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प्रधानमंत्री संग्रहालय में पसंदीदा प्रधानमंत्री संग टहलिए, फोटो खिंचवाइए, हेलीकॉप्टर में उड़कर देखिए नए भारत की झलक

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Dr Bhanu Pratap Singh

फतेहपुर सीकरी से लोकसभा सांसद राजकुमार चाहर ने पत्रकारों का टूर कराया

यूपी बोर्ड के 100 छात्रों को भी दिखवाएंगे  Pradhanmantri Sangrahalayam

New Delhi, Capital of India. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र है। यहां से सांसद हैं राजकुमार चाहर। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अभी अधिक वोट मिले। इस कारण उनकी ख्याति खूब हुई। वे भाजपा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही हैं। उन्होंने मई, 2022 में उन पत्रकारों के साथ बैठक की, जो उन्हें अखबारों में ‘हीरो’ बनाए रहते थे। इनमें से करीब-करीब सभी रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने इन पत्रकारों को होटल पीएल पैलेस में बुलाकर फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र के समेकित विकास के बारे में सुझाव लिए। 20 में से 10 पत्रकार पहुंच पाए। जब बटेश्वर के विकास की बात आई तो उन्होंने कहा- मैं प्रधानमंत्री संग्रहालय की तर्ज पर बटेश्वर का विकास करना चाहता हूँ। हम सबके मन में जिज्ञासा जगी कि आखिर ऐसा क्या है वहां? उन्होंने बड़े ही उत्साहपूर्वक प्रधानमंत्री संग्रहालय की खूबियों को सरस वर्णन किया। फिर कहा- आप सब पत्रकार साथी प्रधानमंत्री संग्रहालय अवश्य देखें। सारी व्यवस्था मैं कर दूंगा। 9 जून, 2022 तारीख तय हुई। मुझसे कहा कि आप समन्वय कर लें। यह भी तय हुआ कि माह में एक बार पत्रकार साथियों के साथ बैठेंगे और दिए गए सुझावों पर अमल की समाक्षा किया करेंगे। पत्रकार वार्ता के अलावा अन्य किसी कार्य के लिए पत्रकारों को एकत्रित करने तराजू में मेढकों को तौलना जैसा है, लेकिन यह कार्य सांसद राजकुमार चाहर ने बखूबी किया।

इस बैठक के कई दिन बाद मैंने एक वॉट्सऐप ग्रुप का निर्माण किया। इसमें वही 20 पत्रकार शामिल किए। इसके बाद अनेक पत्रकारों के फोन आने लगे कि हमें भी शामिल करो। नौ जून निकट आती गई और प्रधानमंत्री संग्रहालय जाने के लिए 12 पत्रकारों ने सहमति दे दी। मैंने सभी वरिष्ठजनों को फोन किए। 8 जून को डॉ. सिराज कुरैशी जी की फोन आया कि मथुरा में उनकी बहन का इंतकाल हो गया है, इसलिए वे नहीं जा पाएंगे। श्री विनोद भारद्वाज जी से बात हुई तो उनका स्वास्थ्य अचानक खराब हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि पैदल चलने में समस्या है। रात्रि में सबकुछ तय हो गया। 14 सीटर एक टेम्पो ट्रेवलर हम पत्रकारों के लिए तय कर दिया गया।

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प्रधानमंत्री संग्रहालय में आगरा के पत्रकार बाएं से डॉ. गिरिजा शंकर शर्मा, डॉ. सुरेन्द्र सिंह, राजीव सक्सेना, सुनयन शर्मा, संजय तिवारी, रमेश राय, डॉ. भानु प्रताप सिंह, शंकर देव तिवारी, सुभाष रावत।

9 जून को बालूगंज से प्रातः आठ बजे डॉ. गिरिजा शंकर शर्मा जी सबसे पहले वाहन में सवार हुए। राजामंडी चौराहा से श्री राजीव सक्सेना जी, श्री सुनयन शर्मा जी और श्री असलम सलीमी जी बैठे। ईंट की मंडी पर डॉ. सुरेन्द्र सिंह जी और शंकर देव तिवारी जी तैयार खड़े थे। अवंतीबाई लोधी चौराहा (शास्त्रीपुरम गोल चक्कर) पर श्री संजय तिवारी जी, श्री सुभाष रावत जी और मैं (डॉ. भानु प्रताप सिंह) तैयार खड़े थे। श्री रमेश राय जी निर्धारित समय पर नहीं आए। उनकी प्रतीक्षा करनी पड़ी। इस बीच श्री सुभाष रावत जी वाहन से उतरकर घर गए और ‘आवश्यक काम’ निपटाकर आए। मनोज ढाबा से पानी और कुछ अन्य सामान लिया। यमुना एक्सप्रेस-वे पर चढ़ने से पहले चालक ने आगे का नया पहिया बदला।

इस तरह करीब 10.30 बजे यमुना एक्सप्रेस-वे से नई दिल्ली की ओर प्रस्थान कर गए। जब वरिष्ठ पत्रकार एक साथ बैठते हैं तो पुरानी यादें ताजा हो ही जाती हैं। ये सब वे पत्रकार हैं, जो अपने समय के महारथी रहे हैं। बड़े-बड़े अधिकारी और नेता इनके आगे पानी मांगते थे। कुछ ने अपने समय के किस्से सुनाए। बदलती पत्रकारिता पर चर्चा हुई। पहले पत्रकार निर्भीकता के साथ सवाल जवाब करते थे। आज तो सिर्फ बाइट ली जाती है। वाहन की गति 70-75 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। नोएडा से दिल्ली में प्रवेश कर गए। हमें भोजन के वेस्टर्न कोर्ट, जनपथ पहुंचना था। गूगल मैप लगा रखा था। एक मोड़ पर चूक गए। आगे बढ़ गए। फिर तो लम्बा चक्कर लगाकर फिर से सही मार्ग पर आ पाए।

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प्रधानमंत्री संग्रहालय में डॉ. भानु प्रताप सिंह

वेस्टर्न कोर्ट में हमारी प्रतीक्षा श्री सतेन्द्र यादव कर रहे थे। वे अपने परिवार के साथे। भोजन के लिए आधा घंटा इंतजार करना पड़ा। वहां पहले से काफी लोग मौजूद थे। मैं मैनेजर के पास दो बार गया कि जल्दी करा दें। वह पांच मिनट की कहकर टरका देता। खैर, भोजन की थाली आई। चार रोटी, चावल, दाल, खीर, रायता, लौकी की सब्जी, पनीर और सलाद से भरी हुई कटोरियां। भोजन किया तो तृप्ति का अनुभव हुआ। सबने एक ही बात कही- मजा आ गया। घर से भी अच्छा खाना है। अधिकांश पत्रकारों ने चार के स्थान पर दो रोटियां खाईं। शंकरदेव तिवारी अपने परहेज वाला परोसा संग लेकर आए थे लेकिन वह बंधा ही रहा। स्वाद आया तो बिना खाए न रह सके।

