1989 में नगर महापालिका, 80 वार्ड थे, हर वार्ड से दो सभासद चुने जाते थे
1990 के अभियान का शीर्षकः सभासद जी, कहां गए एक लाख 30 हजार रुपये?
1991 के अभियान का शीर्षकः दो वर्ष 8 माह में नगर महापालिका ने क्या किया?
Dr Bhanu Pratap singh
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Agra, Uttar Pradesh, India. यूपी नगर निकाय चुनाव चल रहे हैं। 1989 में आगरा में नगर महापालिका थी। 80 वार्ड हुआ करते थे। प्रत्येक वार्ड से दो सभासद चुने जाते थे। अब तो यह नगर निगम है। 100 वार्ड हैं। प्रत्येक वार्ड से एक पार्षद चुना जाता है। तब मैंने (डॉ. भानु प्रताप सिंह) ने नगर महापालिका की समस्याओं पर दो चरणों में 80 दिन का अभियान चलाया था। 40-40 दिन का अभियान। नगर महापालिका ने प्रत्येक सभासद को एक लाख 30 हजार रुपये विकास कार्यों के लिए दिए थे। आज की दृष्टि से देखें तो यह रकम कुछ भी नहीं है, लेकिन तब बहुत बड़ी बात थी। एक लाख 30 हजार रुपये का हिसाब-किताब पूछने और हकीकत देखने के लिए निकल पड़ा था।
1990 के दौर में मैं (डॉ. भानु प्रताप सिंह) दैनिक जागरण में प्रशिक्षु रिपोर्टर था। संपादक श्री श्याम वेताल थे। अखबार का प्रसार कम था। प्रसार बढ़ाने के लिए सतत उन्होंने नगर निगम के वार्ड में जाकर समस्याओं को परखने की बात कही। गंदगी में कोई घूमना नहीं चाहता था। उन्होंने लालच दिया कि प्रत्येक खबर नाम से जाएगी। मुझ जैसे नौसिखिया के लिए यह बड़ी बात थी। 40 दिन नाम मिलेगा, यह सोचकर ही मैं उत्साहित था। देर रात्रि तक कार्यालय में काम करता और प्रातःकाल ही क्षेत्र में निकल जाता। मेरे साथ असलम सलीमी छायाकार के रूप में चलते थे। असलम भाई समय के पाबंद हैं। जो समय बताओ, उससे पहले ही पहुंच जाते थे। तब मेरे पास साइकिल हुआ करती थी। असलम भाई पर विक्की थी। तब मैं शिल्पग्राम के पास 132 केवी सब स्टेशन की कॉलोनी में रहा करता था। यहां आजकल शिवाजी म्यूजियम का काम चल रहा है।
1989 में नगर महापालिका के चुनाव हुए थे। 80 सभासदों ने मिलकर श्री रमेश कांत लवानिया को नगर प्रमुख चुना था। आजकल नगर प्रमुख को महापौर या मेयर कहा जाता था। अधिकांश वार्डों में भारतीय जनता पार्टी के सभासद थे। एक सवाल पूछा जाता था- सभासद जी, कहां गए एक लाख 30 हजार रुपये? अखबार का यह शीर्षक इतना लोकप्रिय हुआ कि आम जनता भी सभासदों से यही सवाल पूछने लगी। प्रत्येक वार्ड में समस्याओं का अम्बार था। सर्वाधिक समस्या अनुसूचित जाति बहुल मोहल्लों में थी। ऐसी बस्तियां थी कि कोई जाना नहीं चाहेगा लेकिन लोग निवासरत थे। लोग मुझसे ही कहते थे- सौ पचास रुपया ले लो, तुम्हीं कुछ करवा दो। मुख्य समस्या पेयजल, गंदगी, जलभराव, नाली, खरंजा, बिजली, हैंडपम्प की थी। इन्हीं समस्याओं को दूर करने का काम नगर निगम का होता है।
