Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बुरा है। ग्रामीण क्षेत्रों की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को उनके हाल पर छोड दें तो भी तस्वीर बेहद निराशा जनक है। 9 सितम्बर 2019 को ठीक एक साल पहले उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने जिला चिकित्सालय का हंगामा खेज निरीक्षण किया था। इस दौरान सीएमएस पर नाराजगी जताई थी, इसके बाद सीएमएस ने बाकायदा कई बार मीडिया को अपनी ओर से सफाई पेश की थी। ऐसा लग रहा था कि अब जिला चिकित्सालय के हालत सुधर जाएंगे। इस हंगामे के बाद ऐसा क्या हुआ, न ऊर्जा मंत्री ने जिला चिकित्सालय की ओर मुड कर देखा और नहीं जिला चिकित्सालय के हालातों में कोई बदलाव आया। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने जिला अस्पताल का निरीक्षण करने के बाद अनियमितताओं को स्वीकारा था और कहा था कि कमियां जल्द दुरुस्त की जाएंगी।
एक साल बाद जिला चिकित्सालय की टोह ली गयी तो हालात जस के तस थे।
जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) का टोटा है। एक सप्ताह से एआरवी न होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ये हाल तब जब रोज औसतन डेढ़ सौ से दो सौ मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक करीब 150 से 200 लोग एआरवी लगाने अस्पताल पहुंचते हैं। सीएमएस डॉ. आरएस मौर्या का कहना है कि उन्होंने वैक्सीन खत्म होने की जानकारी लखनऊ दे दी है। वृंदावन के संयुक्त जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन उपलब्ध है, वहां लगवा सकते हैं।
सर्प दंश की शिकार महिला की उचित इलाज के अभाव में मौत हो गई
सर्प दंश के शिकार मरीजों को भी जिला चिकित्सालय में इलाज नहीं मिल रहा है। किसी भी सरकारी अस्पताल में सर्प दंश के शिकार व्यक्ति को ठीक इलाज की सुविधा नहीं है। हाल ही में वृंदावन निवासी सर्प दंश की शिकार महिला की जिला चिकित्सालय में उचित इलाज के अभाव में मौत हो गई थी। मृत महिला के परिजनों ने चिकित्सकों पर गंभीर आरोप लगाये थे।