रूसी राष्ट्रपति ने दी पूर्वी यूक्रेन के पृथकतावादी विद्रोही इलाक़े को स्वतंत्र राज्य की मान्यता, अंतर्राष्‍ट्रीय बिरादरी द्वारा पुतिन के कदम की निंदा

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन के पृथकतावादी विद्रोही इलाक़े को स्वतंत्र राज्य की मान्यता दे दी है.
पूर्वी यूक्रेन में स्वघोषित पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ दोनेत्स्क और लुहांस्क रूस समर्थित विद्रोहियों का घर है. ये विद्रोही 2014 से ही यूक्रेन से लड़ रहे हैं.
रूस के इस क़दम से इलाक़े में शांति वार्ता का अंत हो सकता है. शांति वार्ता के कारण ही कई सालों से युद्धविराम लागू था. पश्चिम के देशों को डर है कि पुतिन की इस घोषणा से रूसी बलों को पूर्वी यूक्रेन में घुसने का बहाना मिल जाएगा.
रूस की इस घोषणा के तुरंत बाद पुतिन ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किया. यह आदेश रूसी सैनिकों को दोनेत्स्क और लुहांस्क में कथित रूप से शांति बनाए रखने के लिए काम करने को कहा गया है.
इस शांति बनाए रखने वाले काम में रूसी सैनिक क्या करेंगे, इसे लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है. लेकिन रूसी सैनिक सीमा पार करते हैं तो विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाक़े में रूस आधिकारिक से रूप पहली बार दाख़िल होगा.
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि रूस का यह रुख़ यूक्रेन की संप्रभुता और उसकी एकता का घोर उल्लंघन है.
ब्रिटिश पीएम ने कहा है कि रूस ने ऐसा कर अंतर्राष्ट्रीय नियमों को भी ताक पर रख दिया है. ब्रिटिश पीएम ने इसे बहुत ही ग़लत लक्षण और अंधेरे में ले जाने वाला संकेत बताया है.
ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज़ ट्रस ने कहा है कि मंगलवार को रूस के ख़िलाफ़ नए प्रतिबंधों की घोषणा की जाएगी.
यूरोपियन यूनियन ने यूक्रेन के साथ खड़े होने की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा है कि एकजुटता और मज़बूती से जवाब दिया जाएगा.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने इस बात को ख़ारिज कर दिया है कि रूसी सेना दोनेत्स्क और लुहांस्क में शांति के लिए काम करेगी. उन्होंने पत्रकारों से कहा, ”यह अस्वीकार्य है. रूसी सेना शांति के लिए काम करेगी, जैसी बातें बकवास हैं.”
पुतिन के इस फ़ैसले से यूक्रेन का संकट और गहरा गया है. रूस के 150,000 से ज़्यादा सैनिक यूक्रेन से लगी सीमा पर तैनात हैं. रूस हमले की योजना से इनकार कर रहा है, लेकिन अमेरिका का मानना है कि पुतिन यूक्रेन पर हमले की ज़बर्दस्त तैयारी कर रहे हैं.
यूक्रेन पर हमले का बहाना?
हाल के वर्षों में दोनेत्स्क और लुहांस्क में रूसी पासपोर्ट बड़े पैमाने पर बाँटे गए थे. पश्चिम के देशों को डर है कि रूस अपनी सेना को विद्रोहियों के क़ब्ज़े वाले इलाक़े में भेज सकता है और इसे सही ठहराने के लिए नागरिकों की सुरक्षा के बहाने का तर्क दे सकता है.
नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो (NATO) के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने चेतावनी देते हुए कहा है, ”रूस पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों को सैन्य और आर्थिक मदद देकर लगातार विद्रोह को बढ़ावा दे रहा है. वह एक बार फिर से यूक्रेन पर हमले का बहाना बना रहा है.”
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने टेलीविज़न संबोधन में कहा है कि आधुनिक यूक्रेन सोवियत रूस ने बनाया था. पुतिन कहना चाह रहे हैं कि यूक्रेन रूस का पुराना हिस्सा है.
एक घंटे के अपने भाषण में पुतिन ने कहा कि 1991 में सोवियत यूनियन बिखरा तो रूस पर डाका डाल दिया गया था. पुतिन ने आरोप लगाया कि यूक्रेन अमेरिका का उपनिवेश बन गया है.
रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि यूक्रेन की सरकार अमेरिका की कठपुतली है और यहाँ के लोग इस सरकार के कारण मुश्किल में हैं. 2014 में यूक्रेन में रूस के समर्थन वाली सरकार गिर गई थी और तब से पुतिन को लगता है कि वहाँ अमेरिका के समर्थन वाली सरकार है.