जैसे-जैसे वार्डों में जाने का क्रम बढ़ रहा था, आगरा महानगर में मैं लोकप्रिय होता जा रहा था। आलम यह था कि पार्षद सिफारिश के लिए फोन करवाते थे कि बहुत ज्यादा खराब मत छापना। मैं चाहता था कि पार्षद मेरे साथ क्षेत्र में चलें और दिखाएं कि एक लाख 30 हजार रुपये में क्या किया है। कई पार्षद तो समय देने के बाद भी गायब हो जाते थे। असल में वे मुँह दिखाने लायक नहीं थे। कुछ कर ही नहीं पाए थे। जो सभासद साथ जाते थे, उन्हें लोग मुँह पर ही गालियां देते थे। इतने परेशान थे कि और कुछ सूझता ही नहीं था।
मुझे याद कि ताजगंज वार्ड में गनेश चंद और जोगेन्द्र पाल बिल्ले पार्षद थे। समाचार में गनेश चंद का नाम दो बार और बिल्ले का नाम एक बार छपा। इस पर बिल्ले ने मुझे ताना मारा कि दोस्ती निभाई है, मेरा नाम एक बार ही गया है। मुझे बड़ा बुरा लगा। फिर अन्य खबरों में बिल्ले का नाम देकर संतुष्ट किया।
दूसरा अभियान अगस्त-सितम्बर 1991 में चलाया गया। इसकी रिवर्स हेडिंग लगाई गई- दो वर्ष 8 माह में नगर महापालिका ने क्या किया। मैंने देखा कि जो स्थिति अगस्त- सितम्बर 1990 में थी, वही 1991 में पाई गई। याद रखें कि चुनाव 1989 में हुए थे। मैं बड़ा ताज्जुब में था कि ये कैसे जनप्रतिनिधि हैं, जो कुछ भी नहीं कर पाए हैं।
माईथान से सभासद केशो मेहरा थे। पुराना मोहल्ला है। पतली गलियां हैं। ऊंचाई पर है। इसलिए यहां समस्याएं बहुत कम थीं। सबसे अच्छा काम यहीं मिला था। जाहिर है उनके बारे में अच्छी खबर गई। यह देख कुछ सभासदों को लगा कि केशो मेहरा से दोस्ती निभाई है। कई पार्षद केशो मेहरा से फोन कराने लगे। नगर महापालिका के बजट सत्र में सिर्फ केशो मेहरा बोला करते थे, बाकी सभी सङासद तो उन्हें मुँह फाड़कर देखा करते थे।
1990 के अभियान के अंत में नगर प्रमुख श्री रमेशकांत लवानिया (तब नाम के साथ श्री लिखा जाता था) ने कहा था- सारी समस्याओं की जड़ अधिकारों और धन का अभाव है। उन्होंने कहा था कि सभासदों को वेतन मिलना चाहिए। चुनाव में भाजपा ने आगरा को दिल्ली और चंडीगढ़ बनाने का वादा किया था लेकिन जब मैंने इस बारे में सवाल किया तो श्री लवानिया साफ मुकर गए। कहा- ‘हमने ऐसा कोई वादा नहीं किया। दिल्ली-चंडीगढ़ को सरकार अरबों रुपया देती है। अगर हमें भी उसी औसत में रुपया दे तो आगरा को दिल्ली-चंडीगढ़ बनाने का सपना देख सकते हैं। क्या 1.29 करोड़ रुपये की ग्रांट में ही आगरा, दिल्ली बन जाएगा।’ उन्होंने समस्याओं को यथावत मानने से इनकार कर दिया था।
इस तरह लगातार 40 दिन तक बाइलाइन मिलने का एक रिकॉर्ड मेरे नाम बना है। वह भी दो बार। 1990 में 40 दिन और 1991 में 40 दिन। मेरे लिए यह गर्व की बात है। हमारे नए साथियों को इस बारे में जानकारी भी नहीं होगी। उनके संज्ञान के लिए तब की कतरनें भी समाचार के साथ दे रहा हूँ।
