डॉ. भानु प्रताप सिंह
Agra, Uttar Pradesh, India. ताज प्रेस क्लब के प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में (Taj Press Club Election) हिन्दुस्तान के वरिष्ठ रिपोर्टर मनोज मित्तल की विजयश्री और जनसंदेश टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार पीयूष शर्मा की पराजय आश्चर्य में डालने वाली है। शुरुआत से ही कहा जा रहा था कि मनोज मित्तल की चुनाव में हार हो सकती है क्योंकि वे तनिक भी सक्रिय नहीं थे। इसके विपरीत पीयूष शर्मा अतिशय सक्रिय थे, इसलिए उनकी जीत का अनुमान लगाया जा रहा था।
हिन्दुस्तान अखबार ने अपने सभी प्रत्याशियों को विजयश्री दिलवाई है। इससे प्रतीत होता है कि उनकी पहले से ही तैयारी थी। इसका प्रमाण यह है कि हिन्दुस्तान के 30 मतदाता थे। ये सभी एकजुट रहे। इतना ही नहीं, योजनाबद्ध ढंग से हिन्दुस्तान से जुड़े अधिकांश मतदाताओं ने उपाध्यक्ष और सचिव पद पर सिंगल वोट दिया। मतगणना के बाद इसका रहस्य खुला। समस्या यह थी कि कोषाध्यक्ष पद पर तो एक को ही चुनना था। पहले से अनुमान लगाया जा रहा था कि कोषाध्यक्ष पद पर मनोज मित्तल और पीयूष शर्मा के बीच मुकाबला होगा। चुनाव को निकट से देखने वाले पीयूष शर्मा की जीत का अनुमान लगा रहे थे। इसका कारण यह था कि मनोज मित्तल पहले दिन से ही चुनाव को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे थे। ऐसा लग रहा था कि उन्हें जबर्दस्ती मैदान में उतार दिया गया है। उनके समर्थक भी दबी जुबान से मनोज मित्तल के बारे में नकारात्मक बातें कर रहे थे।
चुनाव प्रचार के दौरान सुनयन शर्मा, केपी सिंह और डॉ. भानु प्रताप सिंह हिन्दुस्तान कार्यालय गए। संपादक डॉ. मनोज पमार से मनोज मित्तल को लेकर चर्चा हुई। जब उन्हें मनोज मित्तल के बारे में ताज प्रेस क्लब के बीच चल रही चर्चाओं के बारे में अवगत कराया तो मुस्करा उठे। उन्होंने कहा- ‘मनोज मित्तल परफेक्शन के साथ काम करते हैं। अंडर करंट को कोई समझ नहीं पा रहा है। वे हर व्यक्ति से जुड़े हुए हैं। प्रचार का दिखावा नहीं कर रहे हैं। मनोज मित्तल चुनाव जीतेंगे।’ उनकी यह बात हजम नहीं हो रही थी।
मतदान वाले दिन यानी 13 नवम्बर, 2022 को मनोज मित्तल ने वॉट्सअप पर मतदान की अपील का संदेश भेजा। फोन नहीं आया। फिर मैंने ही उन्हें फोन किया और कहा कि अंतिम दिन ही सही, वोट तो मांगा। मनोज मित्तल ने वोट देने की अपील की। मतदान स्थल यानी ताज प्रेस क्लब भवन पर वे सुबह से ही सक्रिय हो गए। मतदाता जिस तरह से उनके प्रति बरताव कर रहे थे, उससे लग रहा था कि यही अंडर करंट है।
उधर, पीयूष शर्मा पहले दिन से ही पूरी दमदारी के साथ चुनाव मैदान में थे। उन्होंने वरिष्ठों को मनाया। अनेक युवा पत्रकार तो साथ थे ही। पीयूष शर्मा ने चुनाव प्रचार के लिए होर्डिंग भी लगवाए। उनके समर्थकों ने भी खुलकर प्रचार किया। यहां तक कि अखबार में भी छपवाया। केपी सिंह भी उनके साथ थे। मतगणना हुई तो मनोज मित्तल और पीयूष शर्मा के नाम के सामने सही का निशान वाले मतपत्र अधिक निकल रहे थे। पीयूष शर्मा के समर्थकों को लगा कि चुनाव जीत गए हैं। मिठाई मँगाने की तैयारी हो गई। जब अंतिम परिणाम आया तो सब चौंक गए। मनोज मित्तल को 115 और पीयूष शर्मा को 91 वोट मिले।
पीयूष शर्मा भले ही चुनाव हार गए लेकिन उन्होंने पत्रकारों के बीच अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। जो पत्रकार किसी बड़े बैनर के साथ नहीं है, उसे 91 वोट मिलना अपने आप में किसी आश्चर्य से कम नहीं है। पराजय के बाद निराशा स्वाभाविक है, सो वह उनके मुख पर दृष्टिगोचर हुई। इस बात को तीन दिन हो गए हैं। आशा है वे पराजय से उबर गए होंगे।
दैनिक जागरण से अवकाश प्राप्त पत्रकार लाखन सिंह बघेल को 24 और आज अखबार के पुराने पत्रकार रामनिवास शर्मा को 16 मत मिले। यह भी अपने आप में अचरजपूर्ण बात है। लाखन सिंह बघेल और रामनिवास की तुलना में पीयूष शर्मा का पत्रकारीय जीवन बहुत कम है, फिर भी 91 वोट हासिल कर लिए। कोषाध्यक्ष पद पर 5 वोट निरस्त कर दिए गए।
कोषाध्यक्ष पद पर किसे कितने मत मिले
मनोज मित्तल 115
पीयूष शर्मा 91
लाखन सिंह बघेल 24
रामनिवास शर्मा 16
निरस्त मत 05
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