डॉ. भानु प्रताप सिंह
हमारा विधायक कैसा हो, ऐसा हो कि वैसा हो। ‘जलेबी बाई’ जैसा हो या शाहरुख खान जैसा हो। राम-राम जो रटता हो, ‘शीला’ से ना सटता हो। हमारा विधायक खिलाड़ी हो जो बिलकुल नहीं अनाड़ी हो। साईभक्ति करता हो जो लंबी चोटी रखता हो। जो नहीं कमीशन खाता हो, जो सूखी रोटी चबाता हो। जनता के क्या मन में है, क्या-क्या उसके जहन में है? आओ तुम्हें बताते हैं, वोटर से मिलवाते हैं:-
धार्मिक वोटर की नजर
विधायक गइया जैसा हो, कृष्णा की मइया जैसा हो। ब्रह्ममुहूर्त में जगता हो, मंदिर में पूजा करता हो। माथे पर तिलक चमकता हो, साईं-साईं जपता हो। एंटीना सी चोटी हो, काया ना बिलकुल मोटी हो। तंत्र-मंत्र का ज्ञाता हो, बीमारी दूर भगाता हो। खड़ाऊं पहनने वाला हो, मन ना बिलकुल काला हो। सबमें राम देखता हो, ना ऊंची-ऊंची फेंकता हो। तीर्थों में मुफ्त घुमाता हो, न प्याज न लहसुन खाता हो। रामकथा करवाए जो, भंडारा रोज खिलाए जो। जो त्याग तपस्या करता है, वही विधाायक जंचता है।
चोर-उचक्कों की फरमाइश
पॉकेटमारी करता हो, सेंधमारी का फरिश्ता हो। गले में रूमाल बांधता हो, हर थानेदार को जनता हो। हम पकड़े जाएं तो आ जाए, थाने से हमें छुड़ा लाए। जो मुफ्त तमंचा दिलवाए, बुलेट से ब्लैक हटा पाए। हर जेलर से याराना हो, वहां बेखटके आना-जाना हो। जो चरस जेल में पहुँचाए, वसूली वहीं से करवाए। टीवी, मोबाइल, बिस्तर हो, खाने से भरा कनस्तर हो। जो भी ऐसा कर पाए, वोट हमारा वो पाए।
दुकानदार की चाह
सैम्पल से मुक्ति दिलाए जो, एमआरपी खत्म कराए जो। जमाखोर जो पक्का हो, जैसे कोई लुक्का हो। जो बिजली वालों से बचवाए, वॉटर टैक्स पचा जाए। दुकान कहीं भी खुलवाए, जांच कभी ना हो पाए। ना चुनाव में चंदा ले, उलटा हमको बंदा दे। धंधा हमें कराए जो, मुनाफा हमें दिलाए जो। हमें मिलावट करनी है, नोटों से बोरी भरनी है। जो करे मिलावट भारी है, उसकी लीला न्यारी है। जो घटतौली से बचवाए, वोट हमारा वो पाए।
महिला का मन
ना जिसकी नजर नशीली हो, ना माचिस की तीली हो। जो कहे बहन, मां, चाची है, रहे यहीं, ना रांची है। राजामंडी और सेंट जॉन्स, पुलिस चेकिंग को कर दे बैन। दिल में हैं अरमान बहुत, जो दे हमको मान बहुत। एक मोबाइल हमें मिले, दूजा ब्वॉय फ्रेंड को दे। जो ना दकियानूसी हो, जो करे ना कानाफूंसी है। कॉलेज से ड्रेस हटाए जो, वोट हमारा पाए वो।
और अंत में
नेताजी मरियल बड़े और गरीब थे ठेट।
एमपी-एमएलए बने, हो गए धन्नासेठ।।