बच्‍चों से बहुत सोच-समझकर करनी चाहिए बात, रहेगा ताउम्र मोटिवेटिड – Up18 News

बच्‍चों से बहुत सोच-समझकर करनी चाहिए बात, रहेगा ताउम्र मोटिवेटिड

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बच्‍चों को आगे बढ़ाने और उनको सक्‍सेसफुल बनाने में पेरेंट्स का काफी योगदान होता है। बच्‍चा कॉन्फिडेंट बनेगा या डरपोक, वो अपनी लाइफ में सफल हो पाएगा या नहीं, ये सब काफी हद तक मां-बाप पर और उनके द्वारा दी गई परवरिश पर निर्भर करता है। मां-बाप की कही बाते बच्‍चों के दिल को छू जाती हैं इसलिए पेरेंट्स को बच्‍चों से बहुत सोच-समझकर बात करनी चाहिए। यहां हम आपको पेरेंट्स द्वारा बोली गई कुछ ऐसी बातों या वाक्‍यों के बारे में बता रहे हैं, जो बच्‍चों के कॉन्फिडेंस को बढ़ाने का काम कर सकती हैं।

तुम्‍हारी कोशिशें अद्भुत हैं

जब कोई पेरेंट अपने बच्‍चों की कोशिशों और प्रयासें की सराहना करता है या उनकी तारीफ करता है, तो इससे बच्‍चे का आत्‍मविश्‍वास बढ़ता है और वो पहले से ज्‍यादा मेहनत करने को प्रेरित होता है। बच्‍चे का आत्‍मविश्‍वास बढ़ाने के लिए हर माता-पिता को उसके द्वारा किए गए प्रयासों को पहचानकर उसकी तारीफ करनी चाहिए। आप कभी भी अपने बच्‍चे की कोशिशों को नजरअंदाज ना करें।

तुमने हमें सिखाया है 

बच्‍चे से ये कहना है कि तुम्‍हारा डिसिप्लिन में रहना, हमें पाठ सिखाता है और तुम्‍हारी उम्र में हमने किसी को भी इतना प्रतिबद्ध नहीं देखा है, यह वाक्‍य भी आपके बच्‍चे के कॉन्फिडेंस को बढ़ाने का काम कर सकता है। इससे बच्‍चों का हौंसला बढ़ता है कि वो जो भी कर रहे हैं या जिस भी दिशा में जा रहे हैं, वो एकदम सही है।

रिजल्‍ट हमारे हाथ में नहीं है 

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्‍चा ताउम्र मोटिवेटिड रहे और वो किसी चीज या फील्‍ड में हारने पर भी अपनी हिम्‍मत ना हारे, तो आप उसे ये कह सकते हैं- रिजल्‍ट हमारे हाथ में नहीं है लेकिन हमारे द्वारा किए गए प्रयास कभी विफल नहीं जाते हैं। मां-बाप के इतनी सी बात कह देने भर से ही बच्‍चे में आत्‍मविश्‍वास आ सकता है। इसके साथ ही आप उसे यह भी कह सकते हैं कि तुमने जो भी किया वो बेस्‍ट था और तुम अपने हर काम को बेस्‍ट करने की कोशिश करते हो।

अपने मन की बात सुनो

अगर आप चाहते हैं कि आप अपने बच्‍चे के कॉन्फिडेंस को बढ़ाने में उसकी कुछ मदद कर सकें तो उससे ये बात कह सकते हैं- तुम्‍हारे आइडिया बेहतरीन हैं, उन पर काम करते रहो और हमेशा अपने मन की बात सुनो। इससे बच्‍चे को लगेगा कि उसमें भी कुछ करने की काबिलियत और जज्‍बा है और वो भी अपने दम पर कुछ कर सकता है। इससे बच्‍चे का आत्‍मविश्‍वास दोगुना हो सकता है और वो जो काम कर रहा है, उसे और शिद्दत से कर सकता है।

गलती करना अच्‍छा है

आप बच्‍चे से कहें कि गलतियां करना गलत इंसान की निशानी नहीं हैं बलिक गलती करने से आप सीखते हैं और एक बेहतर इंसान बनते हैं। आपकी ये बात बच्‍चे के आत्‍मविश्‍वास को जगा सकती है और वो सिर्फ जीतने पर नहीं बल्कि सीखने पर फोकस कर सकता है।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh