चमत्कारी पागल बाबा मंदिर में ये क्या-क्या होने लगा, देखें वीडियो

चमत्कारी पागल बाबा मंदिर में ये क्या-क्या होने लगा, देखें वीडियो

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Mathura (Uttar Pradesh, India) मथुरा मथुरा-वृन्दावन के बहुचर्चित चमत्कारिक संत पागल बाबा महाराज का मंदिर भी आज कल कोरोना काल में दर्शनार्थियों के अभाव में सूना पड़ा है। मगर कोरोना महामारी के काल में भी इसमें चल रही गतिविधियां रूकी नहीं। जहां बाबा महाराज हमेशा गरीब, मजबूर और साधारण से साधारण व्यक्तियों का ख्याल रखते थे। बाबा के समय से ही अनेक बाबा के सगे सम्बन्धी भी इस विशाल मंदिर में बाबा की छत्र छाया में रहते थे। आज उनको आश्रम से निकाल कर अन्य जगहों पर स्फ्टि किया जा रहा है। वहीं बाबा के मंदिर निर्माण में सहयोगी रहे तमाम दान दाताओं सेठों के परिवारों को भी पर्याप्त मान सम्मान नहीं मिल रहा है।

यह अतुलनीय मंदिर भारतवर्ष में अपने ढंग का प्रथम मंदिर है

सन् 1969 में पागल बाबा को एसी प्रेरणा हुई की आगरा का ताजमहल देखने के लिए देश विदेश से लाखों करोड़ों पर्यटक आगरा आते हैं, मगर श्रीकृष्ण की प्रेममयी लीलास्थली होने के उपरांत भी तथा आगरा के निकट होते हुए भी वृंदावन आने की प्रेरणा लोगों को नहीं हो पाती। देश विदेश के पर्यटकों का ध्यान वृंदावन की ओर आकर्षित करने के लिए एक भव्य मंदिर बनाने की परियोजना बनाई और एक विशाल संगमरमर के नौ मंज़िला मंदिर लीलाधाम की स्थापना की गई। यह अतुलनीय मंदिर भारतवर्ष में अपने ढंग का प्रथम मंदिर है। इसकी चौड़ाई करीब 150 फीट (क्षेत्रफल 1800 वर्गफुट) तथा उँचाई 221 फीट है। इसके हर मंज़िल पर विभिन्न देव मंदिर है। इस आश्रम का नाम लीलाधाम रखा गया। यह अनूठा मंदिर भारतवासियों को तो आकर्षित करता ही है, विदेशी पर्यटकों को भी मंत्रमुग्ध करता है। आज यह मंदिर भी कोरोना के कारण भक्तों की बाट जोह रहा है, मगर कोरोना काल में भी मंदिर के अन्दर क्या घटा है यह लोगों को पता ही नहीं चल सका।

अब आश्रम में न ठहरने को जगह मिलती है न ही अब पहले जैसी बात है।

बाबा के भक्तों में आज भी बाबा के प्रति भावना है कि उन्हें पूरे मंदिर में सकारात्मकता की अनुभूति होती है, जो इसके संस्थापक की याद दिलाती है। इन भक्तों में अधिकांश का कहना है कि हम वृन्दावन आते हैं पर अब आश्रम में न ठहरने को जगह मिलती है न ही अब पहले जैसी बात है।

बाबाश्री के एक आदेश पर जब तमाम करोड़पति धन्ना सेठ अपनी तिजोरियाँ खोल दिया करते थे। इस मंदिर का निर्माण पागल बाबा के अनुयायियों जो देश के महानगरों में कोलकाता, मुम्बई व दिल्ली के नामचीन सेठों ने कराया था। आज उन्हीं बाबा के अनुयाईयों के वंशज भी दुखी हैं।

सेवायत महिलाओं को मान सम्मान से किसी न किसी सम्बोधन से बुलाते हैं

बाबा के छोटे भाई की पुत्री श्रीमती मौनिका गोस्वामी ने दुखी मन से बताया कि बाबा के समय से आश्रम हमारा एक परिवार जैसा बन गया था हम सभी सेवायत महिलाओं को मान सम्मान से किसी न किसी सम्बोधन से बुलाते हैं इन्होंने मंदिर के लिए जो योगदान दिया है वह कभी भुलाया नहीं जा सकता है, आज यह स्थिति है कि यह बुजुर्ग महिलाओं को आश्रम से निकाला जा रहा है यह निन्दनीय कार्य है, बाबा जरूर देख रहे होंगे।

65 वर्षीय महिला को रात पौने ग्यारह बजे के करीब आश्रम से अन्य संस्थान में स्फ्टि करा दिया