रूस के इस रुख़ को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने की मांग की है. ज़ेलेंस्की ने फ़्रांस, स्पेन और अमेरिका से बात की है.
अपने भाषण में पुतिन ग़ुस्से में, बेसब्र और सीधे धमकाते दिखे. ऐसा लग रहा था कि पिछले 20 सालों से रूसी राष्ट्रपति चोट खा रहे थे. पुतिन ने कहा कि ‘आप मुझे दोस्त नहीं बनाना चाहते हैं तो हमें एक दुश्मन बनाने की ज़रूरत नहीं थी’.
हमने पुतिन को पहले भी बहुत सुना है, लेकिन अब वह इसे नए तरह से पेश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि अभी इस मामले पर सबका ध्यान टिका है.
पुतिन अपनी सुरक्षा मांगों को लेकर कोई ठोस तर्क नहीं दे रहे हैं. उनका कहना है कि नेटो का विस्तार बंद हो, यूक्रेन नेटो में शामिल होता है तो यह ख़तरे के निशान से ऊपर होगा. रूसी राष्ट्रपति की शिकायत है कि उनकी चिंताओं की सालों से उपेक्षा की गई है. पुतिन आरोप लगा रहे हैं कि पश्चिम के देश रूस को इस रूप में पेश कर रहे हैं कि वह फिर से उभरती हुई शक्ति है.
यूक्रेन पर पुतिन का ध्यान कुछ ज़्यादा ही जुनूनी है. एक ऐसे व्यक्ति की तरह है जो बिल्कुल अलग सोचता है. अभी ऐसा लग रहा है कि जैसे वह राष्ट्रपति की दौड़ में हैं. ज़ाहिर है कि वह यूक्रेन का इतिहास फिर से लिख रहे हैं. उनका मानना है कि यूक्रेन कभी एक देश नहीं रहा. आज के संदर्भ में इसका ख़ास मतलब था.
दोनेत्स्क और लुहांस्क को मान्यता देने का मतलब है कि रूसी सैनिक खुलेआम वहाँ जल्दी ही जा सकते हैं. इन सैनिकों को शांति बहाल करने वाला कहा गया है. संभव है कि इस घोषणा के बाद पुतिन थोड़ा ठहर सकते हैं और विरोधियों की प्रतिक्रिया का अंदाज़ा लगाएंगे.
इन सबके बीच अब यूक्रेन युद्ध का मैदान है. लेकिन यह रूस और पश्चिम के बीच टकराव का भी खेल है और यह निर्णायक घड़ी है.
जर्मनी के चांसलर ओलाफ़ शल्ट्स और फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस घोषणा से पहले पुतिन से बात की थी. पश्चिमी ताक़तें यूक्रेन के साथ खड़ी हैं. इनका कहना है कि रूस ने हमला किया तो बहुत ही कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे. अभी तक साफ़ नहीं है कि हमले के जवाब में पश्चिमी देश किस हद तक जाएंगे.
पुतिन के भाषण के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन एक कार्यकारी आदेश दे सकते हैं जिनमें अमेरिकी लोगों और कारोबारियों पर निवेश को लेकर पाबंदी लगा सकते हैं. उसके बाद और कड़े क़दम उठाए जाएंगे.
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने कहा है, ”हम अपने सहयोगी देशों के साथ ख़तरनाक आर्थिक प्रतिबंध को लेकर बात कर रहे हैं.”
ईयू के विदेश नीति प्रमुख जोसप बोर्रेल ने इससे पहले चेतावनी दी थी कि अगर रूस ने यूक्रेन के किसी हिस्से को अपने में मिलाया तो प्रतिबंध लगेगा और अगर अलगाववादी इलाक़ों को मान्यता दी गई तो प्रतिबंध का प्रस्ताव रखा जाएगा और इस पर मंत्री फ़ैसला करेंगे.
जर्मनी ने कहा है कि पुतिन की यह घोषणा अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है. जर्मनी के विदेश मंत्री ने कहा है कि यूक्रेन की संप्रभुता और उसकी एकता का एक बार फिर से उल्लंघन किया गया है. उन्होंने कहा कि जर्मनी अपने सहयोगियों के साथ मिलकर जवाब देगा. पुतिन के शीर्ष के अधिकारियों से दोनेत्स्क और लुहांस्क को मान्यता देने को लेकर राय मांगी गई थी. सभी ने इसका समर्थन किया है.
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh