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वैराग्य अवतरण दिवसः प्रथम दिन 43 यूनिट रक्तदान, 100 लोग करेंगे देहदान और नेत्रदान

HEALTH PRESS RELEASE

समर्पण ब्लड बैंक ने किया सहयोग, आज मस्तिष्क रोग निदान शिविर

Agra, Uttar Pradesh, India. वैराग्य अवतरण दिवस के प्रथम दिन रक्तदान शिविर लगाया गया। 43 यूनिट रक्तदान हुआ। विनय चंद लोढ़ा, संजय चौरड़िया सहित एक दर्जन ने देहदान और अंगदान के लिए भी पंजीकरण कराया। 100 से अधिक लोगों ने नेत्रदान का पंजीकरण कराया। सात्विक जैन, दुष्यंत चौधरी, विकास अग्रवाल (18 वर्षीय) और कविता जैन ने प्रथम बार रक्तदान किया। सगी बहनें कविता जैन व ममता जैन ने रक्तदान कर हर किसी को प्रेरणा दी। जैन तीर्थस्थल दादाबाड़ी में चातुर्मास कर रहीं जैन साध्वी वैराग्य निधि महाराज की निश्रा में यह शिविर लगा। आगरा विकास मंच और जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ ने यह नेक काम किया।

 

मंच और श्री संघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि समर्पण ब्लड बैंक के सहयोग से रक्तदान शिविर लगाया गया। सभी के रक्त की जांच की गई। कुछ लोगों का वजन कम होने के कारण रक्तदान से वंचित रह गए। रक्तदान के बाद सभी खुश नजर आए। उन्होंने बताया कि 13 अक्टूबर को दादाबाड़ी में प्रातः आठ बजे से मस्तिष्क रोग (न्यूरोलॉजी) निदान शिविर लगाया जाएगा।

blood donation camp
blood donation camp रक्तदाताओं के साथ वैराग्य निधि महाराज एवं अन्य।

रक्तदान करने वालों में प्रमुख रूप से तरुण सिंघल, धीरज, नितिन ललवानी, विमल जैन, विपिन जैन, अंकित पाटनी, दुष्यंत जैन, आदित्य, अमन, अजीत जैन, बृजमोहन अग्रवाल, त्रिलोकी शर्मा, मोहम्मद नईम, संगीता लोढ़ा, ममता जैन, पल्लवी जैन, अमृता जैन आदि ने शामिल रहे। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक डॉ. भानु प्रताप सिंह ने रक्तदान करके अन्य पत्रकारों को प्रेरणा दी।

 

मंच के महामंत्री सुशील जैन, प्रवक्ता संदेश जैन, मंत्री संजय जैन, जयराम दास, महेंद्र जैन, अशोक कोठारी, प्रदीप लोढ़ा, रॉबिन जैन, संदेश जैन ने व्यवस्था संभाली। सुबह से लेकर शिविर समाप्ति तक डटे रहे। रक्तदान करने वालों को समर्पण ब्लड बैंक की ओर से प्रमाणपत्र दिए गए। सभी से आग्रह किया गया कि रक्तदान करते रहें। रक्तदान से अनेक लाभ हैं। रक्त को किसी प्रयोगशाला में नहीं बनाया जा सकता है। रक्तदान करना यानी मरणासन्न को जीवन देना है।

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वैराग्य निधि महाराज की निश्रा में सम्मान।

राजकुमार जैन का पत्र

परमविदुषी साध्वी श्री वैराग्य निधि महाराज साहब और मेरी गुरुवर

आपके पावन श्री चरणों में नमन, नंदन!

13 अक्टूबर का दिन बड़ा महान है क्योंकि इस दिन धरा पर चारों और मंगलमय वातावरण था। 13 अक्टूबर के दिन ही मां जयणा महाराज साहब और पिता मोतीलाल के यहां आपका अवतरण हुआ। मां जयणा ने आपका नाम लक्ष्मी रखा। आपके मुख मंडल पर लक्ष्मी की तरह कांति थी। मां ने जब आपको गोद में लिया तो पहचान लिया कि यह कन्या सम्पूर्ण संसार का कल्याण करेगी। यह जानकार कितना रोमांच होता है कि जिस आयु में बच्चे खिलौनों से खेलते हैं, तब आप ननिहाल में हों या अपने घर में, स्वाध्याय करने लगीं। परमात्मा की सेवा करने लगीं। सांसारिक मोह, माया, विलासिता की ओर ध्यान ही नहीं गया। शुरू से मेधावी आप आर्कीटेक्ट हो गईं। इसके बाद भी आपका मन सांसारिक कार्यों में नहीं लगा। आत्मा की तलाश में लीन रहने लगीं।

 

इसी खोज के दौरान परमात्मा की कृपा हुई। गुरु के रूप में मरुधर ज्योति महाराज साहब का सानिध्य मिला। उनका रायपुर में चातुर्मास था। आपको वे गुरु मिल गईं, जिनकी तलाश थी। वैराग्य लेने की इच्छा हुई। बड़े भाई की अत्यधिक लाड़ली थीं। 11 वर्ष तक वैराग्य की आज्ञा मिलने की प्रतीक्षा की। अंततः 28 वर्ष की आयु में वैराग्य की अनुमति मिली। अब आप वैराग्य निधि महाराज साहब के नाम से हम जैसे गृहस्थों को धर्म का ज्ञान देकर जीवन सुधारने का महती कार्य कर रही हैं। दीक्षा के 7 वर्ष बाद ही चातुर्मास की अनुमति मिलने का अर्थ है आपका अद्भुत ज्ञान।

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संबोधित करते राजकुमार जैन

आप परमविदुषी होने के बाद भी सरल, सहज, सहृदय, सुकुमारी हैं। मुखमंडल पर सदैव मुस्कान तिरती रहती है। आपको देखते ही श्रद्धाभाव जागृत हो जाता है। आपका आध्यात्मिक ज्ञान हम जैसे अज्ञानियों के जीवन को प्रकाशित कर रहा है।

 

आपके आध्यात्मिक ज्ञान में गुणोत्तर वृद्धि के साथ दीर्घायु जीवन की परमात्मा से कामना है। परमात्मा से प्रार्थना है कि अगर मैंने कुछ पुण्य कर्म किए हैं तो वे आपको प्रदान हों ताकि आप धर्मप्रेमी श्रावक-श्राविकाओं को सतपथ पर चलने की प्रेरणा देती रहें।

हम 13 अक्टूबर को वैराग्य अवतरण दिवस मनाकर आपके प्रति अपनी श्रद्धा का प्रकटीकरण कर रहे हैं।

आपके द्वारा दिखाए जा रहे धर्म मार्ग पर मैं अंतःकरण के साथ अनुगमन के लिए तत्पर हूँ।

 

राजकुमार जैन

अध्यक्ष, जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ

Dr. Bhanu Pratap Singh