इस्लाम को मानने वालों की आबादी देखें तो आज ये दुनिया में ईसाइयत के बाद सबसे बड़ा धर्म है। इसके साथ ही ये सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म भी है, लेकिन यह इस समय एक ऐसे खतरे का सामना कर रहा है जो पहले कभी नहीं किया था। ये खतरा है दुनिया में इस्लाम छोड़ने वालों की बढ़ती हुई आबादी से, जो खुद की पहचान एक्स मुस्लिम के रूप में बताते हैं।
इस्लाम में धर्म को छोड़ने को बुरा समझा जाता है। जो लोग इस्लाम को छोड़ने की कोशिश करते हैं, उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ता है। लेकिन एक्स मुस्लिमों की बढ़ती आबादी बताती है कि अब ये स्थिति बदल रही है। दुनिया भर में बड़ी संख्या में ऐसे लोग सामने आए हैं जो इस्लाम छोड़ चुके हैं।
2018 में प्रकाशित प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में रहने वाले 23 प्रतिशत वयस्क जो मुस्लिम परिवार में बड़े हुए, अब अपनी पहचान मुसलमान के रूप में नहीं बताते। इस्लाम छोड़ने वालों में 7 फीसदी लोगों ने बताया कि वे इसकी शिक्षाओं से सहमत नहीं थे।
एंग्लिकन इंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में एक सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 55 प्रतिशत पूर्व-मुसलमान नास्तिक बन जाते हैं, लगभग 25 प्रतिशत ईसाई बन जाते हैं जबकि अन्य 10 प्रतिशत के बारे में पता नहीं चलता है।
एक्स मुस्लिम इस्लाम के लिए क्यों चिंता की बात
सिर्फ इस्लाम ही नहीं बल्कि ईसाई, हिंदू, बौद्ध और यहूदियों में भी धर्म छोड़ने वालों की बड़ी संख्या है लेकिन इस्लाम को छोड़ने वालों को एक बात सबसे अलग बनाती है। बाकी धर्मों को छोड़ने वाले अधिकांश खुद को नास्तिक कहते हैं, जबकि इस्लाम को छोड़ने वाले अपनी पहचान खुद एक्स मुस्लिम के रूप में बताते हैं।
इस्लामिक समाज में जहां धर्म को छोड़ने को बड़ा टैबू माना जाता है, ऐसे में खुलेआम इसकी घोषणा करने में बड़ा संदेश छिपा है। आम तौर पर इस्लामिक देशों में इस्लाम को छोड़ना गैर-कानूनी है लेकिन यूरोप और अमेरिका जैसी जगहों पर जहां ये कानूनी है, वहां भी ऐसा करने वाले एक्स मुस्लिमों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
बीबीसी ने 2015 में अपनी पड़ताल में पाया था कि ब्रिटेन में इस्लाम छोड़ने वालों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। इसमें सिर्फ समाज ही नहीं, बल्कि अपने ही परिवार के लोग भी शामिल होते हैं। ऐसे में इन पूर्व मुस्लिमों का खुलकर सामने आना ऐसे लोगों को हिम्मत देता है।
पूर्व मुस्लिमों के साथ संपर्क
2007 में जर्मनी में सेंट्रल काउंसिल ऑफ एक्स मुस्लिम की स्थापना हुई। पूर्व मुस्लिमों के लिए ये पहला बड़ा मंच था। इसके बाद से पश्चिमी देशों में इस तरह के कई समूह सामने आए हैं, जो इस्लाम छोड़ने वालों की मदद करते हैं। उदाहरण के लिए अमेरिका का एक्स मुस्लिम संगठन ऐसा करने वालों को समर्थन देता है। इस्लाम के खिलाफ तर्कों को मजबूती से उठाता है और महिलाओं के साथ असमान व्यवहार और बहुविवाह जैसे परेशान करने वालों को मुद्दों को सामने लाता है।
इस्लाम के सामने यह एक ऐसी स्थिति है, जिसका उसने पहले सामना नहीं किया है। इसका असर भी दिखने लगा है। यूरोप के सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश फ्रांस में 15000, जबकि अमेरिका में एक लाख मुसलमान हर साल धर्म छोड़ देते हैं।
दूसरे मुसलमानों को भी करते हैं प्रेरित
ये एक्स मुस्लिम इस्लाम के मानने वालों के सामने इसके विरोध में तर्क देते हैं। लॉस एंजिल्स में रहने वाली वफा सुल्तान ऐसी ही एक एक्स मुस्लिम हैं, जो अरबी बोलने वालों को संबोधित करती हैं। वे उनसे इस्लाम की कमियों पर बात करती हैं। उन्हें इसे छोड़ने के लिए कहती हैं। फ्रांस की पत्रकार जैनब अल रिजाई एक्स मुस्लिम के रूप में जाना माना नाम है, जो इस्लाम की मुखर आलोचक हैं। बीबीसी की एक रिपोर्ट में अमेरिका में रहने वाले पूर्व मुस्लिमों से बात की गई थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे वे एक दूसरे के साथ संपर्क में रहकर मदद करते हैं।
-एजेंसी
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