Agra, Uttar Pradesh, India. शमसाबाद रोड स्थित आर. डी. पब्लिक स्कूल में अखिल भारतीय हिन्दी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रोफ. एस पी सिंह बघेल ( विधि एवं न्याय राज्य मंत्री, भारत सरकार) एवं स्कूल के चेयरमैन इंजीनियर हमवीर सिंह ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके ज्ञान की देवी का आहवान किया।
अतिथि
कार्यक्रम के क्रम को आगे ले जाते हुए प्रिंसिपल वंदना गोयल ने अतिथियों का परिचय कराया। वक्ताओं ने अपने पारंपरिक अंदाज़ में अपने वक्तव्यों से दर्शकों का मन जीता। मुख्य अतिथि प्रोफ. एस पी सिंह बघेल (विधि एवं न्याय राज्य मंत्री, भारत सरकार), चेयरमैन हमवीर सिंह, निदेशक चारु सिंह, सत्या सिंह, सीए आर के सिंह, प्रधानाचार्या वंदना गोयल, नितिन कोहली प्रदेश अध्यक्ष प्रसपा, यशपाल राणा जिला अध्यक्ष किसान मोर्चा भाजपा, ब्रजेश यादव निदेशक लघु उद्योग मंत्रालय भारत सरकार आदि थे।
कवियों का स्वागत
मंच पर देश के प्रत्येक जगह से आये कवियों का स्वागत ग्लैमर लाइव फिल्म्स के निदेशक सूरज तिवारी, ईशान साहित्यिक क्लब के आचार्य संतोष सारस्वत, साहित्यकार डॉ. महेश धाकड़, विनोद यादव, लक्ष्मी शर्मा, डॉ. रिंकी यादव, मुकेश कुशवाह, पिंकी यादव, रोहित सिंह आदि ने पुष्प गुच्छ, पटका एवं मोमेंटो देकर किया। कवि मंच का संचालन दिल्ली से आये डॉ. प्रवीण शुक्ल ने किया।
डॉ प्रवीण शुक्ला (दिल्ली)
कैसे कह दूं की थक गया हूं मैं,
जाने किस किस का हौसला हूं मैं
डॉ राजीव राज (इटावा)
हाँ कुछ कुछ वैसे जैसे दीपक बहते हैं पानी में
दो नैना हैं अपनी प्रेम कहानी में
श्रीमती सपना सोनी (दौसा राजस्थान)
नये ज़माने की रंगत में, ढल के देखेंगे।
हम अपने आप को थोङा, बदल के देखेंगे।।
सुना है प्यार की राहें बङी , कंटीली हैं।
तुम्हारे साथ ज़रा , इनपे चलके देखेंगे।।
डॉ कमलेश बसंत (तिजारा, राजस्थान)
देह पूरी लड़ी बस मिली बोटियाँ..
इस शहादत में खेली गई गोटियाँ..
तेरे घर पे न चूल्हा जला बीस दिन..
पर सियासत में सेकी गई रोटियाँ..
मोहित शौर्य (दिल्ली)
दिलों की महफिलों में भी दिलवाले नहीं दिखते
शहर की रोशनी में भी अब उजाले नहीं दिखते
बड़ी लाचार और बेदर्द हैं दुनिया की नज़रें भी
मेरे जूते तो दिखते हैं मगर छाले नहीं दिखते
शशांक नीरज (आगरा)
हम पर छाई फ़क़ीरी ऐसी खोना पाना छोड दिया
हमने शाहों के रस्तों पर आना जाना छोड़ दिया
जबसे मैंने कुटिया के दीपों को अर्घ्य चढ़ाया है
उस दिन से सूरज ने मुझसे आँख मिलाना छोड़ दिया
ईशान देव (आगरा)
दुःख हैं कि सब ही तो आखिर अंग्रेजी के स्कूल गए,
हिन्द में रहने वाले ही आख़िर हिन्दी को भूल गए
कार्यक्रम को विधिवत मैनेज एवं एक्सीक्यूट किया ग्लैमर लाइव फिल्म्स एन्ड इवेंट्स की टीम ने। ईशान देव साहित्यक क्लब कार्यक्रम का समन्वयन कर रहा था।
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