क्या है राजा मानसिंह हत्याकांड : आखिरी सुनवाई आज हुई

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Mathura (Uttar Pradesh, India) मथुरा। आरोपियों और गवाहों की पेशी में सरकार के अब तक 9 करोड़ रु खर्च हुए। हर तारीख पर 50 हजार का खर्चा करना पड़ा सरकार को। 34 साल से मिल रही सिर्फ तारीख, 20 न्यायाधीश बदले, अब 8 वीं बार शुरू हुई बहस डीग में 20 फरवरी 1985 को पुलिस फायरिंग में हुई थी राजा मानसिंह की मौत मानसिंह पर तत्कालीन सीएम शिवचरण माथुर के हेलिकॉप्टर को तोड़ने का लगा था आरोप, बहुचर्चित राजा मानसिंह हत्याकांड मामले में अब 8 वीं बार बहस शुरू हुई है। मथुरा की अदालत में अब 21 जुलाई को अंतिम सुनवाई हुई और इंसाफ के आखिरी तारीख का समय आ ही गया। तारीख पे तारीख का यह सिलसिला पिछले 34 साल से चला आ रहा है। अदालत में आरोपी, गवाह, वकील और फरियादी सब आते हैं, मगर वह समय नहीं आता जब इस का आखिरी फैसले की तारीख हो।

34 साल से बेटी एवं पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा ने बड़ी लम्बी लड़ाई लड़ी

20 फरवरी, 1985 को हुए इस हाई प्रोफाइल राजा मानसिंह हत्याकांड के मुकदमे को उनकी बेटी एवं पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा ने बड़ी लम्बी लड़ाई लड़ी हैं। हर तारीख पर उन्हें एक उम्मीद नजर आती थी कि शायद अब फैसला आ जायेगा। आज उन्होंने बड़े ही संतोष के साथ खुशी जाहिर की कि आखिर फैसले का समय आ गया और राजा मान सिंह समेत तीन अन्य को स्वर्ग में भी सन्तोष मिल रहा होगा। उनका मानना है कि यह मामला इतना पेचीदा और लंबा खिंच गया। क्योंकि 78 गवाह, 18 आरोपियों की गवाही और 900 से ज्यादा दस्तावेजों पर बहस इतनी लंबी चलती है कि जब तक वह पूरी हो, तब तक जज बदल जाता है। न्यायाधीश साधना रानी इस केस में 20 वीं जज हैं। अब तक 7 बार फाइनल बहस हो चुकी है। पिछले महीने से फिर 8 वीं बार बहस शुरू हुई है।

इस केस में अब तक 1607 तारीखें हो चुकीं हैं

करीब 34 साल पहले हुए इस हत्याकांड में अब तक लगभग 1607 तारीखें पड़ने के साथ ही 14 वकील बदल चुके हैं। अब जाकर फैसला आया है। भरतपुर के लोगों को इसका लम्बे समय से इंतजार था। केस की गंभीरता इसी से आंकी जा सकती है कि मुख्य आरोपी तत्कालीन डीएसपी कानसिंह भाटी एवं 14 अन्य आरोपियों को पेशी पर स्पेशल टास्क फोर्स की निगरानी में लाया जाता है। अनुमान है कि एक पेशी पर सरकार के करीब 50 हजार रुपए खर्च होते हैं। अब तक पेशी कराने में ही सरकार के करीब 9 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।

रियासत का झंडा उतारे जाने से नाराज राजा मानसिंह ने तत्कालीन सीएम का हेलीकॉप्टर तोड़ दिया था

वर्ष 1985 में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। राजा मानसिंह निर्दलीय प्रत्याशी थे और कांग्रेस के प्रत्याशी सेवानिवृत आईएएस ब्रजेंद्रसिंह थे। कांग्रेस के पक्ष में सभा करने के लिए 20 फरवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर डीग आए हुए थे। बताया जाता है कि कांग्रेस समर्थकों ने किले में लक्खा तोप के पास लगे राजा मानसिंह के रियासत कालीन झंडे को हटाकर कांग्रेस का झंडा लगा दिया था। इससे राजा मानसिंह नाराज हो गए थे।

तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के सभा मंच को जोंगा (वाहन) की टक्कर से तोड़ दिया था

एफआईआर के अनुसार राजा मानसिंह ने चौड़ा बाजार में लगे तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के सभा मंच को जोंगा (वाहन) की टक्कर से तोड़ दिया। इसके बाद वे हायर सेकंडरी स्कूल पहुंचे और सीएम के हेलीकॉप्टर को टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया। इस मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई। तत्कालीन डीएसपी कानसिंह भाटी 21 फरवरी, 1985 को दोनों एफआईआर की कापी लेकर जयपुर जाने वाले थे। लेकिन, बताते हैं कि उन्हें फोन आया और वे जयपुर जाने के बजाय थाने पहुंच गए। वहां आरएसी के कुछ जवानों समेत हथियार बंद फोर्स को तैयार कर राजा मानसिंह को गिरफ्तार करने की बात कही।

राजा मानसिंह, सुमेरसिंह और हरिसिंह को गोली मारी गयी थी

पुलिस ने अनाज मंडी में राजा मानसिंह को हाथ से रुकने का इशारा किया। लेकिन, राजा मानसिंह ने आगे रुकने का इशारा किया। इस पर पुलिस जीप के ड्राइवर महेंद्र सिंह ने जीप को जोंगा के आगे लगा दिया। जब राजा मानसिंह अपने जोंगा को बैक करने लगे तभी फायरिंग हुई। इसमें राजा मानसिंह, सुमेरसिंह और हरिसिंह को गोली लगी। जिन्हें भरतपुर के अस्पताल लाया गया, जहां उन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

मुख्य आरोपी कानसिंह भाटी का फोटो लेने में चार वर्ष लगे

1985 में जिस दिन यह केस मथुरा ट्रांसफर हुआ था। उस समय मैं (सुनील शर्मा) दैनिक जागरण में फोटोग्राफी करता था बड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ कोर्ट को पुलिस छावनी में तव्दील कर दिया गया था। जब कानसिंह भाटी और 18 अन्य आरोपियों को जिला जज की अदालत में लाया जा रहा था तो उसके साथ बड़ी संख्या में राजस्थान पुलिस के जवान भी भरतपुर से आये थे। जब में फोटो लेने के लिए पोजीशन ले रहा था तो उसके साथियों ने अचानक मुझ पर हमला कर दिया था। दूसरी तारीख पर फिर फोटो खीचने का प्रयास किया लेकिन फोटो खीचने से पहले कान सिंह भाटी के साथ चल रहे शायद उसके बेटे ने एक शॉल से अपने पिता का चेहरे को ढ़कने का प्रयास किया। इस प्रकार हर बार में नाकामयाब रहा और एक दिन मथुरा जंकशन स्टेशन पर कानसिंह भाटी को ले जाया जा रहा था। मैं फोटो के लिए तैयार होता इतने मैं गाड़ी में बैठ कर वह चला गया।

आखिर में चार साल के वाद मुझे सफलता मिली श्रीकृष्ण जन्मस्थान के गेस्टहाउस के बाहर एक जौंगा मेने कानसिंह भाटी को उसमें से उतरते देखा मैं आनन फानन में गेस्टहाउस की छत पर गया और वहां से मेने कानसिंह भाटी का फोटो ले लिया जो दैनिक जागरण के मुख्य पृष्ठ पर छपा था, जिसके बाद कानसिंह भाटी के वकील ने कोर्ट में आवेदन किया था कि फोटो छापे जाने से मेरी शिनाख्त कार्यवाही प्रभावित हो सकती है अतः फोटोग्राफर को कोर्ट बुलाकर कानूनी कार्यवाही की जाये। कोर्ट नहीं माना इस प्रकार कान सिंह भाटी का फोटो लेने में मुझे चार वर्ष लगे थे।

Dr. Bhanu Pratap Singh