हम सब पहुंच गए तीन मूर्ति चौक, नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय। सांसद राजकुमार चाहर ने टिकट, ऑडियो डिवाइस आदि का इंतजाम पहले ही करा रखा था। साथ में वैयक्तिक सचिव अभिलाष त्रिपाठी, सतेन्द्र यादव के परिजन, एक गाइड महोदय थे। जब प्रधानंमत्री संग्रहालय बन रहा था तो यह बात तेजी से फैली थी कि तीन मूर्ति भवन को हटाया जा रहा है। हमने देखा कि तीन मूर्ति भवन तो यथावत थे। इसके ठीक पीछे प्रधानमंत्री संग्रहालय का निर्माण किया गया है। प्रधानमंत्री संग्रहालय में जाने से पहले तीन मूर्ति भवन को देखना होता है। तीन मूर्ति भवन का निर्माण 1930 में ब्रिटिश वास्तुकार रॉबर्ट टोर रसेल ने किया था। इसे ब्रिटिश भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ ने अपना आवास बनाया। जब अग्रेजों पंजे से मुक्त हुआ तो तीन मूर्ति भवन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के आवास में परिवर्तित हो गया। नेहरू जी अपनी मृत्यु के अंतिम क्षण 1964 तक यहीं रहे। उनकी मृत्यु के बाद तीन मूर्ति भवन को स्मारक में परिवर्तित कर दिया गया। नेहरू जी की पूरी जीवन गाथा तीन मूर्ति भवन में है। भारत का स्वंतत्रता संग्राम का इतिहास, नेहरू जी का कक्ष, अध्ययन कक्ष, पुस्तकें, नेहरू जी द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाले वस्तुएं जैसे टोपी, क्रिकेट बैट, हजारों पुस्तकें, उन्हें मिले उपहार, इंदिरा गांधी का कक्ष सबकुछ यथावत संरक्षित है। ऐसे लगा कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू हमारे समक्ष जीवंत हो रहे रहे हैं। विभिन्न देशों से प्रधानमंत्रियों को मिले उपहार दर्शनीय हैं। सब एक से बढ़कर एक हैं। नेहरू जी को मिला भारत रत्न भी यहां देखा। बहुत सारा इतिहास फिल्म के रूप में प्रदर्शित है। ऑडियो सुनते रहिए और चित्र देखते रहिए। संविधान निर्माण की विस्तृत जानकारी यहां मिली। संविधान निर्माण में कई महिलाओं का भी योगदान है। हमें बताया गया कि तीन मूर्ति भवन में 18,231 से अधिक माइक्रोफिल्म रोल और अनुसंधान सामग्री के 51,322 माइक्रोफिच प्लेट हैं। इसके अलावा इस लाइब्रेरी में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित लगभग 2,02,415 चित्र हैं। शोधकर्ताओं के लिए यह अत्यधिक उपयोगी है।

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प्रधानमंत्री संग्रहालय में संजय तिवारी, सुनयन शर्मा, डॉ. सुरेन्द्र सिंह और डॉ. भानु प्रताप सिंह

प्रधानमंत्री संग्रहालय में प्रवेश किया। संग्रहालय भवन की डिजाइन उभरते भारत की कहानी से प्रेरित है। गैलरी की छत पर लगी लाइट इस तरह की है जैसे कि समुद्र हिलोर ले रहा हो। यहां सर्वाधिक रुचिकर लगा भविष्य के भारत को हेलीकॉप्टर में बैठकर उड़ना। यह हेलीकॉप्टर हमें अटल टनल तक में ले गया। हिमालय के ऊपर गया। ट्रेन के ऊपर गया। हमें ऐसा लगा कि हेलीकॉप्टर टनल से टकरा जाएगा लेकिन बड़ी ही होशियारी से आगे बढ़ता गया। झटके भी लगे। कई बार डर लगा। ऐसा लगा कि भारत का तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टि से भारत भविष्य में स्वर्णिम इबारत लिखेगा। अपने मनपसंद प्रधानमंत्री के साथ फोटो खिंचवाना भी रोमांचकारी है। एक कुर्सी खाली है और दूसरे पर हम बैठे। फोटो खिंचा। ऐसा लगा कि सचमुच प्रधानमंत्री हमारे साथ वाली कुर्सी पर विराजमान हैं। मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ फोटो खिंचवाया। फिर प्रधानमंत्री नरन्द्र मोदी ने Dear Dr. Bhanu Pratap Singh का संबोधन देते हुए पत्र भी लिखा। स्याही से हस्ताक्षर भी किए। यह सब तकनीक का कामाल है। यहीं पर टाइम नशीन है, जिसमें वैज्ञानिक उपलब्धियों को फिल्म के माध्यम से दिखाया गया है। ‘अनुभूति’ की अनुभूति नहीं कर पाए। अपने फोटो के साथ फीडबैक दिया। मैंने लिखा- वंदे मातरम्।

