शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार के लिए भी शिक्षक भी दोषी: DIOS-2, शिक्षक नेता डॉ. देवी सिंह नरवार ने कही बड़ी बात

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कर्तव्य-बोध और मूल्यपरक शिक्षा: शिक्षकों के लिए नई राहें

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा ‘‘कर्तव्य-बोध समारोह एवं शैक्षिक संगोष्ठी’’ का भव्य आयोजन

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. शिक्षा जगत में नैतिकता और कर्तव्यनिष्ठा को पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश, जनपद आगरा द्वारा ‘‘कर्तव्य-बोध समारोह एवं शैक्षिक संगोष्ठी’’ का आयोजन श्री केदारनाथ सैक्सरिया आर्य कन्या इंटर कॉलेज, बेलनगंज में किया गया। इस अवसर पर जिला विद्यालय निरीक्षक-दो (बालिका शिक्षा), आगरा, श्री विश्व प्रताप सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

इस संगोष्ठी में शिक्षकों की भूमिका, कर्तव्य-बोध, मूल्यपरक शिक्षा और शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार की चुनौतियों पर गहन मंथन किया गया। वक्ताओं ने शिक्षकों को कर्तव्य के प्रति जागरूक रहने और शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।


शिक्षकों के लिए नई चुनौतियाँ और जिम्मेदारियाँ

अपने संबोधन में मुख्य अतिथि श्री विश्व प्रताप सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षकों के समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं। उन्होंने कहा कि आज का शिक्षक अपने अधिकारों और मांगों के प्रति सजग है, लेकिन अपने कर्तव्यों को लेकर उतना जागरूक नहीं दिखता

उन्होंने शिक्षा में बढ़ते भ्रष्टाचार पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा,
“शिक्षा क्षेत्र में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है और इसमें शिक्षकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। यदि शिक्षक अपने कर्तव्यों को निष्ठापूर्वक निभाएँ और छात्रों में नैतिकता का संचार करें, तो भारत पुनः ‘विश्वगुरु’ के गौरवशाली पद पर आसीन हो सकता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों की कर्तव्यनिष्ठा ही देश के उज्ज्वल भविष्य की नींव है। यदि शिक्षक अपने कार्यों को पूरी ईमानदारी से करें, तो शिक्षा प्रणाली को भ्रष्टाचार और नैतिक पतन से बचाया जा सकता है।

शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए भी कहीं न कहीं शिक्षक भी दोषी है।

मूल्यपरक शिक्षा के अभाव में शिक्षक के समक्ष अनेक चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं।

शिक्षकों की बदौलत ही भारत विश्व गुरु था और भविष्य में भी शिक्षक ही भारत को पुनः विश्व गुरु के गौरवशाली पद पर प्रतिष्ठित कर सकेगा। इसलिए शिक्षकों को अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।

मंचासीन अतिथि

संघर्ष और चुनौतियों को अवसर में बदलने का संदेश

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं महासंघ प्रदेश कार्यसमिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने कहा कि जीवन संघर्षों से भरा हुआ है और शिक्षक भी इससे अछूते नहीं हैं। उन्होंने कहा,

“मनुष्य को जन्म से लेकर मृत्यु तक संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन मुस्कराते हुए चुनौतियों को स्वीकार करने से आत्म-विश्वास और संघर्ष करने की क्षमता बढ़ती है।”

उन्होंने हाल ही में गठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का जिक्र करते हुए कहा कि इस आयोग के गठन से शिक्षकों की सेवाशर्तों और सेवा सुरक्षा से छेड़छाड़ की गई है, जिससे शिक्षकों में भारी असंतोष और आक्रोश व्याप्त है

उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे अपने अधिकारों और सेवाशर्तों की बहाली के लिए एकजुट होकर संघर्ष करें

डॉ. देवी सिंह नरवार
संगोष्ठी का शुभारंभ करते अतिथि।

शिक्षकों को पठन-पाठन में रुचि बनाए रखनी चाहिए

कार्यक्रम की अध्यक्ष एवं कॉलेज की प्रधानाचार्या श्रीमती नमिता शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि,

“शिक्षक समाज का आदर्श होता है, उसे अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत रहना चाहिए और शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान पूरी निष्ठा से देना चाहिए। पठन-पाठन को प्राथमिकता देकर ही हम एक सशक्त और नैतिक समाज का निर्माण कर सकते हैं।”

विचार-विमर्श और सारगर्भित संवाद

इस अवसर पर विभिन्न शिक्षाविदों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। कॉलेज के प्रबंधक श्री ललित मोहन दुबे, महासंघ की कार्यकारी जिलाध्यक्ष डॉ. रचना शर्मा, जिला समन्वयक डॉ. केपी सिंह, वरिष्ठ प्रवक्ता श्रीमती उज्ज्वल जैन, श्रीमती कृति सिंह, श्रीमती पूनम लवानियाँ और श्रीमती अल्पना अग्रवाल ने भी संगोष्ठी में शिक्षकों की भूमिका, शिक्षा में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता और वर्तमान शिक्षा प्रणाली की चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त किए।

सम्मान और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का भव्य स्वागत किया गया। उन्हें माल्यार्पण, शॉल ओढ़ाकर और बैज लगाकर सम्मानित किया गया

इसके पश्चात कॉलेज की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की, जिससे कार्यक्रम का वातावरण भक्तिमय हो गया।

संगोष्ठी में कॉलेज की अध्यापिकाओं और छात्राओं ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे इस आयोजन की सफलता और भी बढ़ गई।

ध्यानपूर्वक सुनती छात्राएं।

शिक्षकों को आत्ममंथन और जागरूकता की जरूरत

इस कार्यक्रम में शिक्षकों की भूमिका, कर्तव्य-बोध, मूल्यपरक शिक्षा, और शिक्षा में नैतिकता की पुनर्स्थापना पर विस्तृत चर्चा हुई। वक्ताओं ने शिक्षकों से कर्तव्यनिष्ठ रहने, भ्रष्टाचार से दूर रहने और मूल्यपरक शिक्षा को बढ़ावा देने का आह्वान किया।

केदारनाथ सैक्सरिया गर्ल्स इंटर कॉलेज, आगरा
कार्यक्रम के बाद सामूहिक फोटो तो बनता है।

निष्कर्ष:
शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए शिक्षकों को जागरूक, कर्तव्यनिष्ठ और संघर्षशील बनने की जरूरत है। जब शिक्षक अपने कर्तव्य को प्राथमिकता देंगे, तभी भारत पुनः “विश्वगुरु” के पद पर स्थापित हो सकेगा।

 

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Dr. Bhanu Pratap Singh