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संतोष कुमार शर्मा द्वारा आगरा में आयोजित सबसे बड़ी भागवत कथा से नेताओं के पेट में मरोड़ क्यों?

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सांसद राजकुमार चाहर के साथ उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आने के बाद राजनीतिक चर्चाएं तेज

अतिशय श्रद्धालुओं को देख फतेहाबाद क्षेत्र से जुड़े कई नेता पहुंचे, सांसद डॉ. रामशंकर कठेरिया तो नित्य आ रहे

डॉ. भानु प्रताप सिंह चपौटा’

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ताजमहल का शहर है आगरा। शिव मंदिरों का शहर है आगरा। कभी कांग्रेस का था आगरा। फिर बहुजन समाज पार्टी का हुआ आगरा। आजकल भारतीय जनता पार्टी का है आगरा। पौराणिक काल से महत्व का है आगरा। भगवान राम की बहन शांता का आगरा। जैन धर्म के तीर्थंकर नेमिनाथ का आगरा। भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव और पितामह शूरसेन का आगरा। ऐसे पौराणिक और ऐतिहासिक आगरा में इस समय चल रही है श्रीमदभागवत कथा। राजा परीक्षित की भूमिका में हैं विनर्माण क्षेत्र में सक्रिय एसकेएस ग्रुप के कर्ताधर्ता और अनाम समाजसेवी संतोष कुमार शर्मा। वही भागवत कथा करा रहे हैं। विश्वविख्यात भागवताचार्य डॉ. श्याम सुंदर पाराशर व्यासपीठ पर विराजमान हैं। यह ऐसी भव्य और दिव्य भागवत कथा है कि नेताओं के पेट में मरोड़ उठने लगी है। वे कुछ और ही अर्थ निकाल रहे हैं।

भागवत कथा राज देवम रिसॉर्ट में हो रही है। इसकी भव्यता देखते ही बनती है। हालांकि यह धार्मिक आयोजन है, लेकिन जब लोग चर्चा करने लगें तो समाचार तो बनता है। असल में मेरे पास 20 अक्टूबर, 2023 को दिल्ली से फोन आया। भागवत कथा की चर्चा होने लगी। संतोष कुमार शर्मा का नाम लेकर कहा कि वे पूरा शहर छोड़कर होटल रमाडा के पास भागवत कथा क्यों करा रहे हैं? मैंने कहा कि शहर के कोलाहाल से दूर शांत वातावरण में कथा कराना तो बहुत अच्छी बात है। उन्होंने फिर कहा- आप समझे नहीं, राज देवम फतेहाबाद के पास है। राजनीतिक हलचल हो रही है।

यह सुनकर मेरे दिमाग की बत्ती कभी जली तो कभी बुझी। सोचा कि भागवत कथा को राजनीति से जोड़ने का क्या मतलब है? कथा में कोई राजनीतिक बात भी नहीं हो रही है। हां, इटावा के सांसद डॉ. रामशंकर कठेरिया ने कोठी मीना बाजार में रामकथा करवाई थी, तब जरूर राजनीतिक बातें हुई थीं। जाने-माने कथावाचक स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने हर दिन राजनीतिक बातें कहीं थी। छठे दिन भी डॉ. श्याम सुंदर शर्मा ने कोई राजनीतिक बात नहीं कही है। फिर भी भागवत को राजनीति से क्यों जोड़ा जा रहा है।

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राजा परीक्षित के रूप में कथा श्रवण करते संतोष कुमार शर्मा। साथ में पत्नी श्रीमती ललिता शर्मा।

