संतुलित भोजन ही लें: डीके सिंह

HEALTH REGIONAL

Hathras (Uttar Pradesh, India)  जब मनुष्य के शरीर को लंबे समय तक संतुलित आहार न मिले तो शरीर कुपोषण की ओर बढ़ने लगता है। इसलिये हमेशा संतुलित आहार प्रत्येक व्यक्ति को मिले इसका ध्यान रखना चाहिए। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन सकते हैं। अत: कुपोषण के बारे में जानकारी होना अत्यन्त जरूरी है। कुपोषण प्राय: पर्याप्त संतुलित आहार के आभाव में होता है।

बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़  कुपोषण ही होता है। गर्भावस्था के दौरान यदि महिला को पूर्ण पौष्टिक आहार नहीं मिलता है तो उसका सीधा असर उसके होने वाले बच्चे पर पड़ता है। बच्चों और महिलाओं के अधिकतर रोगों का मूल कारण भी कुपोषण ही बनता है।  इसलिए स्वस्थ बच्चे के जन्म के लिए पहले मां का पूरी तरह से पोषित होना बहुत ही जरुरी है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह का कहना है कि बच्चों के कुपोषण का सीधा सम्बन्ध कुछ हद तक मां के कुपोषण से भी जुड़ा है। आमतौर पर समाज में देखा जाता है कि परिवार के सभी सदस्यों को खाना खिलाने के बाद महिलायें स्वंय खाना खाती हैं। इसके चलते आखिर में उसे रसोई में जो बचा मिलता है, उसी से काम चलाना पड़ता है। परिवार का कोई भी सदस्य यह जानने की भी जहमत नहीं उठाता कि उसे पर्याप्त भोजन मिला भी है या नहीं, जबकि गर्भावस्था में तो महिला को अतिरिक्त भोजन की जरुरत रहती है।

कुपोषण का एक कारण महिलाओं के बार-बार गर्भधारण से भी जुड़ा है। बेटे की चाहत में परिवार के बड़े-बुजुर्गों के दबाव में महिलाओं को गर्भधारण करना पड़ता है।  इस वजह से दो बच्चों के जन्म में अंतर भी वह नहीं रख पाती हैं। इसके चलते उन्हें बार-बार प्रसव पीड़ा से गुजरना पड़ता है। इसके साथ ही वे कुपोषण के घेरे में आ जाती हैं। समाज में कहीं-कहीं आज भी बेटे और बेटी में फर्क समझा जाता है। इसके चलते बेटियों की सेहत पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता जितना की बेटों पर। यह समझने की जरुरत है कि अगर बेटी पूरी तरह स्वस्थ होगी तभी वह आगे चलकर स्वस्थ मां बन सकेगी। इसलिए समाज की इस मानसिकता को बदलना भी बहुत जरुरी है।