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सिंधु घाटी सभ्यता को जानने में आगरा के हजारीमल भाटिया का विशेष योगदान: प्रो. डीपी शर्मा

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आगरा विश्वविद्यालय के इतिहास एवं संस्कृति विभाग में नए सत्र का शुभारंभ

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Agra, Uttar Pradesh, India.  डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के इतिहास एवं संस्कृति विभाग में भारत के जाने-माने इतिहासकार प्रो डी.पी. शर्मा ने अपने उद्बोधन से सत्र का प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि सिंधु घाटी सभ्यता की कला एवं संस्कृति को जानने में आगरा के हजारीमल भाटिया का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि यह सभ्यता सरस्वती नदी के इर्द-गिर्द अधिक है।  प्रो. डी.पी. शर्मा ने अपने व्याख्यान में बताते हुए कहा कि सिंधु सरस्वती सभ्यता के 4004 स्थलों की खोज हो चुकी है, जिनमें 2500 स्थलों की खुदाई भी हो चुकी है, इनमें से बहुत से क्षेत्र उत्तर प्रदेश में स्थित हैं।

उनका कहना था कि इस सभ्यता की खोज की शुरुआत में ही आगरा का योगदान रहा है। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि इस सभ्यता के बारे में 1920-21 में लोगों को पता चला जबकि इससे पूर्व 1826 में बर्टन ने 1862 में कनिंघम ने इस सभ्यता के विषय में बताया था।

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संबोधित करते प्रो. अजय तनेजा।

अपने वक्तव्य में उन्होंने बताया कि स्वास्तिक का चिन्ह भारत की वैदिक परंपरा से प्रारंभ होकर विश्व के हर क्षेत्र में प्रयोग किया जाता था जिसके साक्ष्य उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से छात्रों को दिखाएं। उन्होंने बताया कि खुदाई में न सिर्फ हाथ से बनी हुई सीलें प्राप्त हुई बल्कि सांचे से ढली हुई आकृतियां भी प्राप्त हुई है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में इतिहास एवं संस्कृति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.डी. शुक्ला ने प्रो डी.पी. शर्मा का परिचय बताते हुए मानव सभ्यता के विकास पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो अजय तनेजा ने इतिहास एवं रसायन शास्त्र के संबंध को बताते हुए कहा कि इतिहास में तत्वों का सत्यापन रसायन शास्त्र की सरलता से सिद्ध किया जा सकता है. इस संबंध में उन्होंने कार्बन – 14 का उदाहरण भी प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ हेमंत कुमार ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ अमित कुमार ने दिया। कार्यक्रम में एएसआई के ओमप्रकाश, विभाग की प्रो. हेमा पाठक, रिटायर्ड प्रो गिरिजाशंकर, प्रो यू.एन. शुक्ला, डॉ सुनील उपाध्याय व कई शोध छात्र छात्राएं पूर्वा दीक्षित, ज्योति श्री, रवीश कुमार, प्रभुजीत कौर, समीर कुमार, पूजा पोरस व अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Dr. Bhanu Pratap Singh