असल में भागवत कथा में अतिशय श्रद्धालु आ रहे हैं। फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र के गांव-गांव से प्रमुख लोग आ रहे हैं। सभी का नाम गांव के नाम के साथ पुकारा जाता है। वे डॉ. श्याम सुंदर शर्मा से आशीर्वाद लेते हैं और सम्मान भी करते हैं। हर कोई संतोष कुमार शर्मा से मिलने को आतुर है। आगरा शहर के जाने-माने लोग भी पहुंच रहे हैं। छठवें दिन मैंने देखा कि विशाल रिसॉर्ट में पर्याप्त सोफा, कुर्सियां और बिछावन के बाद भी लोग खड़े होकर कथा श्रवण कर रहे हैं। पांच बजे के बाद तो हालत यह थी कि मुख्य द्वार से एक बार कोई बाहर निकल गया तो उसे प्रवेश नहीं दिया गया। सौ के करीब बच्चों को बाहर ही बैठाया गया। व्यवस्था में रत लोग करें भी तो क्या, स्थान कम पड़ रहा है।

अब एक नजर संतोष कुमार शर्मा पर डालते हैं। जो उनके संपर्क में हैं, वे संतोष कुमार शर्मा की सदाशयता की सुगंध में विलीन हैं। मुखमंडल पर मधुर मुस्कान, सभी को सम्मान, सबके प्रति यथायोग्य आदर और प्रेम। सारे काम छोड़कर सिर्फ भागवत कथा का रसपान कर रहे हैं। इसके बाद भी सबकी चिंता करते हैं। कुछ को आरती में मंच पर बुलाकर तो अधिकांश को स्वागत-आशीर्वाद के लिए मंच पर बुलाकर आदर दे रहे हैं।

भागवत कथा में उमड़ रहे जनसमूह की चर्चा हर तरफ है। मैं ऊपर लिख चुका हूँ कि फतेहाबाद के तो गांव-गांव से लोग आ रहे हैं। यह सूचना फतेहाबाद के विधायक छोटेलाल वर्मा तक पहुंची तो वे भी भागवत कथा में आ गए। व्यासपीठाचार्य डॉ. श्याम सुंदर पाराशर का आशीर्वाद लिया। भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष और फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से पूर्व प्रत्याशी गिर्राज सिंह कुशवाह, फतेहाबाद से खास नाता रखने वाले पूर्व मंत्री रामसकल गुर्जर, संतोष कटारा भी कथा सुनते देखे गए। इटावा के सांसद डॉ. रामशंकर कठेरिया तो प्रायः नित्यप्रति भागवत कथा सुन रहे हैं। उनसे मिलने वाले भी खूब हैं। फतेहपुर सीकरी के सांसद और भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर दो दिन भागवत कथा में आ चुके हैं।

भागवत कथा में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आने के बाद राजनीतिक फुसफुसाहट शुरू हुई थी। अब लोग खुलकर कहने लगे हैं। जिन्हें राजनीति में रस आता है, वे हर घटनाक्रम को राजनीतिक चश्मे से देखते हैं। फिर चाहे भागवत कथा हो या राम कथा। लगता है कुछ ऐसा ही संतोष कुमार शर्मा को लेकर देखा और कहा जा रहा है। इस भागवत कथा को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। कथा के समापन पर 24 अक्टूबर को भंडारा है। हजारों लोगों के पहुंचने की संभावना है। इसकी जोर-शोर से तैयारी चल रही है।

भागवत कथा के माध्यम से सामाजिक सरोकार भी निभाया है। 21 अक्टूबर को निःशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर आयोजित किया। इसमें सभी के चश्मे निःशुल्क दिए जाएंगे। साथ ही जिन्हें मोतियाबिंद मिला है, उनके ऑपरेशन भी संतोष कुमार शर्मा कराएंगे। यह शानदार सामाजिक कार्य है, जिसके लिए मैं संतोष कुमार शर्मा को साधुवाद देता हूँ।

मैंने भागवत कथा के दौरान ही संतोष कुमार शर्मा से कहा कि आपको लेकर कुछ राजनीतिक बातें हो रही हैं तो उन्होंने बड़ा सटीक उत्तर दिया- भागवत कथा सुनिए, ऐसी बातों को छोड़िए। अब देखना है कि भागवत कथा से जिन नेताओं के पेट में मरोड़ उठ रही है, वे इस बात को किस रूप में लेते हैं?

Dr. Bhanu Pratap Singh