अब बाबा के समय के सेठों के परिवारी जनों को व बाबा के करीब रहने वाले उनके सगे सम्बधियों को व बाबा के अतिकृपा पात्र रहे लोगों को धीरे-धीरे करके मंदिर व आश्रम से विरत किया जाने लगा है। जिसमें वह महिलाएं भी हैं जो आश्रम, मंदिर की सेवा पूजा में सहयोग साफ-सफाई किया करती थीं। यह महिलाएं काम करने वाली वह हैं जो वर्षों से इस मंदिर में रह रहीं थीं। हालही में एक 60-65 वर्षीय महिला को रात पौने ग्यारह बजे के करीब आश्रम से भूतगली स्थित अन्य संस्थान में स्फ्टि करा दिया गया। जहां पहले से चार पांच मंहिलाओं को मंदिर आश्रम से स्फ्टि किया गया है जहां एक सरकारी आश्रय सदन भी चलता है।

इस घटना को लेकर दिल्ली, कलकत्ता के परिवार भी परेशान हैं

इस घटना को लेकर बाबा के निजी परिवारी जन भी दुखी हैं तथा बाबा से जुडे़ रहे दिल्ली, कलकत्ता के वह परिवार भी परेशान हैं जो बाबा के प्रति व मंदिर आश्रम के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा भक्ति व आस्था रखते हैं।

प्रबन्धक ने 18 जून 2019 पत्र  को आधार बना कर मंदिर आश्रम से बाहर करने के लिए पत्र दिया

उक्त महिला व इससे पहले भी महिलाओं को यहां से हटाने के लिये मंदिर के प्रबन्धक ने 26 जून 2020 को एक पत्र सिटी मजिस्ट्रेट को लिखा। जिसमें पत्र संख्या 229, 18 जून 2019 बवीता तिवारी के अशोभनीय परिवेश का हबाला देते हुए, वर्तमान में सपना दास को भी इसे आधार बना कर मंदिर आश्रम से बाहर करने के लिए पत्र दिया था। जिसमें सपना को उसके 22 वर्षीय पुत्र के साथ आश्रम में न रहने देने के लिए लिखा गया है। पत्र के अनुसार श्रीमती सपना दास अपने बालिग हो चुके पुत्र के साथ नहीं रह सकती हैं तथा वह किसी अन्य संस्थान में कार्य करता है। तथा आरोप लगाया गया है कि वह आश्रम में रहते हुए बाहरी गलत लोगों के बहकावे में आकर आश्रम का माहौल खराब कर रहा है। इस लिए उसे पुत्र के साथ जल्द से जल्द आश्रम छोडने का आदेश पारित करने की मांग की गयी है।

लॉकडाउन के समय में आश्रम से निकाला गया। डराया गया एवं एक कागज पर हस्ताक्षर भी कराये

मंदिर प्रबन्धक ने सिटी मजिस्ट्रेट के इसी आदेश को आधार बना कर 17 जुलाई 2020 को रात्रि 10.45 बजे श्रीमती सपना दास को उसके पुत्र के साथ लीलाधाम से निकाल कर लीलाकुंज आश्रम भूतगली वृन्दावन में स्फ्टि करा दिया। उक्त महिला ने बताया कि हमारे मना करने पर भी हमारी एक नही सुनी गई कोरोना महामारी के इस आपातकालीन स्थिति में एवं लॉकडाउन के समय में हमें आश्रम से निकाला गया। हमें डराया गया एवं एक कागज पर हस्ताक्षर भी कराया, उस कागज की कापी मागने पर जिलाधिकारी महोदय के पास भेजा गया है, बोलकर हमें उसकी प्रति भी नहीं दी गयी।

पूर्व में मंदिर के अन्दर किसी अन्य के द्वारा कुछ अशलील हरकतों का हबाला

घटना के सम्बन्ध में सिटी मजिस्ट्रेट के बीआईपी बाबू शम्भू नाथ ने बताया कि इस बावत एक पत्र मंदिर व ट्रस्टी बाबू लाल अग्रवाल द्वारा दिया गया था। जिसमें पूर्व में मंदिर के अन्दर किसी अन्य के द्वारा कुछ अशलील हरकतों का हबाला भी दिया गया था जिसके आधार पर सपना व उसके पुत्र को आश्रम मंदिर से निकाला गया है।

बताते चलें कि पागल बाबा मंदिर में पागलबाबा के समय से ही जिलाधिकारी पदेन अध्यक्ष व जिलाजज को ट्रस्टी बनाया गया है जिसके आधार पर प्रभारी अधिकारी सिटी मजिस्ट्रेट को बनाया गया है।