दूसरी मंजिल पर पहुंचे तो मनमोहन सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, इद्रकुमार गुजराल, एचडी देवेगौड़ा, पीवी नरसिंह राव, विश्वनाथ प्रताप सिंह, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, चौ. चरण सिंह, मोरारजी देसाई, गुलजारीलाल नंदा, लाल बहादुर शास्त्री और जवाहर लाल नेहरू के बारे में वह सब जानकारी दी गई है, जो हमें पता होना चाहिए। किस प्रधानमंत्री ने देश के लिए क्या योगदान दिया है, सब कुछ है। 1947, 1865, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1962 के भारत-चीन युद्ध की फिल्म देखिए। सीढ़ियों से ऊपर गए 14 प्रधानमंत्रियों के बारे में विभिन्न चित्रों, फिल्म, वर्चुअल रिएलिटी आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है

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तीन मूर्ति भवन में पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ पत्रकारों का दल

पोखरण बम विस्फोट की अनुभूति भी की जा सकती है। बिम विस्फोट होता है और आप का झटके महसूस होने लगते हैं, जैसे धरती हिली हो। संग्रहालय में स्वचालित सीढ़ियां भी हैं।

यहां सक्रीन टच करके हिन्दी या अंग्रेजी में बहुत सारी जानकारी मिलती है। लाल किले से प्रधानमंत्री का संबोधन सुन सकते हैं। लाल बहादुर शास्त्री का रेडियो पर उद्बोधन सुन सकते हैं। अपने प्रधानमंत्री को चिलचित्र में देख सकते हैं। संग्रहालय में महत्वपूर्ण पत्राचार, कुछ व्यक्तिगत वस्तुओं, उपहार और यादगार वस्तुएं, सम्मान, पदक, स्मारक टिकट, सिक्के आदि देखे। संग्रहालय में कुल 43 वीथिका (गैलरी) हैं। इसमें नएपन और प्रचीनता का ख्याल रखा गया है। यह संग्रहालय स्वतंत्रता संग्राम के प्रदर्शन से शुरू होकर संविधान के निर्माण तक की गाथा को दर्शाता है। संग्रहालय में यह भी दिखाया गया है कि कैसे अलग-अलग प्रधानमंत्रियों ने कठिन चुनौतियों के बीच देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाई है।

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प्रधानमंत्री संग्रहालय में फिल्म देखते पत्रकार

हमें इस बात का अफसोस है कि प्रधानमंत्री संग्रहालय को हमने जल्दी-जल्दी देखा। वास्तव में सुबह 10 बजे से लेकर शाम छह तक तक रहें तो पूरा देख सकते हैं। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री संग्रहालय अद्धुत और इसका अवलोकन अविस्मरणीय है।

मैंने खोजबीन की तो पता चला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रैल, 2022 को प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन करते हुए कहा था- ‘यहां आने वाले लोग देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की योगदान से रूबरू होंगे, उनकी पृष्ठभूमि, उनके संघर्ष—सृजन को जानेंगे। प्रधानमंत्री संग्रहालय का लोगो कुछ इस तरह का है कि उसमें कोटि कोटि भारतीयों के हाथ चक्र को थामे हुए हैं। यह चक्र 24 घंटे निरंतरता का प्रतीक है। समृद्धि के संकल्प के लिए परिश्रम का प्रतीक है। यही वह वह प्रण, चेतना और ताकत है, जो आने वाले सालों में भारत के विकास को परिभाषित करने वाली है। ये संग्रहालय, आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान का, विचार का, अनुभवों का एक द्वार खोलने का काम करेगा। यहां आकर उन्हें जो जानकारी मिलेगी, जिन तथ्यों से वो परिचित होंगे, वो उन्हें भविष्य के निर्णय लेने में मदद करेगी।’ कितनी सटीक बात कही थी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने।

