रूस और यूक्रेन में तनाव के बीच अमेरिका ने परमाणु बम गिराने का अभ्‍यास शुरू किया

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रूस और यूक्रेन में जंग के मंडराते बादलों के बीच अमेरिका ने परमाणु बम गिराने का अभ्‍यास शुरू किया है। अमेरिका के परमाणु हथियारों का जिम्‍मा संभालने वाले स्‍ट्रेटजिक कमांड ने ग्‍लोबल लाइटनिंग अभ्‍यास शुरू किया है। इस व्‍यापक अभ्‍यास का मकसद अमेरिकी सेना की परमाणु युद्ध की तैयारियों को परखना है। अमेरिका ने यह अभ्‍यास ऐसे समय पर शुरू किया है जब काला सागर में रूसी नौसेना के युद्धपोत जोरदार युद्धाभ्‍यास कर रहे हैं। वहीं यूक्रेन की सीमा पर रूस ने 1 लाख सैनिकों को तैनात किया है।

खबरों के मुताबिक परमाणु बम गिराने के अभ्‍यास की अमेरिका ने लंबे समय से योजना बनाई थी लेकिन अब रूस-यूक्रेन तनाव के बीच इसके शुरू करने पर विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं। अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है। उन्‍होंने अपने हजारों सैनिकों को भी पूर्वी यूरोप में तैनात करने का ऐलान किया है। इससे पहले अप्रैल 2021 में अमेरिका ने अंतिम बार ग्‍लोबल लाइटनिंग ड्रिल का आयोजन किया था।
चीन के साथ तनाव के दौरान परमाणु युद्ध का अभ्‍यास
पिछले साल हुए इस अभ्‍यास में अमेरिकी सेना ने रूस के साथ काल्‍पनिक तनाव के दौरान परमाणु बम गिराने का अभ्‍यास किया था। बताया जा रहा है कि इस साल अमेरिकी सेना चीन के साथ तनाव के दौरान परमाणु युद्ध का अभ्‍यास करेगी। खबरों के मुताबिक अभ्‍यास के दौरान किसी परमाणु बम, या उसके लांच का अभ्‍यास नहीं किया जाएगा। इसकी जगह पर यूएस स्‍ट्रेटिक कमांड न्‍यूक्लियर कमांड और कंट्रोल के सर्किट और परमाणु युद्ध योजना के मुताबिक निर्णय निर्माण क्षमता का परीक्षण करेगी।
इस परमाणु युद्ध योजना को साल 2019 में ही अपडेट किया गया है। इसमें अब आतंकियों से निपटने की बजाय महाशक्तियों के बीच प्रतिस्‍पर्द्धा पर फिर से फोकस करने पर जोर दिया गया है। इस ताजा अपडेट में कहा गया है कि अमेरिका पर अगर परमाणु हमला होता है तो कुछ न कुछ सैनिक जरूर बच जाएंगे और जो बच जाएंगे वे दुश्‍मन देश पर तब तक परमाणु हमला करेंगे जब तक कि उनका आखिरी इंसान खत्‍म नहीं हो जाता है। इसी नई सोच का परीक्षण इस साल के अभ्‍यास में किया जाएगा।
यूक्रेन की नाटो सदस्यता संबंधों को नुकसान पहुंचाएगी: लावरोव
यूक्रेन के उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन में शामिल होने से रूस और गठबंधन के बीच संबंध गंभीर रूप से कमजोर होंगे। ये जानकारी रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने दी। लावरोव ने एक रूसी टीवी कार्यक्रम में कहा, ‘हर कोई समझता है कि यूक्रेन (नाटो में शामिल होने के लिए) तैयार नहीं है और नाटो की सुरक्षा को मजबूत करने में कोई योगदान नहीं देगा।’ नाटो के रक्षात्मक बयानों पर टिप्पणी करते हुए, शीर्ष राजनयिक ने याद किया कि कैसे अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य गुट ने ‘लगभग तीन महीने तक यूगोस्लाविया पर बमबारी की। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन करते हुए लीबिया पर आक्रमण किया।’

Dr. Bhanu Pratap Singh