Lucknow, Capital of UP, India. उत्तर प्रदेश पुलिस की एटीएस (आतंकवादी निरोधी दस्ता) ने लंबे अभियान के बाद प्रदेश में चल रहे धर्मांतरण के मामले में दो लोगों को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। बात सामने आई है कि धर्मांतरण का काम संगठित तौर पर देश विरोधी, असामाजिक तत्वों, धार्मिक संगठन अथवा सिंडिकेट, आईएसआई व विदेशी संस्थाओं के निर्देश व उनसे प्राप्त फंडिग के जरिए किया जा रहा है। इस बारे में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस गिरोह के बारे में जानकारी दी है कि कैसे ये लोग मूक बधिर छात्रों व कमजोर आय वर्ग के लोगों, बच्चों व महिलाओं को नौकरी व शादी का लालच देकर अपना शिकार बनाते थे। एक हजार लोगों को मुसलमान बनाया गया है। इनमें एक व्यक्ति ऐसा भी है जो हिन्दू धर्म छोड़कर मुसलमान बना है।
जिन दो लोगों को पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार किया है उनमें मुफ्ती काजी जहांगीर निवासी जामिया नगर और मोहम्मद उमर गौतम निवासी जामिया नगर, नई दिल्ली हैं। इनमें से उमर गौतम ने खुद हिन्दू धर्म छोड़कर इस्लाम धर्म कबूल किया है।
उमर गौतम उत्तर प्रदेश के कई जनपदों के विभिन्न गैर मुस्लिम मूकबधिर, महिलाओं, बच्चों और अन्य कमजोर वर्ग के लोगों का बड़े पैमाने पर सामूहिक धर्म परिवर्तन करा रहा है। उमर ने बताया है कि अभी तक लगभग एक हजार गैर मुस्लिम लोगों को मुस्लिम धर्म में परिवर्तित कराया है और बड़ी संख्या में उनकी मुस्लिमों से शादी कराई है।
उमर व उसके सहयोगियों द्वारा धर्म परिवर्तन हेतु आईडीसी (इस्लामिक दावाह सेंटर) नाम की संस्था का दिल्ली के जामिया नगर में संचालन किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य गैर-मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन कराना है।
धर्मांतरण के लिए इस आईडीसी संस्था व उमर के बैंक खातों में तथा अन्य माध्यमों से बड़ी मात्रा में पैसे उपलब्ध कराए जाते हैं। इस काम के लिए विदेशों से भी फंडिंग कराई जाती है।
उमर के बहुत से सहयोगी हैं जिनमें मुफ्ती काजी जहांगीर भी है जो उसी के साथ गिरफ्तार हुआ है। मुफ्ती काजी धर्मांतरण से संबंधित प्रमाण-पत्र और विवाह के प्रमाण-पत्र गैर कानूनी ढंग से तैयार कराता है।
पुलिस को जांच में पता चला है कि इन लोगों के द्वारा नोएडा डेफ सोसायटी, नोएडा सेंटर, सेक्टर 117, में जो मूक-बधिरों का रेजिडेंशियल स्कूल है वहां व कुछ अन्य स्कूलों के गरीब छात्रों को नौकरी, शादी और पैसे जैसी चीजों का लालच देकर धर्मांतरण कराया जाता है। हालांकि इसके बारे में ऐसे बच्चों के माता-पिता को कुछ नहीं पता है।
ऐसे बच्चों के माता-पिता बताते हैं कि पहले उनके बच्चे गायब हो गए। जब बच्चों ने किसी तरह वीडियो कॉल किया तब उन्हें जानकारी हो सकी कि उनके बच्चे का धर्म परिवर्तन करा दिया गया है।
इसके लिए आरोपी आसानी से उपलब्ध गरीब परिवारों, बेरोजगार लड़के-लड़कियां, मूक-बधिर छात्र आदि को चिन्हित करते हैं। इसके बाद आरोपी इन लोगों के मन उन उनके अपने धर्म के प्रति घृणा पैदा कर इस्लाम धर्म के श्रेष्ठ होने की बात करते हैं। इससे पीड़ित उनकी बातों में आ जाते हैं और अपने धर्म से नफरत करने लगते हैं। कई तरह के लालच देकर, मानसिक दबाव बनाकर, परिस्थिति का भय दिखाकर इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए तैयार किया जाता है और उनके धर्मांतरण से संबंधी अभिलेखों को तैयार कर कानूनी तौर पर उसका धर्म परिवर्तन करा देते हैं। इसके बदले उन्हें नौकरी, पैसा दिया जाता है या विवाह कराया जाता है। समय-समय पर ऐसे धर्म परिवर्तित लोगों के लिए सम्मेलनों का आयोजन कर अन्य गैर-मुस्लिम लोगों को लालच देकर भी इससे जोड़ा जाता है।
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