मेरे साथ अन्याय किया गया है और जबरन आश्रम से निकाला गया

इस सम्बन्ध में बात करने पर सपना दास ने बताया कि वह वर्षों से आश्रम में चाय घर में सेवा करती थी सबके झूठे वर्तन आदि साफ करना। मेरा पूरा जीवन ईमानदारी के साथ मेहनत करके बीता है। आश्रम से मात्र 1800 रुपये प्रतिमाह मानदेय के रूप में दिया जाता है। चार वर्षो से पति लापता है, एक मात्र बेटे के अलावा कोई नहीं है। बाबा की कृपा से मेरा बेटा एमबीए की पढ़ाई कर रहा है। मेरे साथ अन्याय किया गया है और जबरन आश्रम से निकाला गया है।  

आश्रम में महिला रात्रि में नहीं रूक सकती हैं, परिवार के साथ यहां रात्रि में रूकने की मनाही

वहीं मंदिर प्रबन्धक बलदेव प्रसाद चतुर्वेदी का इस सम्बन्ध में कहना है कि जिलाप्रशासन के आदेशानुसार क्यों कि जिलाधिकारी ट्रस्टी व अध्यक्ष हैं तथा जिलाजज ट्रस्टी हैं। प्रभारी अधिकारी सिटी मजिस्ट्रेट हैं उनके आदेशानुसार आश्रम में महिला रात्रि में नहीं रूक सकती हैं। और किसी को भी परिवार के साथ यहां रात्रि में रूकने की मनाही है। यह व्यवस्था हमेशा के लिए है। यदि यहां कोई अनुष्ठान या कार्यक्रम होता है और बाबा के भक्त परिवार के साथ यहां आते हैं तो वह दो तीन दिन रूक सकते हैं किसी को मनाही नहीं है। आश्रम में केवल काम काज करने बाली महिलाओं को नहीं रूकना है।

सपना दास का बेटा गलत हाथों में खेल रहा है, वीडियो, फोटो बना कर दूसरों को भेजता है

उन्होंने बताया कि सपना दास का बेटा भी उसी के साथ रहता है वह बड़ा हो चुका है तथा दूसरे संस्थान में काम करता है तो वह अन्य कहीं भी रहे माँ यदि बेटे के साथ रहना चाहे तो वह आश्रम छोड कर जा सकती है। प्रबन्धक ने सपना के पुत्र गोपी दास के उपर आरोप लगाते हुए कहा कि वह गलत हाथों में खेल रहा है तथा आश्रम मंदिर की वीडियो, फोटो बना कर दूसरों को भेजता था।

मंदिर प्रबन्धक ने बताया कि सपना व उसके बेटे को उनके सामान के साथ गाड़ी में बैठाकर भूतगली स्थित अन्य आश्रम में भेज दिया गया। कुछ लोग आश्रम को बदनाम करने में लगे हैं वह बाबा के भक्त कतई भी नहीं हो सकते हैं।

हास्पीटल के ट्रस्टी बहुत दुखी हैं मंदिर की वर्तमान व्यवस्था को देखकर

दिल्ली निवासी बाबा के अनन्य भक्त संदीप मरोदिया ने फोन पर बताया कि वह और दिल्ली निवासी पवन अग्रवाल पागल बाबा हास्पीटल के ट्रस्टी हैं वह बहुत दुखी हैं मंदिर की वर्तमान व्यवस्था को देखकर और जिस प्रकार से श्रीमती सपना दास को उसके बेटे के साथ मंदिर से रात्रि पौने ग्यारह बजे निकाल कर अन्य जगह पर स्फ्टि किया गया वह भी वर्तमान हालात में जब कि कोरोना काल में और संक्रमण के दौर में किसी को कहीं निकाला नहीं जा सकता है।

सपना व बेटे को बहाना बना कर और पुराने आदेश को आधार बना कर मंदिर आश्रम से निकाल दिया गया

घटना की मुख्य बजह है ट्रस्टियों के आपस के हितो का टकराव मंदिर व आश्रम के ट्रस्टी अलग हैं तथा पागलबाबा हास्पीटल के ट्रस्टी अलग हैं। मंदिर के बाहर कोरोना काल में ही चार दुकानों का निमार्ण कराया गया है जिसकी शिकायत हास्पीटल के ट्रस्टियों ने जिलाप्रशासन से कर दी तथा मंदिर में वर्षों से रह रही श्रीमती सपना दास का बेटा सोमेश दास उर्फ गोपी मंदिर में रहते हुए हास्पीटल में कार्य करता था यह बात मंदिर प्रबन्धक व मंदिर के ट्रस्टी को नागवार गुजरी और गाज गिरी सपना व उसके बेटे पर दोनों को किसी तरह से बहाना बना कर और पुराने एक आदेश को आधार बना कर मंदिर आश्रम से निकाल दिया गया।

Dr. Bhanu Pratap Singh

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