Dr bhanu pratap singh UP election

चुनाव में दो-चार करोड़ बहाना है, बाद में तो नोट ही नोट कमाना है

Election साहित्य

डॉ. भानु प्रताप सिंह

मेरा मकान ले लो, मेरी दुकान ले लो। क्रेडिट कार्ड ले लो, डेबिट कार्ड ले लो। मेरी आन ले लो, मेरी शान ले लो। मेरी तलवार ले लो, मेरी म्यान ले लो। बैंक बैलेंस ले लो, सेंस ले लो। कुछ भी ले लो, टिकट दे दो। टिकट दे दो टिकट। टिकट न मिली तो खिसक जाऊंगा, ऊपर जाकर सबको बताऊंगा। टिकट के लिए सब कुछ देने की तैयारी, खुपड़िया घूम गई हमारी। बहुत दिमाग लड़ाया तो माजरा कुछ यूं समझ आया-

टिकट मिल जाएगा तो चुनाव लड़ूंगा, शर्तिया विधायक बनूंगा। फिर मौज ही मौज करूंगा, किसी के आगे नहीं झुकूंगा। चुनाव में एक-दो करोड़ बहाना है, बाद में तो नोट ही नोट कमाना है। नोट ओढूंगा, नोट बिछाऊंगा, नोट पीऊंगा और नोट ही खाऊंगा। इसलिए कुछ भी ले लो, टिकट दे दो।

विधायक निधि आएगी, सीधे मेरे खाते में जाएगी। मेरे भतीजे को ही काम मिलेगा, बाकी को तो कोरा राम-राम मिलेगा। स्कूलों को खूब पैसे दूंगा, 10 में से सात तो खुद ही लूंगा। सबमर्सिबल लगवाऊंगा, चार के आठ दिखाऊंगा। एक ही सड़क कई बार बनेगी, विधायकी मुझे खूब फलेगी। इसलिए कुछ भी ले लो, टिकट दे दो।

जिसने जोड़-तोड़ करके टिकट लिया, विधायक बन गया। जूता कारीगर से सेठ हो गए, बड़े हाई रेट हो गए। अब वे लेटर भी फ्री में नहीं लिखते हैं, मुहर लगाने के दाम अलग से पकड़ते हैं। जनता खुद द्वार पर आती है, थाने में फोन करवाने के लिए रिरियाती है। जो सोता है, वह भी पाता है, ऐसा चमत्कार राजनीति में ही हो पाता है। इसलिए कुछ भी ले लो, टिकट दे दो।

अब रार नई ठानूंगा, हार नहीं मानूंगा। टिकट भी लूंगा और विधायक भी बनूंगा। विधायक निवास तो रंगीन हो जाएगा, वहां कोई पकड़ भी नहीं पाएगा। विधायक निवास में जाना है, प्लेट में काजू भुने खाना है।

अदम गोंडवी की इन पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाना है-

काजू भुने प्लेट में व्हिस्की गिलास में

उतरा है रामराज विधायक निवास में…

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Dr. Bhanu Pratap Singh