हिमाचल प्रदेश कैबिनेट से बुधवार को इस्तीफ़ा देने वाले विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि कांग्रेस के छह विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के मुद्दे पर उनका कुछ भी कहना ठीक नहीं है.
विक्रमादित्य सिंह से सवाल किया गया था कि नाराज़ विधायकों को अब अयोग्य ही करार दे दिया गया है. इस पर वह क्या कहंगे.
उन्होंने कहा, “इस पर कुछ भी अभी मेरा कहना ठीक नहीं है क्योंकि हमारे पर्यवेक्षक यहां आए हैं. उन्होंने सब चीज़ों की परिस्थिति को देखा है, समझा है और उसके बाद माननीय स्पीकर ने ये निर्णय लिया है. इसलिए मेरा इस पर कोई भी टीका-टिप्पणी करना ठीक नहीं है. पर्यवेक्षकों से हम बात करेंगे और फिर देखेंगे कि आगे क्या करना है.”
विक्रमादित्य सिंह ने राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग के अगले दिन मंत्रीपद से इस्तीफ़ा दे दिया था. हालांकि, उन्होंने रात में पर्यवेक्षकों से मिलने के बाद इस्तीफ़े पर ज़ोर न देने की बात कही.
उन्होंने कहा, “हमने पर्यवेक्षकों से बात की है. हमने उन्हें वर्तमान स्थिति के बारे में सूचित कर दिया है. जब तक कोई निर्णय नहीं हो जाता, मैं अपने इस्तीफ़े पर ज़ोर नहीं दूंगा. आने वाले समय में अंतिम निर्णय लिया जाएगा.”
गुरुवार सुबह हिमाचल प्रदेश विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि दलबदल विरोधी कानून के तहत छह विधायकों के ख़िलाफ़ उन्हें याचिका मिली थी. इन छह विधायकों को अब अयोग्य करार दे दिया गया है.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा स्पीकर का यह फ़ैसला तब आया है, जब इसी हफ़्ते मंगलवार को राज्यसभा की एक सीट के लिए हुए मतदान में कांग्रेस के इन छह विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था.
कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी कि इन छह विधायकों ने बजट सत्र में पार्टी व्हिप के बावजूद इसका उल्लंघन किया था.
-एजेंसी
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