकास दुबे को खोजकर लाना है। अपनी उत्तर प्रदेश पुलिस तो यह काम कर नहीं पा रही है, इसलिए आम जनता को पैसे कमाने का मौका दिया है।
कौन है विकास दुबे
ये वही विकास दुबे है, जिसने कानपुर जिले के चौबेपुर थाना के अंतर्गत आने वाले गांव विकरू में नौ पुलिस वालों की हत्या कर दी। इसमें एक पुलिस क्षेत्राधिकारी भी शामिल थे। दो जुलाई का रात की घटना है। हत्या करके भाग गया। पूरे उत्तर प्रदेश की पुलिस पीछे पड़ी है और उसका कोई पता नहीं चल रहा है। इसी कारण इनाम घोषित किया है और पोस्टर लगाए हैं। पुलिस की 60 टीम विकास दुबे के पीछे हैं। स्पेशल टास्क फोर्स की छह टीम भी हैं, जो अपराधियों को पकड़ने में सिद्धहस्त कही जाती हैं।
कौन है पुलिस का हरीराम
यह भी साफ हो गया है कि नौ पुलिस वालों की हत्या के पीछे पुलिस का ‘हरीराम’ ही जिम्मेदार है। छापामारी की सूचना विकास दुबे को पहले ही दे दी थी। इस कारण उसने मुकाबले की पूरी तैयारी कर ली थी। यह भी कह सकते हैं कि पुलिस की मुठभेड़ असली अपराधी से हो गई। पुलिस ने पकड़कर मारा होता तो शायद किसी को छर्रे भी नहीं लगे होते।
विकास के दुबे से डरते थे पुलिस वाले
पुलिस की जांच हो रही है तो नए-नए तथ्य सामने आ रहे हैं। यह पता चला है कि विकास दुबे की धमकी से खाकीवर्दी वाले भय खाते थे। विकास दुबे का नाम सुनते ही सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती थी। अपनी बीट तक बदलवा लेते थे। इस कारण दरोगा केके शर्मा, दरोगा कुंवरपाल और सिपाही राजीव को निलंबित कर दिया गया है। पूरे मामले को यूपी के पुलिस महानिदेशक हितेश चन्द अवस्थी स्वयं देख रहे हैं। वह बात तो पुरानी हो गई है कि मुठभेड़ में शहीद पुलिस क्षेत्राधिकारी ने तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कानपुर को लिखित में पूरी जानकारी दी थी। उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया था। चौबेपुर के थानाध्यक्ष और एसएसपी में साम्य था।
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