प्रधानमंत्री संग्रहालय से हम सब पहुंचे नॉर्थ एवेन्यू, नई दिल्ली स्थित सांसद राजकुमार चाहर के आवास पर। वे हमारी ही प्रतीक्षा कर रहे थे। सबके लिए चाय आ गई। कुछ ने फीकी तो कुछ ने मीठी चाय पी। मिठाई भी आई। श्री रमेश राय ने मिठाई का खूब स्वाद लिया। भोजन इतना कर लिया था कि प्रधानमंत्री संग्रहालय में लगातार चलने और सीढ़ियां चढ़ने के बाद भी पेट कुछ भारी सा था। फिर बातचीत होती रही।

डॉ. भानु प्रताप सिंह
प्रधानमंत्री संग्रहालय में हेलीकॉप्टर से उतरते पत्रकार

सांसद राजकुमार चाहर ने प्रधानंमत्री संग्रहालय में न आने के लिए माफी मांगते हुए कहा- आज अजय सिंह जी की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि था। उनकी पुस्तक का भी लोकार्पण किया। समय एक ही था, इस कारण नहीं आ सका। उनकी इस विनम्रता को सबने सराहा। उन्होंने बार-बार कहा कि फतेहपुर सीकरी के विकास के लिए सुझाव देते रहें। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में 100 करोड़ की सड़कें और स्वीकृत कराई हैं, जिनकी घोषणा आगरा में जाकर करूंगा। यह भी बताया कि 8 जून की रात्रि में पारिवारिक समारोह था। रात तीन बजे सोया था। आप सबकी चिन्ता थी। उन्होंने आगरा के जिलाधिकारी को चुनौती देते हुए ताजमहल में घुसकर सभा करने और असलम सलीमी द्वारा फोटो खींचने की घटना याद दी। वे सरदार बनकर ताजमहल में घुसे थे, चेकिंग करने वाले जाट पुलिस वाले तक नहीं पहचान पाए थे। यूपी बोर्ड के टॉपर 100 छात्रों को प्रधानमंत्री संग्रहालय दिखाने की बात कही। बातें शुरू हुईं तो समय का भी पता नहीं चला। इस बीच सांसद राजकुमार चाहर के समधी साहब आ गए। उनसे परिचय कराया। उनकी विनम्रता देखिए, कहने लगे- आप सब मेरे समधी हैं। उन्होंने सभी पत्रकारों की ‘मिलनी’ की।

प्रधानमंत्री संग्रहालय
रात्रि में ऐसा दिखता है प्रधानमंत्री संग्रहालय

सांसद ने रास्ते के लिए स्नैक्स के पैकेट रखे। एक चीज और रखी।  हमने वाहन शिवा ढाबा पर रोका। वहां चाय पी। रास्ते में ताज प्रेस क्लब के चुनाव को लेकर चर्चा होती रही। सबका एक ही मत था कि चुनाव होने चाहिए, कुछ लोग बाधा खड़ी कर रहे हैं, जो उचित नहीं है। पत्रकार हों और नेताओं के बारे में चर्चा न हो, यह संभव नहीं है। कुछ साथ ऊंघते रहे। मैं भी कुछ देर ऊँघा। फिर सीधे आगरा में आकर गिरे। सभी पत्रकार साथी रात्रि 12 से एक बजे के बीच घर पहुंच पाए। असलम सलीमी साथ न होते तो यह यात्रा अधूरी रह जाती। उनके द्वारा खींचे गए फोटो ने यात्रा को सदैव के लिए स्मरणीय बना दिया।

अंत में फतेहपुर के सांसद और भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर को धन्यवाद है कि उन्होंने प्रधानमंत्री संग्रहालय के बारे में उत्सुकता जगाई और दिखाने की सुंदर व्यवस्था की। आशा है यह क्रम आगे भी चलता रहेगा।

Dr. Bhanu Pratap Singh