संयुक्त राष्ट्र महासभा गुरुवार को रूस को मानवाधिकार परिषद से हटाने के लिए अमेरिकी प्रस्ताव पर वोट करेगी.
47 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से किसी देश को बाहर करने के लिए दो तिहाई बहुमत की ज़रूरत होती है. इनमें उन देशों को नहीं गिना जाता जो वोटिंग में शामिल नहीं होते.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि साल 2011 में लीबिया को प्रदर्शनकारियों के साथ तत्कालीन तानाशाह मुअम्मर ग़द्दाफ़ी की वफ़ादार सेना की हिंसा के बाद मानवाधिकार परिषद से निलंबित कर दिया था.
पश्चिमी देशों के अधिकारियों को भरोसा है कि 193 सदस्यों वाली महासभा में उनके पास मॉस्को को निलंबित करने के लिए पर्याप्त समर्थन है. फिलहाल तैयार किए गए प्रस्ताव में “यूक्रेन में मौजूदा मानवीय और मानवाधिकार संकट को लेकर चिंता ज़ाहिर की गई है.”
इस प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफ़ील्ड ने रॉयटर्स से कहा, “रूस से ये कहना ज़रूरी है कि हम आपको भविष्य में बिना जवाबदेही के ऐसे नहीं रहने देंगे जैसे आप मानवाधिकारों का सम्मान करते हों.”
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ये भी बताया है कि रूस ने सदस्य देशों को चेताया है कि इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट करना या वोटिंग से दूरी बनाने को “गैर-दोस्ताना” माना जाएगा और इसके संबंधित देश के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर भी असर होगा.
यूक्रेन पर रूस ने 24 फ़रवरी को हमला किया था. इसके बाद से अब तक संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस की निंदा के लिए दो प्रस्ताव पर वोटिंग कराई है. रूस का कहना है कि वो यूक्रेन में “विशेष सैन्य अभियान” चला रहा है.
यूक्रेन ने रूस के सैनिकों पर बूचा शहर में सैकड़ों नागरिकों को मारने का आरोप लगाया था, जिसके बाद अमेरिका ने कहा था कि वो रूस को मानवाधिकार परिषद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाएगा.
-एजेंसियां
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