यूपी का रानीपुर बना देश का 53वां टाइगर रिजर्व, पर्यावरण मंत्री ने दी जानकारी – Up18 News

यूपी का रानीपुर बना देश का 53वां टाइगर रिजर्व, पर्यावरण मंत्री ने दी जानकारी

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उत्तर प्रदेश का रानीपुर टाइगर रिजर्व देश का 53वां टाइगर रिजर्व बन गया है। यह टाइगर रिजर्व 529.36 वर्ग किमी में फैला हुआ है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसकी जानकारी दी और प्रसन्नता जताई।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा, “यह बताते हुए खुशी हो रही है कि यूपी में रानीपुर टाइगर रिजर्व भारत का 53वां टाइगर रिजर्व बन गया है। 529.36 वर्ग किमी (कोर एरिया 230.32 वर्ग किमी और बफर एरिया 299.05 वर्ग किमी) में फैला नया टाइगर रिजर्व हमारे बाघ संरक्षण प्रयासों को मजबूत करेगा।”

रानीपुर वाइल्डलाइफ सेंचुरी की स्थापना 1977 में हुई थी। यूपी में दुधवा, पीलीभीत और अमानगढ़ के बाद विकसित होने वाला यह राज्य का चौथा टाइगर रिजर्व होगा। इस टाइगर रिजर्व का अपना कोई बाघ नहीं है लेकिन यह बाघों की आवाजाही के लिए एक महत्वपूर्ण गलियारा है। रानीपुर टाइगर रिजर्व में उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन हैं और यह बाघ, तेंदुए, सुस्त भालू, चित्तीदार हिरण, सांभर, चिंकारा और कई पक्षियों और रेप्टाइल्स का घर है।

बता दें कि 29 जुलाई 2022 को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। वैश्विक स्तर पर बाघों के संरक्षण व उनकी लुप्तप्राय हो रही प्रजाति को बचाने के लिए जागरूकता फैलाना ही इस दिवस को मनाने का प्रमुख उद्देश्य है। बता दें कि पिछले 8 सालों के बाघों की संख्या भारत में दुगनी हो गई है।

केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने जुलाई में बताया था कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अथक प्रयासों से पिछले आठ सालों में बाघों की संख्या दोगुनी हो गई।

भारत में बाघों की संख्या 2,967 है, जो विश्व की संख्या का लगभग 75 प्रतिशत से अधिक है। सबसे बड़े बाघ गणना के रूप में भारत का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज है। साल 1973 में भारत में सिर्फ 9 टाइगर रिजर्व थे, जबकि अब इनकी संख्या बढ़कर 53 हो गई है। भारत में सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं।

मोदी सरकार ने बाघ संरक्षण के लिए बजटीय आवंटन में 300 करोड़ रुपए दिया है। इसके साथ ही भारत में 14 टाइगर रिजर्व को पहले ही अंतरराष्ट्रीय सीए/टीएस मान्यता से सम्मानित किया जा चुका है।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh