चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने एक मामले में फैसला देरी से सुनाने पर माफी मांगी है। आपको बता दें जस्टिस बी.आर. गवई और एम.एम. सुंदरेश चंडीगढ़ शहर में एकल आवासीय को अपार्टमेंट में बदलने के बड़े पैमाने पर चलन के खिलाफ दायर याचिका के एक मामले में फैसला सुना रहे थे। देश की न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी जज ने देरी से फैसला सुनाने पर माफी मांगी है।
जस्टिस गवई ने कहा कि स्थायी विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच उचित संतुलन बनाने की भी जरूरत है। बेंच ने उचित सरकारी अंगों से शहरी विकास की अनुमति देने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन करने के लिए आवश्यक प्रावधानों को लागू करने का आग्रह किया है।
जस्टिस गवई ने कहा कि हमें विभिन्न अधिनियमों के सभी प्रावधानों और उनके तहत घोषित नियमों पर विचार करना है। केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को चंडीगढ़ के विकास के चरण एक में एकतरफा रूप से इस तरह कि प्रैक्टिस की मंजूरी देने से इसके पर्यावरणीय प्रभाव के साथ ही संबंधित क्षेत्र की विरासत की स्थिति को ध्यान रखने के मद्देनजर जस्टिस गवई ने टिप्पणी की।
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्य स्तर पर विधायिका कार्यपालिका और नीति निर्माता अव्यवस्थित विकास के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर ध्यान दें और यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाए ताकि विकास पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए।
उन्होंने बताया कि 3 नवंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रखने के बाद से इसे सुनाने में दो महीने से अधिक समय लग गया। हालांकि उन्होंने फैसले में देरी का कारण पक्षकारों के रवैए को बताया है। उन्होंने पक्षकारो के चलते मामला लेट होता चला गया और नतीजा यह हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने बाद अपना फाइनल जजमेंट दिया।
- Sterling Hospitals Achieves 50th Kidney Transplant in 2025, Reinforcing Leadership in Advanced Renal Care - July 21, 2025
- सपा सांसद इकरा हसन पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले करणी सेना नेता पर एफआईआर, योगेंद्र राणा बोले- मैं माफी नहीं मांगूंगा - July 21, 2025
- Samson Brothers to lead Kochi Blue Tigers - July 21, 2025