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भारत और मॉरीशस के कवियों ने जगाई आजादी की अलख, पढ़िए रोमांचित कर देने वाली कविताएं

INTERNATIONAL NATIONAL साहित्य

Agra, Uttar Pradesh, India. मॉरीशस और भारत के संयुक्त तत्वावधान में गठित विश्व बंधुत्व साहित्यिक सांस्कृतिक मंच ने भारतीय गणतंत्र को समर्पित गणतंत्र काव्य उत्सव का आयोजन किया। शुभारंभ करते हुए मॉरीशस से संयोजक डॉक्टर सुरीति रघुनंदन ने कहा कि ये दिवस हम सबके लिए गौरव का दिवस है। मैं मॉरीशस में रहकर भी इस गौरव को अनुभव करती हूं। नागपुर से श्रीमती सरोज गर्ग ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। भारत से संयोजक सुशील सरित ने आयोजन की भूमिका प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसी दिन सन 1930 में पूर्ण स्वराज की घोषणा हुई थी और पहला स्वतंत्रता का जुलूस निकला था। साथ ही यह ऑस्ट्रेलिया दिवस भी है।

आयोजन में जयपुर से श्रीमती सुशीला शर्मा, दिल्ली से श्रीमती सुदेश भाटिया, डबरा से श्री अतुल त्रिपाठी ने -अपने अपने अंदाज में तिरंगे को प्रणाम कियाष। लखनऊ से श्री नरेंद्र भूषण के स्वर थे-

 व्योम को अपने नमन है धरा को अपने नमन है

अहिंसा की सत्य की लेकर मशालें जो चले थे उनको नमन है

 

पटना से डॉक्टर मौसमी सिन्हा ने कहा-

वंदे मातरम वंदे

मातरम संतों की वीरों की पावन भूमि को नमन

वीरांगना वीरों को नमन

वंदे मातरम वंदे मातरम

kavi sammelan in agra
काव्यपाठ करते भारत और मॉरीशस के कवि

दिल्ली से नेहा इलाहाबादी ने तिरंगे की शान में कहा

भारत की पहचान तिरंगा

कपड़े के टुकड़े पर निछावर

आज करोड़ों जान तिरंगा

 

गोंदिया महाराष्ट्र से शीतल भूतेश्वर एवं आगरा से डॉ रमेश आनंद, संतोष तोषनीवाल, डॉ. सुषमा सिंह, राजेंद्र मिलन, श्री हरि मोहन सिंह कोठिया, शशि गुप्ता, मीना, प्रेम राजावत, डॉ. असीम आनंद, चंद्रकला भरतीय, डॉ. शशि गोयल आदि ने समसामयिक रचनाएं प्रस्तुत कीं। शाहजहांपुर से विजय तन्हा, अहमदाबाद से गुलाब चंद्र ने अपनी रचनाएं गणतंत्र दिवस को समर्पित कीं।

डॉ राघवेंद्र शर्मा कहा-

आजादी तुझे प्रणाम तेरा अभिनंदन अभिराम

सौ सौ जन्म निछावर तेरी बलिवेदी के नाम

 

डॉ शशि तिवारी के स्वर थे-

 जब शहीदों की कहानी हर बशर दौर आएगा

 यह तिरंगा शान से लहराया है लहराएगा

कु. पूजा तोमर ने कहा-

 झुकने कभी ना देंगे तिरंगा आओ कसम ये खाएं

वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गायें

 

डॉ. अशोक अश्रु, डॉ. केशव शर्मा के बाद राहुल सार्थ ने कहा-

बनकर लहू रगों में बहता देश तिरंगा प्यारा

इसे समर्पित कर देंगे हम यह जीवन भी सारा

दिनेश, संजय गुप्ता, डॉ शशि गुप्ता की प्रस्तुति सराहनीय रही। शशि रानी आदि ने भी काव्य पाठ किया। संचालन सुशील सरित ने किया। धन्यवाद ज्ञापित किया डॉ. सुरीति रघुनंदन ने। तकनीकी सहयोग राहुल सिंह ने दिया।

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