भारत में नॉन-लेदर फुटवियर उद्योग अब भी लेदर फुटवियर और लेदर निर्यात की तुलना में कमजोर है। इसे बढ़ावा देना आवश्यक है क्योंकि यह क्षेत्र बड़े पैमाने पर चीन जैसे देशों से जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र को मजबूती देने और उसे प्राथमिकता में लाकर भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ सकता है।
सरकार की रणनीतिक पहल
केंद्र सरकार ने अपने बजट 2025-26 में महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- लेदर आयात शुल्क हटाना – इससे उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ेगी और उत्पादन लागत में कमी आएगी।
- लेदर उत्पादों पर निर्यात शुल्क समाप्त करना – इससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
चमड़ा उद्योग की केंद्रीय भूमिका
भारत में चमड़ा उद्योग (टेनरी) एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला का केंद्र है। नई तकनीकों, उन्नत सामग्री और आधुनिक मशीनरी के विकास से देश में एक स्वस्थ फुटवियर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा। इसके अतिरिक्त, दुनिया के साथ तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है ताकि भारत का फुटवियर उद्योग चीन, वियतनाम, बांग्लादेश, पाकिस्तान और कंबोडिया जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके।
व्यापक आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र का विकास
किसी भी उद्योग की प्रगति के लिए एक समग्र व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र आवश्यक होता है, जिसमें निर्माता, आपूर्तिकर्ता, विक्रेता और उपभोक्ता सभी शामिल होते हैं। बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित फोकस्ड प्रोडक्ट स्कीम इस पूरे तंत्र को सशक्त बनाने में सहायक होगी।
इस योजना के तहत, डिजाइन, मशीनरी, कच्चा माल और कंपोनेंट निर्माताओं को दीर्घकालिक रणनीति के तहत सहयोग मिलेगा। इससे भारतीय नॉन-लेदर एवं लेदर फुटवियर निर्माण उद्योग, निर्यात बाजार और घरेलू बाजार को व्यापक लाभ मिलेगा। इस योजना के अंतर्गत भारत में लेदर उद्योग से 4 लाख करोड़ रुपये का व्यापार और 1.1 लाख करोड़ रुपये का निर्यात होने की संभावना है, जिससे 22 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।
बदलते वैश्विक रुझान: नॉन-लेदर फुटवियर की बढ़ती मांग
वर्तमान समय में नॉन-लेदर फुटवियर की मांग तेजी से बढ़ रही है। विकसित देशों और कॉर्पोरेट जगत में कैज़ुअल लाइफस्टाइल को अपनाया जा रहा है, जिससे स्पोर्ट्स शूज़, एक्लेज़र शूज़ और कैज़ुअल फुटवियर की मांग बढ़ रही है, जबकि फॉर्मल फुटवियर की मांग में कमी आ रही है।
कोविड-19 के बाद, दुनिया में आरामदायक फुटवियर की प्रवृत्ति बढ़ी है, जिसमें माइक्रोफाइबर, ईवीए और अन्य उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे माल से बने जूते शामिल हैं। भारत को इस अवसर का लाभ उठाकर आधुनिक मशीनरी एवं तकनीक को प्रोत्साहित करना चाहिए।
नॉन-लेदर फुटवियर पार्क: नए उद्योगों के लिए आधारभूत संरचना
देशभर में नॉन-लेदर फुटवियर पार्क स्थापित किए जाने चाहिए, जिससे इस क्षेत्र को और अधिक गति मिलेगी। सरकार को मशीनरी एवं तकनीक को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी और अनुदान की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे “मेक इन इंडिया” पहल को भी मजबूती मिलेगी।
वैश्विक कंपनियों का भारत में निवेश
वॉन व्लैक्स जर्मनी ((Von wellx Germany ) एक प्रमुख कंपनी है, जो ग्रेटर नोएडा स्थित येडा क्षेत्र में नॉन-लेदर फुटवियर निर्माण इकाई स्थापित कर रही है। यह यूनिट नोएडा हवाई अड्डे के निकट है और अत्याधुनिक जर्मन तकनीक से उच्च गुणवत्ता वाले जूते बनाएगी। इससे भारतीय उपभोक्ताओं को विश्व स्तरीय आरामदायक और टिकाऊ फुटवियर उपलब्ध होगा।
निष्कर्ष
बजट 2025-26 में सरकार द्वारा लिए गए ये निर्णय भारतीय नॉन-लेदर फुटवियर उद्योग के लिए एक सकारात्मक संकेत हैं। यह उद्योग रोजगार सृजन, निर्यात वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उचित नीतियों, तकनीकी नवाचार और व्यापार अनुकूल वातावरण के माध्यम से यह क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में नई ऊंचाइयां छू सकता है।
आशीष जैन, सीईओ, वॉन व्लैक्स जर्मनी
कौन हैं आशीष जैन
आगरा के सेंट पीटर्स स्कूल से 12वीं पास करने के बाद उन्होंने सेंट जॉन्स से बीकॉम की पढ़ाई की। इसके बाद आगे की शिक्षा के लिए बाहर चले गए। 2015 में उन्होंने आई ट्रिक इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की। आशीष जैन कोविड 19 में जर्मन फुटवियर कंपनी वॉन व्लैक्स जर्मनी को चीन से आगरा लाए।
फुटवियर क्षेत्र में यह पहला समझौता है जो जर्मन तकनीक और भारतीय जनसांख्यिकीय को ध्यान में रखकर किया गया है। इसमें मुख्य बात तकनीक की है, जो भारत में अभी तक उपलब्ध नहीं है। यह पूरी तरह से निर्यात इकाई है और इससे भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। आगरा में आई ट्रिक कंपनी पहले से ही इस जर्मनी कंपनी का माल वन विलेज जर्मन के नाम से बना रही है।
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