Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। भगवान श्रीकृष्ण का यह 5248 वाँ जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। श्रीकृष्ण का बुधवार को ही जन्म क्यों हुआ, क्यों कि रोहिणी नक्षत्र, रात्रि के समय एवं अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। क्यों कि वह चंद्रवंशी हैं अर्थात् चंद्रदेव के वंशज है।
चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में था उस समय श्रीकृष्ण का प्रादुर्भाव हुआ
श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति संस्थापक पं. अमित भारद्वाज ने बताया कि चंद्रमा का पुत्र बुध है। चंद्र वंश में पुत्र वत अवतार लेने के लिए बुधवार को ही चुना। रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा की प्रिय पत्नी व प्रिय नक्षत्र है इसी कारण जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में था उस समय श्रीकृष्ण का प्रादुर्भाव हुआ। अष्टमी तिथि शक्ति का प्रतीक है। कृष्ण शक्ति से संपन्न, परब्रह्म परमेश्वर हैं। अष्टमी तिथि पर जन्म लेने का प्रमुख कारण यही है। रात्रि में जन्म लेने का प्रमुख कारण उनका चंद्रवंशी होना है। रात्रि में अपने पूर्वज चंद्रदेव की आकाश में उपस्थिति में जन्म लिया था। साथ ही चंद्रदेव की अभिलाषा थी कि नारायण का अपने कुल में जन्म लेने का वह स्वयं प्रत्यक्ष दर्शन कर सकें। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि श्रीकृष्ण के अवतार के समय अंतरिक्ष से पृथ्वी तक सारा वातावरण सकारात्मक हो गया था। प्रकृति, पशु-पक्षी सभी हर्षित थे। देव, ऋषि, किन्नर सभी प्रफुल्लित थे। अर्थात् चहुँ ओर सुरम्य वातावरण बन हो गया था। धर्मग्रंथों में उल्लखित उल्लेख के आधार पर कहा जा सकता है कि प्रभु श्रीकृष्ण ने योजनाबद्ध तरीके से इस पृथ्वी पर अवतार लिया।
प्राचीन केशवदेव मंदिर में एक दिन पहले ही उत्सव मनाते हैं
इस वर्ष यह योग 12 अगस्त को है मथुरा व ब्रज क्षेत्र में बड़े ही हर्षउल्लास के साथ घर-घर में अजन्में का जन्मोत्सव मनाया जायेगा। केवल प्राचीन केशवदेव, मल्लपुरा, स्मार्त व गौड़ीय मठ के वैष्णव लोग जन्माष्टमी एक दिन पूर्व ही यानी 11 अगस्त को जन्मोत्सव मनायेंगे। उनकी परंपरा है कि वह एक दिन पहले ही उत्सव मनाते हैं। इसके अलावा नन्दगांव में भी 11 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाई जायेगी। वहीं वृन्दावन स्थित श्रीबॉके बिहारी मंदिर में भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी को रात्रि में जन्म का अभिषेक होगा। उसके बाद रात्रि प्रहर में ही भोर होने से पहले ही मंगला के दर्शन होंगे। साल में केवल एक दिन मंगला के दर्शन होते है बिहारीजी की मंगला आरती के दर्शन कर श्रद्धालु अपने आपको धन्य मानते हैं। मगर इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं का प्रवेश निषेध कर दिया गया है। इसी प्रकार से श्रीकृष्ण जन्म स्थान सहित ब्रज के तमाम मंदिर इस वर्ष श्रद्धालुओं के विना ही जन्माष्टमी का उत्सव मनायेंगे।
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