अगर ये कतरनें सुरक्षित हैं तो इसका श्रेय मेरी धर्मपत्नी श्रीमती इन्दु सिंह को जाता है। मेरे नाम से प्रकाशित समाचारों को सुरक्षित रखा करती थीं। उनकी इस कृपा के कारण मैंने फतेहपुर सीकरी पर एक पुस्तक लिख दी- क्या है फतेहपुर सीकरी की रहस्य। यह पुस्तक अमेजन पर उपलब्ध है। अखबार ढेर पड़े हुए थे। विवाह के बाद उन्होंने कतरनें कागज पर चिपकाकर सुरक्षित कीं।
तब के सभासद
वार्ड-1 सभासदः सोरन सिंह, राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
वार्ड-2 सभासदः रामनाथ कुशवाहा, अर्जुन सिंह
वार्ड-3 सभासदः डॉ. वेद प्रकाश, राम गोपाल,
वार्ड-4 सभासदः नवीन जैन, हरिकिशन अग्रवाल
वार्ड-5 सभासदः अशोक कुमार जैन एडवोकेट, डॉक्टर रामबाबू अग्रवाल
वार्ड-6 सभासदः किशन खंडेलवाल, पूरनचंद कैम
वार्ड-7 सभासदः सुभाष जैन, केदार सिंह मौर्य
वार्ड-8 सभासदः राधाकिशन, श्याम बाबू
वार्ड-9 सभासदः योगेन्द्र सिंह चौहान, सुभाष रल्हन
वार्ड-11 सभासदः बाबूलाल प्रधान, शिवनारायण कुशवाह
वार्ड-12 सभासदः अशोक गुप्ता, भारत भूषण
वार्ड-13 सभासदः अमरनाथ जादूगर, शिरोमणि सिंह
वार्ड-14 सभासदः अशोक बंसल, गोपाल बल्लभ गोस्वामी
वार्ड-15 सभासदः केशो मेहरा, गोपाल शर्मा गुरु
वार्ड-16 सभासदः राम टंडन, हाजी मकसूद उल्ला खां
वार्ड-17 सभासदः प्रतूल भार्गव, श्रीभगवान अग्रवाल
वार्ड-18 सभासदः मुकेश गुप्ता, दाऊदयाल
वार्ड-19 सभासदः मुन्नालाल बघेल, शेख फारुख
वार्ड-20 सभासदः वेदभूषण, नत्थीलाल तोमर
वार्ड-21 सभासदः हाजी इस्लाम कुरैशी, शिवचरण लाल मानव
वार्ड-22 सभासदः अशोक कुमार शर्मा, चौधरी जगदीश सिंह
वार्ड-23 सभासदः भरत सिंह, राजेश जैन
वार्ड-24 सभासदः भवतोष चक्रवर्ती, मास्टर रामलाल सोनकर
वार्ड-25 सभासदः योगेन्द्र उपाध्याय, रवीन्द्र सिरोही
वार्ड-26 सभासदः दाऊदयाल शर्मा, श्रीमती विद्या उप्रैती
वार्ड-27 सभासदः सुनील कुमार जैन, डॉ. भगवान दास दक्ष
वार्ड-28 सभासदः लक्ष्मी नारायण अग्रवाल, लक्ष्मण सिंह
वार्ड-29 सभासदः अहमद हसन, डॉ. अशोक कुमार अग्रवाल
वार्ड-30 सभासदः फारुख कुरैशी, मुबारिक हुसैन कुरैशी
वार्ड-31 सभासदः गरीब राम,
वार्ड-32 सभासदः अमर सिंह वर्मा, रघुवीर सिंह राठौर
वार्ड-33 सभासदः नेताजी महेश चंद्र शर्मा, चौ. बाबूलाल वाल्मीकि
वार्ड-34 सभासदः नेमीचंद, डॉ. रामबाबू हरित
वार्ड-35 सभासदः गया प्रसाद चौरसिया, किशन गोपाल
वार्ड-36 सभासदः जसराम तमोरी, मोहन सिंह बाबा
वार्ड-37 सभासदः डॉ. जीएस धर्मेश, डॉ. धारिया
वार्ड-38 सभासदः गुलाब सिंह, छीतर सिंह एडवोकेट
वार्ड-39 सभासदः सतीश शर्मा, अब्दुल रहीम खां डिप्टा
वार्ड-40 सभासदः गनेश चंद, जुगेन्द्र पाल बिल्ले
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